आस्था का महापर्व 'छठ पूजा' इस साल 17 नवंबर से शुरू हो रहा है. छठ पूजा में सूर्य देव की पूजा की जाती है. यह त्यौहार बिहार सहित पूरे उत्तर भारत में बड़े उत्साह और प्रेम के साथ मनाया जाता है. इस त्यौहार में बांस के सूप या टोकरी का उपयोग किया जाता है. जिसे लोग घाट तक पहुंचने तक सिर पर रखे रहते हैं. इस बांस के सूप या टोकरी में सूर्य देव को चढ़ाए गए फल, फूल और प्रसाद रखे जाते हैं. इसके पीछे एक खास वजह है. दरअसल, बांस को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है और इसलिए इसका इस्तेमाल पूजा-पाठ में विशेष रूप से किया जाता है.
इसके पीछे एक और मान्यता है, दरअसल बांस धरती में बिना रुके उगता है, मूल रूप से यह पूजा बच्चों के लिए होती है. ऐसा माना जाता है कि छठ पूजा करने से नि:संतान दंपत्तियों या जिनके बच्चे होते हैं उनकी सेहत अच्छी रहती है, वे बांस की तरह ही प्रगति करते हैं और आगे बढ़ते हैं, इसलिए इस पूजा में बांस के सूप का इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही इसका उपयोग सूर्य की पूजा में भी किया जाता है और इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. आपको बता दें कि सूर्य की पूजा में जब अर्घ्य दिया जाता है तो बांस के सूप का ही इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा इसमें कई तरह के फल और ठेकुआ आदि भी रखे जाते हैं. हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार, बांस से पूजा करने से धन और संतान का सुख मिलता है और जिस तरह बांस बिना किसी बाधा के मिट्टी में तेजी से बढ़ता है, उसी तरह छठ पूजा के दौरान बांस की पूजा करने से संतान भी तेजी से बढ़ती है. फैलता है.
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छठ पूजा में कई लोग बांस की टोकरियों के साथ-साथ पीतल के सूप के कटोरे का भी उपयोग करते हैं. आपको बता दें कि पूजा के लिए कम से कम 7 सूप का इस्तेमाल किया जाता है और महिलाएं इस छठ पूजा से एक या दो दिन पहले ही इन्हें बनाना शुरू कर देती हैं. इसके अलावा लोग पूजा में पीतल या स्टील के बर्तनों का भी इस्तेमाल अब करने लगे हैं. आपको बता दें कि छठ पूजा के दौरान पुरुष बांस की टोकरी या सूप में पूजा का सामान रखते हैं और उसे अपने सिर पर रखकर घाट तक ले जाते हैं. साथ ही छठ पूजा के दौरान बांस के सूप का सही तरीके से इस्तेमाल करने से लोगों की मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. इन सभी कारणों से छठ पूजा में बांस के सूप का उपयोग अत्यधिक माना जाता है. अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो कृपया इसे शेयर करें. इसी तरह के लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिंदगी से.
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