कहां कब और कैसे कोई व्यक्ति फर्जीवाड़े का शिकार हो सकता है, कोई नहीं जानता. नकली नोट, नकली दूध, नकली बीज, आदि-आदि के बारे में आपने खूब सुना होगा. लेकिन क्या कभी नकली खाद से आपका पाला पड़ा है? नहीं, तो आपको जरूर सावधान रहना चाहिए. किसान भाई-बहनों को इससे अधिक चौकन्ना रहने की जरूरत है. अभी रबी सीजन चल रहा है और गेहू, सरसों, मटर जैसी फसलों के लिए खाद की बहुत कमी है. ऐसे में कहीं वे नकली खाद (fake fertilizer) के शिकार न हो जाएं. एक ताजा घटना दिल्ली से सटे गाजियाबाद से सामने आई है जिसमें बड़े गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है.
दरअसल, गाजियाबाद में खाद की किल्लत का फायदा खाद माफिया उठा रहे हैं. हालिया घटना से साफ हो जाता है कि गाजियाबाद में खाद माफिया बड़े स्तर पर सक्रिय हैं. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि यहां कई नामी कंपनियों के बैग मिले हैं और जिला कृषि अधिकारी ने माना है कि यहां नकली फ़र्टिलाइज़र तैयार किया जा रहा था. छापेमारी में कृषि विभाग की टीम ने नकली खाद की कई बोरी जब्त की है जिसे मिक्सचर मशीन और लाल मिट्टी की मदद से बनाया जा रहा था. इसके बारे में जिला कृषि अधिकारी राकेश सिंह ने जानकारी दी.
मामला कुछ यूं है कि गाजियाबाद के लोनी के राजपुर गांव में नकली खाद बनाने की फैक्ट्री करीब तीन महीने से चल रही थी. हाल में यहां प्रशासनिक, कृषि और पुलिस की टीम ने छापेमारी की. छापेमारी के दौरान बड़ी मात्रा में नकली खाद (fake fertilizer) बरामद हुई. छापेमारी के दौरान भारी मात्रा मे यूरिया, एमओपी (म्यूरेट ऑफ पोटाश) फर्टेरा (कीटनाशक दवाई), डीएपी खाद सहित खेती में काम आने वाली कीटनाशक दवाइयां बरामद की गईं. अवैध फैक्ट्रियों पर कार्रवाई करने आई लोनी प्रशासनिक टीम को पहले से इसकी गुप्त सूचना मिली थी. उसी सूचना के आधार पर टीम ने छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम दिया.
छापेमारी में मिली खाद और दवाइयों की जांच से पता चला कि लाल मिट्टी और नमक मिलाकर एमओपी (म्यूरेट ऑफ पोटाश) बनाई जा रही थी. छापेमारी के दौरान कई नामी कंपनियों के नाम पर बनाई गई खाद और पोटाश की बोरियां बरामद की गई हैं. प्रशासन और कृषि विभाग की टीम अब यह जानने की कोशिश कर रही है कि इन नकली कंपनियों का गिरोह कहां तक फैला हुआ है.
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जानकारी के मुताबिक, गाजियाबाद में बड़े पैमाने पर नकली खाद (fake fertilizer) बनाने का गोरखधंधा चलाया जा रहा था. खास बात ये है कि छापेमारी में पकड़ी गई कंपनियों का कोई रजिस्ट्रेशन नंबर भी नहीं मिला है. रजिस्ट्रेशन नंबर से पता चल जाता है कि किसके नाम से कंपनी चल रही है. इससे कंपनी की पूरी जानकारी जुटाना आसान हो जाता है. लेकिन नकली कंपनियों का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं मिल पाया है.
अधिकारियों का मानना है कि तीन महीने से यह गोरखधंधा चल रहा था. खाद की कमी के कारण कालाबाजारी करने वाले और नकली खाद बनाने वालों को शह मिली. कृषि विभाग का कहना है कि इस तरह की छापेमारी लगातार चलती रहेगी ताकि इस तरह के काम कोई न कर सके. बरामद की गई नकली खाद (fake urea) की बोरियां ठीक असली की तरह हैं. इफको और उसके प्रोडक्ट के नाम भी वैसे ही लिखे गए हैं, जैसा असली बोरियों पर लिखा होता है. फर्जीवाड़ा करने वालों को इससे किसानों को चकमा देने में मदद मिली. नकली बोरियों पर वही बातें लिखी मिलीं जो असली खाद की बोरियों पर होती हैं. टीम ने बिना पैकिंग वाली कई खाली बोरियां भी जब्त की हैं जिन पर इफको लिखा हुआ है. 800 बैग पोटाश, 1200 बैग नाइट्रोजन और 500 बैग यूरिया जब्त की गई है.
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यूरिया के दाने चमकदार सफेद और एक समान गोल होते हैं. इसे अगर तावे पर गर्म करें तो यह पिघल जाता है. पिघलने के बाद अंत में कुछ नहीं बचता. पानी में भी यह आसानी से घुल जाता है. दाने को छूने पर ठंडा लगता है. अगर ऐसा नहीं हो तो आप मान कर चलें कि यूरिया नकली हो सकती है. डीएपी की पहचान (fake DAP) करनी है तो उसे नाखूनों से तोड़ कर देखें. अगर आसानी से टूट जाए तो डीएपी असली है. डीएपी के दाने को गर्म करने पर वह फूल जाता है जो असली होने की निशानी है.(इनपुट-मयंक गौड़)
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