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आलू का साइज बढ़ाने के लिए इन खादों का करें इस्तेमाल, सिंचाई में भी इन बातों का रखें ध्यान

आलू का साइज बढ़ाने के लिए इन खादों का करें इस्तेमाल, सिंचाई में भी इन बातों का रखें ध्यान

आलू की फसल को हल्की और जल्दी सिंचाई की आवश्यकता होती है. सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि पानी मेड़ों में हमेशा उसकी ऊंचाई के 3/4 भाग तक ही दें. आलू की रोपाई अच्छी नमी वाली मिट्टी में ही करें और पौधे निकलने के लगभग 15-20 दिन बाद सिंचाई करें.

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आलू की खेती के लिए जरूरी खाद आलू की खेती के लिए जरूरी खाद

टमाटर और प्याज की तरह, भारत में आलू का सेवन बारहमासी रूप से किया जाता है. इसकी खपत अधिक है इसलिए आलू की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है. यह जमीन के अंदर उगाई जाने वाली एक कंदीय फसल है, जिसकी खेती करना बहुत आसान है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में आलू की पैदावार कम होने के कारण अब बहुत कम लोग इसकी खेती करना पसंद करते हैं. जिस वजह से आलू की उत्पादकता में भी कमी आने लाही है. ऐसे में आलू की उत्पादकता और साइज बढ़ाने के लिए किसान इन खादों का इस्तेमाल कर सकते हैं. साथ ही किसानों को सिंचाई का भी खास ख्याल रखना होगा.

आलू का आकार बढ़ाने के लिए खाद

किसान आलू का आकार बढ़ाने के लिए एनपीके 0.0.50 का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके बाद एक अच्छा पीजीआर कल्टर लें और इसके साथ ही बी-20 बोरॉन लेना होगा. इसकी 200 से 210 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ प्रयोग करें. इसके अलावा आलू की फसल में नाइट्रोजन, सल्फर, फास्फोरस और कई अन्य पोषक तत्व को मिलाकर आलू का आकार बढ़ाया जा सकता है.

आलू की भरपूर पैदावार लेने के लिए खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर करें. यदि किसी कारणवश मिट्टी का परीक्षण न हो सके तो उस स्थिति में प्रति हेक्टेयर खाद एवं उर्वरक की निम्नलिखित मात्रा अवश्य डालनी चाहिए.

  • गोबर की खाद- 15-20 टन
  • नाइट्रोजन- 120-150 कि.ग्रा.
  •  फासफोरस- 80 कि.ग्रा
  • पोटाश- 80-100 कि.ग्रा.

कैसे करें खाद का इस्तेमाल

पहली जुताई से पहले खेत में गोबर की खाद को समान रूप से फैलाकर मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करें. बुआई से पहले नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की आधी मात्रा भूमि में मेड़ बनाकर फैला दें. इसके बाद मेड़ों और सिंचाई नालियों को तैयार करें. नाइट्रोजन की बची हुई मात्रा रोपण के 30-35 दिन बाद, मिट्टी डालने से पहले तथा सिंचाई के बाद दें.

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आलू की फसल में सिंचाई का तरीका

आलू की फसल को हल्की और जल्दी सिंचाई की आवश्यकता होती है. सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि पानी मेड़ों में हमेशा उसकी ऊंचाई के 3/4 भाग तक ही दें. आलू की रोपाई अच्छी नमी वाली मिट्टी में ही करें और पौधे निकलने के लगभग 15-20 दिन बाद सिंचाई करें. पहली सिंचाई के 15 दिन बाद दूसरी सिंचाई करें. स्टोलनाइजेशन और कंद बनने की अवस्था में सिंचाई ना करें. आलू की खुदाई से 10 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें.

आलू की उन्नत किस्में

अगर आप आलू की खेती करना चाहते हैं तो कुछ उन्नत किस्म के आलू की खेती कर सकते हैं. इसमें उन्नत किस्में शामिल हैं. कुफरी पुखराज किस्म, कुफरी सिन्दूरी किस्म, कुफरी चिप्सोना, कुफरी अलंकार और कुफरी नीलकंठ किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.