बीते कई वर्षों से देश में गाय और गोमूत्र चर्चा का विषय बने हुए हैं, इसी क्रम में बीते दिनों IIT मुंबई से PHD कर चुके डॉक्टर राकेश चंद्र अग्रवाल ने संजीवनी रस की खोज की है. उन्होंने अपनी लैब में फ्लेवर्ड गोमूत्र (Flavoured Gomutra) तैयार किया है और इसको संजीवनी रस नाम दिया है.
इसी के साथ वो देश की अन्य गौशालाओं में भी इसको बनाने की विधि को लेकर ट्रेनिंग दे रहे हैं. डॉ राकेश लंबे समय से गोमूत्र पर रिसर्च कर रहे हैं, वह दावा करते हैं कि उनकी रिसर्च में सामने आया है कि गोमूत्र में कई तरह के लाभकारी एंजाइम्स और न्यूट्रिएंट्स होते हैं.
डॉ राकेश बताते हैं कि शुद्ध गौमूत्र का सेवन करने में कई लोगों की परेशानी होती है. इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने फ्लेवर गोमूत्र तैयार किया है, जिसमें ना तो स्मेल है और ना ही कोई बैक्टीरिया.
साथ ही इसके निरंतर सेवन से मनुष्यों में होने वाली गंभीर बीमारियों से भी निजात मिल रही है और यह सेहत के लिए भी लाभदायक है.
आईआईटी मुंबई से पीएचडी कर चुके डॉ राकेश ने किसान तक से बातचीत में फ्लेवर्ड गोमूत्र को तैयार करने का फार्मूला बताया. उन्होंने बताया कि इसके लिए सबसे पहले गाय का ताजा और सुबह का पहला गोमूत्र लेना होता है फिर उसके बाद अलग अलग तरह के प्राकृतिक केमिकल्स जैसे साइट्रिक एसिड, लैक्टिक एसिड, एस्कोरबिक एसिड और 5 माइक्रोन के वाटर प्यूरीफायर की आवश्यकता होती है.
इनस सबके साथ इसे फिर फिल्टर किया जाता है और फिर बाद में प्राकृतिक फ्लेवर और कलर भी डाले जाते हैं और फिर शुरू होता है इसकी पैकेजिंग का काम.
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