खरीफ धान की बंपर उपज के लिए इन 5 कीटों और 7 रोगों से फसल को बचाना जरूरी, किसान जान लें ये आसान तरीका
खरीफ सीजन में धान की फसल को कई तरह के कीटों और रोगों से बचाना जरूरी होता है. कीटों और फसल के रोगों की रोकथाम के लिए अभी से परेशान हैं. लेकिन, यहां कुछ जरूरी बिंदु बताए जा रहे हैं, जिन पर अमल करके किसान धान की बंपर पैदावार हासिल कर सकते हैं और कीटों-रोगों से छुटकारा हासिल कर सकते हैं.
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कीटों के नियंत्रण के लिए खेत की जुताई, मेंड़ों की छंटाई और घास की सफाई नियमित होनी चाहिए.
खरीफ सीजन के लिए धान बुवाई की तैयारियों में किसान जुटे हैं. धान की बुवाई के लिए जितना खेत का अच्छी तरह से तैयार होना जरूरी है उतना ही उर्वरक और सही बीज का इस्तेमाल भी होना जरूरी है. इन सबके अलावा फसल को कई तरह के कीटों और रोगों से बचाना जरूरी होता है. कीटों और फसल के रोगों की रोकथाम के लिए अभी से परेशान हैं. लेकिन, यहां कुछ जरूरी बिंदु बताए जा रहे हैं, जिन पर अमल करके किसान धान की बंपर पैदावार हासिल कर सकते हैं और कीटों-रोगों से छुटकारा हासिल कर सकते हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि विज्ञान केंद्र ने खरीफ सीजन में धान बुवाई के लिए किसानों को सलाह दी है.
धान की फसल में फैलने वाले रोग
धान की फसल को कई तरह के रोग चौपट कर देते हैं. ऐसे रोगों से बचने के लिए किसानों को उन रोगों के बारे में जानना जरूरी है. इनके नाम हैं- सफेद रोग, विषाणु झुलसा, शीथ झुलसा, भूरा धब्बा, जीवाणु धारी, झोका, खैरा रोग. इन सभी रोगों के प्रबंधन के लिए किसानों को कुछ प्रमुख बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
रोग से फसल को बचाने का तरीका
गर्मी की जुताई तथा मेडों की छंटाई करते हुए घास की सफाई जरूर करें.
समय पर रोग प्रतिरोधी मानक बीजों की बुवाई करनी चाहिए.
बीज शोधन करके ही नर्सरी में बीज की बुवाई करनी चाहिए
3 ग्राम थीरम प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करके बुवाई करनी चाहिए.
धान के बीज को 1.50 ग्राम के साथ 1.50 ग्राम कार्बेन्डाजिम से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करना चाहिए.
झुलसा की समस्या वाले क्षेत्रों में 25 किलोग्राम बीज के लिए 38 ग्राम एमईएमसी और 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाईक्लीन को 45 लीटर पानी में बीज को रात भर भिगो दें और छाया में सुखाकर नर्सरी में बुवाई करनी चाहिए.
इसके बाद 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट को 20 किलोग्राम यूरिया 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए.
इसके बाद 5 किलोग्राम फास्फोरस सल्फेट की 20 किलोग्राम यूरिया के साथ 800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए.
क्षेत्र के अनुसार प्रजातियों की बुवाई करके पौध रोपण करना चाहिए.
आखिरी बीज शोधन 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर ट्राइकोडर्मा के साथ 60 से 80 किलोग्राम गोबर की खाद से भूमि शोधन आख़िरी जुताई में मिलाकर करना चाहिए.
फसल को चौपट कर देते हैं ये 5 कीट
धान की फसल में लगने वाले प्रमुख कीटों में दीमक, पत्ती लपेटक कीट, गन्धी बग, सैनिक कीट, तना बेधक जैसे कीट लगते हैं, जो फसल को बर्बाद कर देते हैं.
कीटों से बचाव के लिए ये तरीके अपनाएं किसान
इन कीटों के नियंत्रण के लिए गर्मी की जुताई तथा मेंड़ों की छंटाई और घास की सफाई करनी चाहिए.
फसल को खरपतवारों से मुक्त रखें
स्वच्छ उर्वरकों का प्रयोग करें.
अगेती और समय से पौध डालकर तैयार पौध की रोपाई करें
अवरोधी प्रजातियों की बुवाई करके फसल की उपज लें.
अधिक दूरी पर 20 सेंटीमीटर गुणे 20 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपाई करें.
प्रत्येक 20 कतार के बाद एक कतार छोड़कर रोपाई करें.
सिंचाई का उचित प्रबंध रखें या समयानुसार फसल को पानी दें.
रोपाई से पहले वाली फसल के अवशेषों को अच्छे से नष्ट करें.
रोपाई के पहले पौध के उपरी भाग को नष्ट कर रोपाई करें.
1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर नीम का आधारी कीटनाशकों का प्रयोग करें.
बाद में क्यूनालफास 25 ईसी का 1.25 लीटर या क्लोरोपईरीफास 20 ईसी का 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए.