रबी सीजन में किसानों के लिए वरदान बन सकती है जौ की BH-393 किस्म, जानें इसकी खासियत

रबी सीजन में किसानों के लिए वरदान बन सकती है जौ की BH-393 किस्म, जानें इसकी खासियत

रबी सीजन में किसानों के लिए जौ की नई किस्म BH-393 तेजी से लोकप्रिय हो रही है. कृषि वैज्ञानिक ये मानते हैं कि यह किस्म न केवल उत्पादन में बढ़िया है बल्कि रोगों के प्रति सहनशीलता और कम लागत वाली खेती के लिए भी किसानों के लिए फायदेमंद है.

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रबी सीजन में किसानों के लिए वरदान बन सकती है जौ की BH-393 किस्म, जानें इसकी खासियतजौ की किस्म BH-393 तेजी से लोकप्रिय हो रही है

रबी सीजन में जौ की खेती भी बड़े स्तर पर की जाती है. यही वजह है कि किसानों के बीच जौ की नई किस्म BH-393 तेजी से लोकप्रिय हो रही है. कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि जौ की यह किस्म का न केवल उत्पादन बहुत अच्छा है बल्कि इसकी रोगों के प्रति सहनशीलता ज्यादा है. इसके साथ ही कम लागत वाली खेती के लिहाज से भी BH-393 किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही है. यही वजह है कि आज हम आपको जौ की नई किस्म BH-393 का खासियतें बता रही हैं. 

जौ की BH-393 किस्म की खासियत

  • जौ की इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत इसकी उच्च उत्पादन क्षमता है. जौ की BH-393 किस्म से आपको प्रति हेक्टेयर औसतन 55–60 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है. 
  • इसके साथ ही BH-393 किस्म कम अवधि में तैयार हो जाती है. BH-393 किस्म की फसल लगभग 140–145 दिन में तैयार हो जाती है. यही वजह है कि इससे गेहूं और अन्य रबी फसलों के साथ इसकी बोआई आसानी से की जा सकती है.
  • इस किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी है. BH-393 किस्म पत्ती झुलसा (leaf blight) और जंग (rust) जैसी आम बीमारियों के प्रति सहनशील है.
  • दाना गुणवत्ता भी इसकी काफी बेहतर है. BH-393 का दाना मोटा, चमकदार और उच्च माल्ट गुणवत्ता वाला होता है. इससे यह किस्म बीयर और माल्ट उद्योग में विशेष डिमांड में रहती है.
  • इसके साथ ही ये कम लागत वाली खेती भी है. अच्छी बात है कि इस किस्म को कम पानी और कम खाद की जरूरत होती है, जिससे किसान की लागत भी कम आती है.
  • जौ की BH-393 किस्म पशु चारे के लिए भी काफी अच्छी मानी जाती है. इसकी भूसी और पुआल मवेशियों के लिए उत्तम चारा बनते हैं.

किसानों के लिए क्यों फायदेमंद

अगर कोई किसान गेहूं के अलावा वैकल्पिक रबी फसल अपनाना चाहता है, तो उनके लिए BH-393 एक सुरक्षित और लाभकारी, कम लागत और हाई डिमांड वाली फसल है. इस किस्म के खेती करने से किसान को बेहतर दाम मिलते हैं क्योंकि इसे माल्टिंग उद्योग में प्राथमिकता मिलती है. कम लागत और समय में तैयार होने से यह उन किसानों के लिए भी सुविधाजनक है जिनके पास सिंचाई या संसाधन सीमित हैं.

विशेषज्ञों की राय

कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों का कहना है कि जौ की BH-393 किस्म किसानों को फसल विविधीकरण (crop diversification) में मदद करेगी. विशेषज्ञों के मुताबिक इससे एक ओर किसानों की गेहूं पर निर्भरता कम होगी और दूसरी ओर बाजारों में माल्ट जौ की बढ़ती मांग का फायदा भी किसानों को मिल सकता है.

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