ऐसी खेती जिसमें पौधों को हवा में उगाया जाए, उसे एरोपोनिक फार्मिंग कहते हैं. यह नई तरह की खेती है जिसमें पौधे हवा में और जड़ें भी हवा में होती हैं. इसमें जमीन या खेत की जरूरत नहीं होती. बिना जमीन के हवा में खेती की जाती है.
इसमें पौधे पूरी तरह से हवा में झूलते हैं. मिट्टी के बदले पौधो ंको हवा में ही लगाया जाता है. जहां जमीन की घोर कमी होती है, वहां यह खेती सफल है. इसमें छोटे पौधों को आसानी से उगाया जाता है और उन्हें विकसित किया जाता है. यह अगले समय में सबसे प्रचलित खेती साबित होगी.
एरोपोनिक फार्मिंग ऐसी खेती है जिसमें पौधों की जड़े पूरी तरह से हवा में झूलती हैं. ये जड़ें आपको दिख भी जाती हैं क्योंकि इनका मिट्टी से कोई लेनादेना नहीं होता. इन जड़ों के माध्यम से भी पौधों को पोषण दिया जाता है और उन्हें बढ़ने का मौका मिलता है.
एरोपोनिक फार्मिंग में पौधों की जड़ों पर पानी छिड़का जाता है और इसी के माध्यम से उन्हें पोषक तत्व मिलते हैं. इस तरह की फार्मिंग अकसर सजावटी फूलों की की जाती है. या बागवानी फसलों की खेती में इसका प्रयोग होता है. जड़ों पर पोषक तत्वों से मिले पानी का छिड़काव किया जाता है.
इस तकनीक की मदद से सब्जियों की खेती बड़े पैमाने पर की जा सकती है. बाहर के देशों में इसका पूरा इस्तेमाल हो रहा है जहां जमीन और खेती की घोर कमी है. शहरों में जहां जमीन की किल्लत होती है, वहां भी एरोपोनिक फार्मिंग के माध्यम से खेती की जा रही है.
एरोपोनिक फार्मिंग ऐसी तकनीक है जिसे अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा भी अपना रही है. इस तकनीक की मदद से नासा स्पेस में पौधे उगा रहा है और उसे खाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है. नासा ने इस तकनीक पर बहुत रिसर्च की है.
अभी क्लाइमेट चेंज की समस्या सबसे बड़ी है. दिनों दिन जलवायु परिवर्तन गंभीर होता जा रहा है जिसका सबसे खराब असर खेती पर पड़ रहा है. साथ ही, रासायनिक खादों ने मिट्टी को बर्बाद कर दिया है. ऐसे में एरोपोनिक तकनीक खेती के लिए सबसे अच्छा माध्यम बन रही है.
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