
उत्तर प्रदेश सरकार ने पराली जलाने से बढ़ते प्रदूषण की समस्या को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है. इसी क्रम में प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से समस्त मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को पराली, धान खरीद आदि के सम्बन्ध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए. मुख्य सचिव ने पराली जलने की घटनाओं को लेकर निर्देश देते हुए कहा कि जिलाधिकारियों को सतर्क रहने की जरूरत है. जिन जनपदों में पराली जलने की घटनायें अधिक हो रही हैं, वहां लोगों को पराली न जलाने के लिये अधिक से अधिक जागरूक किया जाये. इसके बावजूद न मानने पर सम्बन्धित लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जाये.
बता दें कि धान की पराली जलाने के चलते वायु प्रदूषण बढ़ रहा है. इसे रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने सख्ती बढ़ाते हुए पराली जलाने वाले किसानों पर मोटा जुर्माना लगाने की तैयारी कर ली है. 2 एकड़ से 5 एकड़ तक के खेतिहर किसानों के लिए जुर्माना राशि भी तय कर दी है. जबकि, दोबारा दोषी पाए जाने पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं, पराली से खाद बनाने के लिए यूपी सरकार ने 80 फीसदी तक अनुदान देने की घोषणा की है.
उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग के अनुसार पराली जलाने वाले किसानों पर 15000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. जबकि, कई लाभदायक योजनाओं और रियायत से भी वंचित किया जा सकता है. कृषि विभाग के अनुसार पराली जलाने के दोषी पाए जाने वाले किसानों को आर्थिक जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है.
इसके तहत 2 एकड़ से कम क्षेत्र के लिए 2500 रुपये जुर्माना तय किया गया है. जबकि, 2 से 5 एकड़ के लिए 5000 रुपये तक और 5 एकड़ से अधिक के लिए 15000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. दोबारा दोषी पाए जाने पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं.
उधर, मुख्य सचिव ने कहा कि धान की खरीद के लिए क्रय केन्द्रों को स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है. क्रय केन्द्रों पर धान बिक्री करने आने वाले किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होनी चाहिये. समय सीमा के भीतर किसानों का भुगतान किया जाये. उन्होंने डीएपी के सम्बन्ध में कहा कि आलू उत्पादन करने वाले क्षेत्रों में डीएपी की मांग बढ़ेगी. मांग के सापेक्ष डीएपी प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. कृषि एवं सहकारिता विभाग के द्वारा इसे ध्यान में रखते हुए डीएपी का अलॉटमेंट किया जाये. फर्टिलाइजर को लेकर संवेदनशील जनपदों पर विशेष निगरानी रखी जाये. कहीं से भी तस्करी और कालाबाजारी की शिकायत नहीं प्राप्त होनी चाहिए.
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