देश में लगभग आम की 1000 वेरायटी पाई जाती है. इसमें तरह-तरह के आम देखे जा सकते हैं. पंजाब की बात करें तो वहां चौसा, दशहरी, मालदा आम प्रमुख है तो हरियाणा में चौसा, दशहरी, लंगड़ा और फाजिल आम का उत्पादन अधिक होता है.
देश में आम की पैदावार मई से मिलनी शुरू हो जाती है जो अगस्त-सितंबर तक चलती है. क्षेत्रों के हिसाब से आमों की वेरायटी होती है जिसके स्वाद का लोग आनंद उठाते हैं. राजस्थान में जहां बॉम्बे, ग्रीन, चौसा, दशहरी, लंगड़ा आम होते हैं तो गुजरात में केसर, अलफांसो, राजापुरी, जमादार, तोतापुरी, नीलम, दशहरी, लंगड़ा आम उगाया जाता है.
महाराष्ट्र में आम की बड़े पैमाने पर पैदावार होती है. यहां अलफांसो, तोतापुरी, बंगनपल्ली, पैरी, नीलम, मुलगांव आम प्रमुख हैं जबकि तमिलनाडु में अलफांसो, तोतापुरी, बंगनपल्ली, नीलम जैसी वेरायटी होती है. ये सभी वेरायटी गर्मियों में उगाई जाती है.
देश में आम उत्पादन में मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश का बड़ा योगदान है. इन दोनों राज्यों में आमों की अलग-अलग वेरायटी पैदा होती हैं जिनकी बाजारों में बेहद मांग होती है. आंध्र प्रदेश में जहां बंगनपल्ली, सुवर्णरेखा, नीलम, तोतापुरी किस्में होती हैं, वहीं मध्य प्रदेश में अलफांसो, बॉम्बे ग्रीन, दशहरी, फाजिल, लंगड़ा, नीलम जैसी वेरायटी होती हैं.
बंगाल भी आम का गढ़ माना जाता है जहां एक से एक वेरायटी निकलती है. यहां आम की कई किस्में पैदा की जाती हैं. इसी के साथ उत्तर प्रदेश का नाम भी आता है जहां आम की सबसे अधिक किस्में पाई जाती हैं. पश्चिम बंगाल में फाजिल, गुलाबखास, हिमसागर, किशनभोग, लंगड़ा, बॉम्बे ग्रीन आम होते हैं. उत्तर प्रदेश में बॉम्बे ग्रीन, चौसा, दशहरी, लंगड़ा नाम की वेरायटी पाई जाती है.
मैदानी राज्यों के साथ पहाड़ी राज्यों में भी आम की बंपर पैदावार होती है. पहाड़ी राज्यों में हिमाचल प्रदेश की बात करें तो यहां चौसा, दशहरी, लंगड़ा जैसी वेरायटी होती है. वहीं बिहार में बॉम्बे ग्रीन, चौसा, दशहरी, फाजिल, गुलाबखास, किशनभोग, हिमसागर, जर्दालु, लंगड़ा किस्में पाई जाती हैं.
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