इस समय लहसुन का भाव आसमान पर है. इसका दाम 400 रुपये किलो तक पहुंच गया है. ऐसे में किसान इसकी खेती करके आमदनी का एक अच्छा साधन बना सकते हैं. लेकिन, इसकी फसल में रोगों के मैनेजमेंट का खास ध्यान रखें. क्योंकि ध्यान नहीं देंगे तो फसल खराब होगी और उससे बड़ा नुकसान हो जाएगा. इसलिए इसमें लगने वाले रोगों के प्रति सतर्क रहें. खासतौर पर थ्रिप्स को लेकर. अन्य रोगों और कीटों के अटैक का ध्यान भी रखना पड़ता है. ताकि पैदावार के मामले में आपको नुकसान नहीं उठाना पड़े और सही समय पर फसलों का उपचार किया जा सके. इसके निदान के लिए दवा उपलब्ध हैं.
लहसुन एक कन्द वाली मसाला फसल है. इसमें एलसिन नामक तत्व पाया जाता है जिसके कारण इसकी एक खास गंध एवं तीखा स्वाद होता है. लहसुन की एक गांठ में कई कलियाँ पाई जाती हैं. जिन्हे अलग करके एवं छीलकर कच्चा और पकाकर स्वाद, औषधीय तथा मसाला प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है. इसके चलते बाज़ार में हमेशा डिमांड बनी रहती है.
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ऐसे तो लहसुन पर कई रोग और कीट लगते हैं लेकिन इनमें सबसे खतरनाक थ्रिप्स कीट है. इसमें किसानों के खेतों में उपज का 50 से 60 प्रतिशत तक नुकसान होता है. थ्रिप्स कीट बहुत तेजी से फैलने वाले रोगों में से एक है. किसानों को समय रहते फसल की देख-रेख में सावधानी बरतने की जरूरत है. फसल सुरक्षित रखनी है तो इसकी देखभाल और कीटनाशक उपाय भी जरूरी है. ऐसे में जानिए किसान कैसे अपनी लहसुन की फसलों को कीटों से बचा सकते हैं.
आमतौर पर ये कीट आंखों से नहीं दिखाई देते. इसके नर व मादा दोनों ही तरह के कीट नुकसान पहुंचाते हैं. नर कीट हल्के भूरे या काले रंग व मादा हल्के पीले रंग की होती है. यह पौधों के नाजुक हिस्से पर प्रहार करता है. इससे पौधा विकास नहीं कर पाता है. ये कीट पत्तियों को खरोंच और छेदकर कर उसका सारा रस चूस जाते हैं. इस वजह से पत्तियां मुड़ जाती हैं. पौधे सूखकर गिरने लगते हैं.
इस रोग के निदान के लिए डाइमिथोएट 30 ईसी या फिर इमिडाक्लोप्रिड एक मिली दवा प्रति लीटर पानी की दर से घोल तैयार कर छिड़काव करें. लैंब्डा साइहेलोथ्रिन 2.5 अथवा पांच प्रतिशत का भी उपयोग किया जा सकता है. 2.5 प्रतिशत वाली दवा 400 मिली व पांच प्रतिशत वाली दवा 250 मिली प्रति एकड़ में का उपयोग किया जा सकता है.
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