आराजी लाइन विकासखंड क्षेत्र के टडिया जक्खिनी निवासी प्रगतिशील किसान और कृषि वैज्ञानिक श्रीप्रकाश रघुवंशी गेहूं, अरहर, धान, सरसों की प्रजातियों का विकास सेलेक्शन विधि से करते रहे हैं. अभी तक गेहूं की 100 नई प्रजातियों का विकास कर चुके हैं. इतनी बड़ी संख्या में इन प्रजातियों को संरक्षित कर पाना मुश्किल हो रहा था. ये प्रजातियां पोषक गुणों और उत्पादन की दृष्टि से अच्छी हैं. श्रीप्रकाश रघुवंशी ने इन प्रजातियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रधानमंत्री से गुहार लगाई कि वे अपनी अस्सी गेहूं की प्रजातियों को भारत सरकार को दान करना चाहते हैं.
रघुवंशी के पत्र को संज्ञान में लेते हुए पीएमओ ने गेहूं एवं मक्का अनुसंधान संस्थान करनाल को पत्र भेजा. पत्र मिलने के बाद करनाल से दो वैज्ञानिक वाराणसी आराजी विकास खंड के टड़िया ग्राम में श्रीप्रकाश रघुवंशी के फार्म पर पहुंचे. रघुवंशी ने उनको 31 गेहूं की प्रजातियां सुपुर्द की. शेष प्रजातियों को अक्टूबर माह में बीज गोदाम खुलने पर सुपुर्द किया जाएगा. बारिश के मौसम में बीजों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए शेष प्रजातियों को बाद में दिया जाएगा.
इन प्रजातियों में मुख्य रूप से सूर्या 555, कुदरत अन्नपूर्णा,रघुवंशी 777, कुदरत 17, कुदरत 9 आदि हैं. श्रीप्रकाश रघुवंशी ने बताया कि इन प्रजातियों को विकसित करने का उद्देश्य उत्कृष्ठ देशी बीजों का संरक्षण, मानव पोषण और उत्पादन को बढ़ावा देना है. एक बीज से पचास तक कल्ले और बालियों की लंबाई 10 इंच तक मिलती हैं. इन फसलों में विपरीत मौसम में गिरने की संभावना नहीं होती. पौधों की उचाई 80 सेंटी मीटर होती है. इस मौके पर गेहूं एवं मक्का अनुसंधान संस्थान, करनाल के वैज्ञानिक डॉ.अरुण गुप्ता और डॉ. अमित कुमार शर्मा श्रीप्रकाश रघुवंशी, रंजीत कुमार सिंह,सूर्य प्रकाश सिंह आदि लोग उपस्थित रहे.
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इसे बड़ी पहल मानी जा रही है क्योंकि जिस तरह से प्राकृतिक खेती पर जोर दिया जा रहा है, उसे देखते हुए देशी किस्मों का संरक्षण अहम हो जाता है. सरकार भी इसे बढ़ावा दे रही है. इस तरह की किस्में विपरती मौसम में भी अच्छी उपज देती हैं. साथ ही सिंचाई के साथ-साथ कम खाद में अच्छी पैदावार देने की क्षमता रखती हैं. इन किस्मों पर रिसर्च का रास्ता भी खुलेगा ताकि नई किस्में तैयार कर किसानों को सुपुर्द किया जा सके.
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