गुरुवार को ऊर्जा ऑडिटोरियम पटना में बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का तृतीय दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ. बिहार के राज्यपाल और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खां ने विश्वविद्यालय के तीन प्रमुख अंगीभूत संस्थानों, बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय, पटना; संजय गांधी गव्य प्रौद्योगिकी संस्थान, पटना और मात्स्यिकी महाविद्यालय, किशनगंज कुल 265 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की. वहीं, समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह केवल एक शैक्षणिक उपलब्धि का दिन नहीं है, बल्कि यह नए उत्तरदायित्वों और संभावनाओं की शुरुआत भी है. वहीं इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. इंद्रजीत सिंह ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और भावी योजनाओं की जानकारी राज्यपाल को दी. कार्यक्रम में केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह भी उपस्थित रहे.
बिहार के राज्यपाल और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खां ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज यहां से उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थी विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करेंगे. कुछ विद्यार्थी नौकरी करेंगे, लेकिन मैं उन सभी से यह कहना चाहता हूं कि वे केवल नौकरी लेने के उद्देश्य से नहीं, बल्कि नौकरी देने के उद्देश्य से आगे बढ़ें. दीक्षांत केवल एक अंत नहीं है, बल्कि यह एक नई यात्रा का शुभारंभ है. देश आज आपसे केवल शिक्षा की नहीं, बल्कि नेतृत्व की भी अपेक्षा करता है, एक ऐसा नेतृत्व जो ज्ञानवान हो, मूल्य-आधारित हो और राष्ट्र के प्रति समर्पित हो.
ये भी पढ़ें: बिहार में बाढ़ से बचाव में भूमिका निभाएगा मौसम विभाग, नेपाल की भी मदद लेगी राज्य सरकार
राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना ने अपनी स्थापना के केवल सात वर्षों में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं. यह विश्वविद्यालय अपने उद्देश्यों की दिशा में सतत प्रगति कर रहा है और अब देश के अग्रणी पशु विज्ञान संस्थानों में स्थान बना चुका है. शिक्षा, शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में कई सराहनीय कार्य किए गए हैं. भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से पैदा हुई साहिवाल नस्ल की बाछियां आने वाले दिनों में राज्य में उन्नत नस्ल की देसी गायों की कमी को दूर करने में सहायक सिद्ध होंगी.
केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि पशुधन क्षेत्र केवल एक संबद्ध कृषि गतिविधि नहीं है, बल्कि यह लाखों लोगों के लिए आजीविका का प्राथमिक स्रोत, पोषण सुरक्षा का आधार, महिला सशक्तिकरण का माध्यम और गरीबी उन्मूलन का रास्ता है. यह देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में भी महत्वपूर्ण योगदान करता है. हाल ही में जारी 20वीं पशुगणना (2019) के अनुसार, भारत में पशुधन की कुल संख्या लगभग 535 मिलियन है. भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है, जिसकी वार्षिक दुग्ध उत्पादन क्षमता 220 मिलियन टन से अधिक हो चुकी है. बिहार ने वर्ष 2023-24 में 15 लाख मीट्रिक टन से अधिक दुग्ध उत्पादन कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. राज्य बकरी पालन, मत्स्य उत्पादन और सूअर पालन की दृष्टि से भी राष्ट्रीय मानचित्र पर विशेष स्थान रखता है.
बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. इंद्रजीत सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय ने स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में शैक्षणिक अनुशासन और गुणवत्ता के उच्चतम मानकों को बनाए रखा है. बीएफएससी अंतिम वर्ष के 27 छात्रों में से 21 ने राष्ट्रीय स्तर की ICAR AIEEA 2024 परीक्षा उत्तीर्ण की है, जिनमें से 5 छात्रों को ICAR-JRF फेलोशिप भी प्राप्त हुई है. यह संस्थान की उत्कृष्ट शिक्षा प्रणाली और मार्गदर्शन की स्पष्ट गवाही है. विश्वविद्यालय ने राज्य में पशुपालन, मुर्गी पालन और मत्स्य पालन से जुड़े मानव संसाधन की कमी को महसूस किया है. इसको ध्यान में रखते हुए, बिहार सरकार के सहयोग से जल्द ही बीएसी इन पोल्ट्री साइंस, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स इन क्लीनिकल एंड पैराक्लिनिकल विषयों की पढ़ाई शुरू की जाएगी.
ये भी पढ़ें: सुखाड़-बाढ़ पर सरकार अलर्टः महीने के अंत तक तैयारियों के निर्देश, खजाने पर आपदा पीड़ितों का पहला हक
विश्वविद्यालय में उत्कृष्ट अकादमिक प्रदर्शन के लिए बीटेक डेयरी टेक्नोलॉजी से प्रतिक्षा और माही, पशुचिकित्सा विज्ञान और पशुपालन में स्नातक (बी.वी.एस.सी एंड ए.एच) आकृति कुमारी, आकांक्षा मासूम, बैचलर ऑफ फिशरीज साइंस के बरखा अस्थाना, प्रगति पुष्प, पशुचिकित्सा विज्ञान में स्नातकोत्तर (एम.वी.एस.सी) चंदन कुमार, प्रियंका कुमारी को गोल्ड मेडल दिया गया जिसमें 7 छात्रा और एक छात्र शामिल रहे. इसके साथ ही डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में स्नातक डेयरी प्रौद्योगिकी के 46, वेटरिनरी साइंस के 103 और मात्स्यिकी विज्ञान के 55 विद्यार्थी शामिल थे. वहीं, स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में डेयरी के 04 और वेटरिनरी के 53 विद्यार्थियों को डिग्रियां दी गईं. इसके अलावा पीएचडी कार्यक्रम के अंतर्गत 04 शोधार्थियों को डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today