दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार का बड़ा प्लान (फाइल फोटो)केंद्र सरकार ने आने वाले छह वर्षों में ‘मिशन आत्मनिर्भरता इन पल्सेज’ के तहत तीन दालों, तूर (अरहर), उड़द और मसूर, की 15 जीनोम-एडिटेड किस्में विकसित करने और जारी करने की योजना बनाई है. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में इस मिशन के लिए ऑपरेशनल गाइडलाइंस जारी की हैं. इन दिशा-निर्देशों में साफ किया गया है कि जीनोम-एडिटेड दालों की किस्मों का विकास और उन्हें जारी करना इस मिशन के प्रमुख लक्ष्यों में से एक है.
अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार दिशानिर्देशों के तहत कहा गया है , 'ज्यादा उत्पादन देने वाली, कम अवधि में पकने वाली, हाइब्रिड, जीनोम-एडिटेड, जलवायु सहनशील और कीट-प्रतिरोधी किस्मों का विकास करें. नई किस्मों में जीनोम एडिटिंग और हाइब्रिड दोनों को शामिल किया जाएगा.' जो गाइडेंस दी गई हैं उसके अनुसार मिशन के तहत प्रयास ज्यादा उत्पादन वाली किस्मों के विकास पर केंद्रित होंगे. साथ ही तूर (अरहर) की कम अवधि में पकने वाली और हाइब्रिड किस्मों को भी विकसित किया जाएगा ताकि उत्पादन बढ़ाया जा सके.
क्लाइमेट चेंज और कीट प्रकोप जैसी नई चुनौतियों से निपटने के लिए जलवायु-सहनशील और कीट-प्रतिरोधी किस्मों की ब्रीडिंग पर भी खास ध्यान दिया जाएगा. दालों की इन नई किस्मों को बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए प्रमुख दाल उत्पादक राज्यों में फील्ड ट्रायल्स किए जाएंगे. साथ ही आगे की रिसर्च जीनोम-एडीटेड किस्मों के विकास और उनके प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने वाली होगी जिससे दालों की टिकाऊ खेती को बढ़ावा मिल सके. 18 अक्टूबर को जारी दिशा-निर्देशों में यह बात कही गई है.
दिशा-निर्देशों में -मिशन के दौरान आईसीएआर (ICAR) द्वारा जारी की जाने वाली संभावित टारगेटेड किस्मों' का भी जिक्र किया गया है. इसमें बताया गया है कि मंत्रालय ने 2028 और 2029 के दौरान तीनों दालों, तूर, उड़द और मसूर—की कुल 6 जीन एडीटेड किस्में (हर की दो-दो) विकसित और जारी करने की योजना बनाई है.
वहीं, 2030 और 2031 के दौरान 9 जीनोम एडिटेड किस्में (प्रत्येक की तीन-तीन) विकसित की जाएंगी. कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि मिशन की कुल निधि में से नई दालों की किस्मों, जिनमें जीनोम-एडीटेड भी शामिल हैं, के विकास के लिए विशेष धनराशि निर्धारित की गई है. अधिकारी ने यह भी कहा कि मंत्रालय जीन एडिटेड किस्मों के विकास के लिए रिसर्च इंस्टीट्यूट्स को आर्थिक मदद मुहैया करेगा.
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