Jaggery: बिहार में फिर लौटेगा गन्ने का दौर? किसानों के लिए गुड़ बनेगा भरपूर कमाई का जरिया

Jaggery: बिहार में फिर लौटेगा गन्ने का दौर? किसानों के लिए गुड़ बनेगा भरपूर कमाई का जरिया

बिहार में चीनी मिलें दोबारा शुरू होने की तैयारी में हैं, लेकिन चुनौतियां अभी भी बड़ी हैं. ऐसे में गन्ना किसानों के लिए गुड़ का कुटीर उद्योग कम लागत, कम जोखिम और ज्यादा मुनाफे का मजबूत विकल्प बनकर उभर सकता है.

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Jaggery: बिहार में फिर लौटेगा गन्ने का दौर? किसानों के लिए गुड़ बनेगा भरपूर कमाई का जरियाबिहार में तेजी से बढ़ेगा गुड़ उत्पादन

बिहार कभी गन्ना और चीनी उत्पादन का हब होता था, लेकिन बाद में उसका यह बड़ा तमगा छिन गया. गन्ने की खेती के साथ साथ चीनी का उत्पादन भी सिकुड़ गया. आज हालत ये है कि बिहार के गन्ना और बिहार की चीनी के बारे में बात करने वाले लोग कम हैं. हालांकि बिहार सरकार ने इसे फिर से शुरू करने की कवायद की है. मुख्य सचिव स्तर की बैठक हो चुकी है और कई मिलें फिर से काम शुरू कर देंगी. विशेषज्ञ बताते हैं कि चीनी मिलें शुरू तो होंगी, मगर उनके सामने कई चुनौतियां होंगी. चुनौतियों का पहाड़ काटकर चीनी मिलों को नया रास्ता बनाना होगा. ऐसे में किसानों के सामने गन्ने की खेती बढ़ाने का चैलैंज भी बड़ा होगा. तब सवाल है कि किसानों के पास क्या कोई विकल्प है कि बिना चैलेंज के वे अपनी कमाई बढ़ा सकें? तो इसका जवाब है गुड़.

बिहार में जिस वक्त गन्ने की खेती चरम पर थी, उस वक्त गुड़ का कारोबार भी बेहद लाभदायक था. गुड़ का काम कुटिर उद्योग के रूप में कामयाबी के शिखर पर था. लेकिन जैसे-जैसे गन्ने की खेती गिरती गई, गुड़ का काम भी खत्म होता गया. अब मौका है कि जब चीनी का उत्पादन बढ़ने जा रहा है तो कुटिर उद्योग के तौर पर गुड़ का व्यवसाय भी बढ़े. इससे किसान बहुत लाभान्वित होंगे. 

गुड़ के लिए मशहूर हैं ये जिले

बिहार के कई जिले हैं जहां गुड़ उत्पादन बड़े पैमाने पर होता रहा है. इन जिलों मधुबनी, सहरसा, मधेपुरा, बांका, दरभंगा, जमुई, पूर्णिया, बेगुसराय, भागलपुर, वैशाली, नवादा, लखीसराय और मुंगेर शामिल हैं. इन इलाकों में उगाए गए गन्ने का उपयोग चीनी बनाने के लिए नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर गुड़ निर्माण के लिए किया जाता है. लेकिन चीनी बनाने की विधि पुरानी है, इसलिए किसान अच्छा मुनाफा नहीं कमा पाते हैं.

इन चुनौतियों से जूझ रहा गुड़ बिजनेस

इन जिलों में गुड़ उत्पादन का अध्ययन करने पर पता चलता है कि गुड़ बनाने के पारंपरिक तरीके अब फायदेमंद बिजनेस नहीं रह गए हैं, क्योंकि कम क्वालिटी का गुड़ बनता है जिसकी कीमतें कम मिलती हैं. इसके अलावा, यह कुटीर उद्योग गन्ने की पेराई में कमी, जूस को साफ करने में कमी, गर्म करने और खुले पैन में उबालने की सिस्टम में कमी, गुड़ यूनिट्स को कम फाइनेंशियल और पॉलिसी सपोर्ट, जूस निकालने में टेक्नोलॉजी की कमी, खुले पैन वाली भट्टी की कमी, गुड़ की मोल्डिंग और पैकेजिंग, क्वालिटी कंट्रोल और साफ-सफाई की समस्याओं, स्किल की कमी, इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट फंड की कमी, गुड़ के लिए सही मार्केट और सपोर्ट की कमी के कारण अनदेखी का शिकार रहा है.

क्या करें गन्ना उगाने वाले किसान

अब गन्ने की खेती पर फोकस बढ़ रहा है तो गुड़ की संभावनाएं भी भरपूर बढ़ेंगी. इसे देखते हुए किसानों को अभी से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. लगातार प्रोडक्शन और ज्यादा गुड़ रिकवरी के लिए गन्ना किसानों को जल्दी और देर से पकने वाली गन्ने की किस्मों को 40:60 के अनुपात में उगाना चाहिए. नवंबर की शुरुआत में, ज्यादा गुड़ रिकवरी के लिए सबसे पहले जल्दी पकने वाली किस्मों के पेड़ी गन्ने को पेरा जाना चाहिए. फिर जल्दी पकने वाली किस्मों के गन्ने को पेरा जाना चाहिए, जिसके बाद देर से पकने वाली किस्मों के पेड़ी और गन्ने को पेरा जाना चाहिए. गुड़ को ठीक से जमाने के लिए गन्ने में कम से कम 16% सुक्रोज और 85% शुद्धता होनी चाहिए.

गुड़ से कमाई बढ़ाने का तरीका

गुड़ के क्यूब – 20 ग्राम वजन का अच्छी क्वालिटी का गुड़ का क्यूब आकार और साइज दोनों में बहुत अच्छा होता है. इससे किसान की कमाई बढ़ सकती है.

गुड़ पाउडर – 250-1000 ग्राम के पैकेट में ग्लूकोज के रूप में गुड़ बनता है. सील प्रूफ पैकिंग की जाती है. इसे लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है.

चंक्स – चंक्स कोई नई चीज नहीं है बल्कि बहुत पुराने समय का एक पारंपरिक प्रोडक्ट है और इसमें गुड़ की तुलना में कम नमी होती है. यह लड्डू, पेड़ा, बर्फी आदि के आकार में हो सकता है, जिसमें कोई लागत नहीं लगती, जिससे इसकी मांग, पोर्टेबिलिटी और शेल्फ लाइफ बढ़ेगी.

चॉकलेट – गुड़ से दूसरी मौजूदा चॉकलेट की तरह चॉकलेट बनाई जा सकती है. इसे कोको बींस, क्रीम या पाउडर दूध जैसे दूध प्रोडक्ट मिलाकर बनाया जा सकता है, जिसे प्लास्टिक कोटेड पेपर में लपेटा जाए जो चॉकलेट पसंद करने वाले कस्टमर अधिक खरीदारी करेंगे. इसे पूरे सीजन के लिए सुरक्षित रूप से रखा जा सकता है.

ईंट के आकार का गुड़ –  अधिक कमाई के लिए गुड़ की एक किलो की ईंट बना सकते हैं जो केमिकल फ्री हो और उसमें सौंफ, मेथी, अदरक, सूखी अदरक, तुलसी के पत्ते और तुलसी का रस मिला हो, वाटर प्रूफ पेपर में लपेटा हुआ. मार्केट में इस तरह के गुड़ की बिक्री अधिक देखी जाती है.

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