युवाओं-किसानों के लिए मधुमक्खी पालन में बेहतर भविष्य, कम लागत में मोटी कमाई वाला बिजनेस, एक्सपर्ट ने बताईं बारीकियां  

युवाओं-किसानों के लिए मधुमक्खी पालन में बेहतर भविष्य, कम लागत में मोटी कमाई वाला बिजनेस, एक्सपर्ट ने बताईं बारीकियां  

कीट वैज्ञानिक ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के कम भूमि वाले लोग, किसान और युवा मधुमक्खी पालन में बेहतर करियर बना सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह कम लागत वाला व्यवसाय है जिससे अच्छी आय हासिल की जा सकती है. मधुमक्खी पालन के लिए सबसे जरूरी बात सही प्रजाति की मधुमक्खी का चयन करना है.

Advertisement
Kisan Career: युवाओं-किसानों के लिए मधुमक्खी पालन में बेहतर भविष्य, कम लागत में मोटी कमाई वाला बिजनेसमधुमक्खी के शहद का इस्तेमाल कई सदियों से किया जा रहा है.

भारत ही नहीं दुनियाभर में शहद की खूब मांग रहती है. कई तरह की औषधियों में इस्तेमाल होने के साथ ही पोषक तत्वों की वजह से मधुमक्खी पालन कम लागत में मोटी कमाई देने वाला बिजनेस बना हुआ है. युवाओं के लिए यह बेहतर करियर बनाने का ऑप्शन भी है. जबकि, यह कम भूमि वाले किसानों और बागवानी करने वाले किसानों के साथ ही दूसरे लोगों के लिए भी आय का बड़ा स्रोत बनता है. मधुमक्खी पालन में 1 लाख रुपये की लागत लगाने पर करीब 3 लाख रुपये की कमाई आसानी से की जा सकती है. मधुमक्खी पालन से कमाई करने और इसे करियर बनाने के लिए जरूरी है बी कीपिंग ट्रेनिंग (Beekeeping Training) लेना. कई कृषि विश्वविद्यालय और कृषि संस्थान किसानों, युवाओं और ग्रामीणों को 7 दिन से लेकर 6 महीने तक की ट्रेनिंग देते हैं. ज्यादातर संस्थानों में मधुमक्खी पालन की मुफ्त ट्रेनिंग दी जाती है. आइये समझते हैं मधुमक्खी पालन में करियर बनाने के लिए जरूरी बातें. 

वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय (YS Parmar University of Horticulture & Forestry) के कीट विज्ञान विभाग में कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मीना ठाकुर ने 'किसान तक' को बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के कम भूमि वाले लोग, किसान और युवा मधुमक्खी पालन में बेहतरी करियर बना सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह कम लागत वाला व्यवसाय है जिससे अच्छी आय हासिल की जा सकती है. मधुमक्खी पालन के लिए सबसे जरूरी बात सही प्रजाति की मधुमक्खी का चयन करना है. भारत में आमतौर पर दो प्रजाति की मधुमक्खियों का पालन किया जाता है, पहली देसी मधुमक्खी यानी एपिस सेराना और दूसरी विदेशी मधुमक्खी यानी एपिस मेलिफेरा. कमर्शियल बी कीपिंग यानी कारोबार के लिए मधुमक्खी पालन करना है तो एपिस मेलिफेरा मधुमक्खी का चयन करना ठीक रहेगा. 

मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग बहुत जरूरी 

मधुमक्खी पालन के लिए प्रशिक्षण लेना बहुत जरूरी है. क्योंकि, मधुमक्खी एक जीवित जीवित प्राणी है और अगर इसे पूरे साल इनको मेंटेन करना है तो अलग अलग ऋतुओं और सीजन के हिसाब से इसे मैनेज करना पड़ता है. इसके अलावा मधुमक्खियों को किस टाइम पर किस तरह की फीडिंग करानी है उसकी जानकारी होनी चाहिए. जबकि, मधुमक्खियों को कैसे कीट पतंगों से या बीमारी से बचाना है उसकी जानकारी भी होनी चाहिए, ताकि संक्रमित जगह से बक्सों को किस तरह ट्रांसफर किया जा सके. मधुमक्खियों को किस तरह डिवाइड और यूनाइट करना आना चाहिए. 

डॉक्टर मीना ठाकुर ने मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग जरूरी है ताकि पालक को अधिक शहद उत्पादन मिल सके और उसकी कमाई बढ़ सके. उन्होंने बताया कि आमतौर पर सभी कृषि विश्वविद्यालय कम से कम 5 दिन की बी कीपिंग ट्रेनिंग देते हैं. उन्होंने बताया कि वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भी समय समय पर ट्रेनिंग सेशन आयोजित करता है. ट्रेनिंग में शुरुआती तौर पर मधुमक्खी पालन की सभी जानकारियां दी जाती हैं. वहीं, बड़े स्तर पर शहद कारोबार करने के लिए अलग से ट्रेनिंग या सर्टिफिकेट कोर्स किए जा सकते हैं.

कहां कर सकते हैं मधुमक्खी पालन 

कीट वैज्ञानिक ने कहा कि मधुमक्खी के शहद का इस्तेमाल कई सदियों से किया जा रहा है. लेकिन, आज के संदर्भ में मधुमक्खी पालन शहद उत्पादन के साथ ही जैव विविधता को बनाए रखने में भी मददगार है. फूल और फलों वाली फसलों जैसे सेब या अन्य बागवानी फसलों के साथ मधुमक्खी पालन करना काफी फायदेमंद होता है. क्योंकि, मधुमक्खियां अन्य कीटों को दूर करती हैं और फसलों को अच्छा करती हैं. 

शहद के अलावा भी कई उत्पाद मिलेंगे 

अगर सही तरीके से मधुमक्खी पालन करते हैं तो हमें जैव विविधता में सुधार होने के साथ शहद तो मिलता ही है इसके अलावा कई अन्य पदार्थ मिलते हैं, जैसे कि प्रिपॉलिश, बीवेनम, ऑयल जेली मिलती है, जिनकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है. मधुमक्खी पालन के जरिए शहद उत्पादन के साथ-साथ इसे कई दूसरे रूप में भी बेचा जा सकता है. शहद को रॉ सेल किया जा सकता है या उसे प्रॉसेस करके और भी अच्छी कीमत पर बेचा जा सकता है. इस तरह से अलग-अलग तरीके से मधुमक्खी पालन से कमाई की जा सकती है. 

मधुमक्खी पालन में कितनी लागत आएगी 

कीट वैज्ञानिक ने कहा कि मधुमक्खी पालन में कम लागत और अधिक अधिक मुनाफा हासिल किया जा सकता है. अगर विदेशी मधुमक्खी एपिस मेलिफेरा का पालन किया जाता है तो एक कॉलोनी में ढाई से तीन हजार मधुमक्खियों के लिए 7-8 फ्रेम का इस्तेमाल किया जा सकता है. हाईव यानी मधुमक्खी के छत्ता का जो बॉक्स होता है उसकी कीमत 3 हजार रुपये पड़ती है यानी एक पूरा कंप्लीट हाइव कॉलोनी पर पूरा खर्च 6 हजार रुपये के आसपास आता है. एक साल में एक एपिस मेलिफेरा कॉलोनी से 15 से 20 किलो शहद आसानी से ले सकते हैं. लेकिन, अगर माइग्रेट्री बी कीपिंग करते हैं यानी जगह बदलते रहते हैं तो एक कॉलोनी से 40-50 किलो शहद आराम से मिल सकता है. 

1 लाख की लागत पर 3 लाख की कमाई

लागत और कमाई समझते हैं, एपिस मेलिफेरा मधुमक्खी कॉलोनी विकसित करने के लिए अगर आप 15 कंप्लीट बॉक्स लगाते हैं तो आपको करीब 1 लाख रुपये की लागत आएगी. अगर प्रति बॉक्स 50 किलो शहद हासिल करते हैं तो करीब 750 किलो शहद इकट्ठा होगा. शहद की औसत कीमत 400 रुपये प्रति किलो के हिसाब से जोड़ें तो इसकी कीमत करीब 3 लाख रुपये बैठती है. यानी सीधा 2 लाख रुपये का मुनाफा. शहद के अलावा अन्य दूसरे मटेरियल्स जैसे प्रिपॉलिश, बीवेनम, ऑयल जेली से होने वाली कमाई जोड़ देंगे तो इस कुल आय में कई लाख रुपये और जुड़ सकते हैं. इस हिसाब से मधुमक्खी पालन कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाला बिजनेस साबित होता है. 

ये भी पढ़ें - 

POST A COMMENT