किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है वर्मी कंपोस्ट खाद का इस्तेमाल, जानें बनाने की विधि और फायदे

किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है वर्मी कंपोस्ट खाद का इस्तेमाल, जानें बनाने की विधि और फायदे

Vermicompost : वर्मी कंपोस्ट एक उत्तम जैव उर्वरक है. इसे केंचुआ खाद भी कहा जाता है. यह खाद केंचुआ और गोबर की मदद से तैयार किया जाता है. किसान वर्मी कंपोस्ट खाद का खेतों में इस्तेमाल कर मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने की विधि और खेतों में इस्तेमाल करने के फायदे-

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किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है वर्मी कंपोस्ट खाद का इस्तेमाल, जानें बनाने की विधि और फायदेवर्मी कंपोस्ट खाद बनाने की विधि और फायदे

फसलों में रसायनिक उर्वरक और कीटनाशकों के इस्तेमाल करने की वजह से मिट्टी की उर्वरा क्षमता पर काफी प्रभाव पड़ता है. वहीं खेती को इन सबसे मुक्त करने का तरीका जैविक खेती है. जैविक खेती से खेती की लागत भी कम हो जाएगी और उत्पादन भी अधिक होगा. आमतौर पर किसान अपनी फसल में रासायनिक खाद का प्रयोग करते हैं जो कि जैविक खाद की तुलना में काफी महंगा पड़ता है. कुछ आसान विधियों से जैविक खेती करने के लिए वर्मी कंपोस्ट  घर पर ही बना सकते हैं. वहीं गाय का गोबर जैविक खाद के लिए उत्तम विकल्प माना जाता है जिसमें पौधों के लिए आवश्यक सभी सूक्ष्म तत्व संतुलित मात्रा में उपलब्ध रहते हैं.

इन सूक्ष्म तत्वों को पौधे या फसलें बड़ी आसानी से अवशोषित कर लेती हैं. जैविक खाद बनाने के लिए आजकल कई विधियां प्रचलन में हैं. इनमें से कंपोस्ट, नाडेप या वर्मी कंपोस्ट प्रमुख हैं. ऐसे में आइए इन तरीकों के बारे में जानते हैं- 

वर्मी कंपोस्ट क्या है?

वर्मी कंपोस्ट एक उत्तम जैव उर्वरक है. इसे केंचुआ खाद भी कहा जाता है. यह खाद केंचुआ और गोबर की मदद से बनाई जाती है. इसे तैयार होने में लगभग डेढ़ महीने लगते हैं. यह खाद वातावरण को प्रदूषित नहीं होने देती है. इस खाद में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. जो फसलों को तेजी से विकास में मदद करता है और मिट्टी को बेकार नहीं होने देता है. 

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वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए सामग्री

इस खाद को बनाने के लिए ऐसे ही सामानों का इस्तेमाल किया जाता हैं. जो आसानी से डी-कंपोज हो सके.
जैसे- किसी भी पशु का गोबर जैसे- गाय, भैंस, भेड़-बकरी इत्यादि; पेड़-पौधों के अवशेष (पेड़ की छाल, लकड़ी की छिलके, लकड़ी का बुरादा, घास, पत्तियां इत्यादि); एग्रीकल्चरल वेस्ट (फसलों के बचे अवशेष जैसे तना, पत्तियां, फल के अलावा रसोई घर में खाना बनाते वक्त जो सब्जियां,उसके छिलके जिन्हें हम कचरा समझकर फेंक देते हैं उनका प्रयोग किया जाता है; इंडस्ट्रियल वेस्ट (होटल, रेस्टोरेंट से निकलने वाले कचरे)

वर्मी कंपोस्ट बनाने की विधि

इस खाद को बनाना बेहद ही आसान है. वर्मी कंपोस्ट खाद को डेढ़ से दो महीने में आसानी से तैयार कर सकते हैं. वहीं वर्मी कंपोस्ट बनाने की मुख्य तीन विधियां हैं- प्लास्टिक या टटिया विधि, पिट विधि, बेड विधि आदि.

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वर्मी कंपोस्ट खाद से लाभ 

•    वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करने से खेतों में फसलों की वृद्धि होती है.
•    यह भूमि की उर्वरता, उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाता है. 
•    वर्मी कंपोस्ट खाद पर्यावरण को सुरक्षित रखने में सहायक होती है.
•    वर्मी कंपोस्ट प्राकृतिक और सस्ती होती है.
•    भूमि में उपयोगी जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि होती है.
•    वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करने से ऊसर भूमि को सुधारा जा सकता है.
•    इसके प्रयोग से फल, सब्जी, अनाज की गुणवत्ता में सुधार होता है, जिससे किसान को उपज का बेहतर मूल्य मिलता है.
•    उपयोग करने से वर्मी कंपोस्ट वाली भूमि में खरपतवार कम उगते हैं और पौधों में रोग कम लगने की संभावना होती है.

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