उत्तर प्रदेश में खरीफ सीजन के लिए यूरिया और डी ए पी की कमी ना हो इसके लिए कृषि विभाग ने अधिकारियों को विशेष निर्देश दिए हैं. यूरिया की कालाबाजारी और ओवर रेटिंग के लिए भी सरकार के सख्त निर्देश है लेकिन इसके बावजूद भी जौनपुर जनपद में यूरिया को लेकर हाहाकार मचा हुआ है . जनपद की कई समितियों पर किसानों को यूरिया नहीं मिल रही है. यूरिया के लिए किसान एक समिति से दूसरी समिति तक भटकने को मजबूर हैं. खरीफ सीजन के अंतर्गत धान और मक्के की खेती के लिए किसान अब अधिक दाम पर बाजार से यूरिया खरीदने को मजबूर हैं.
जौनपुर जिले का पट्टी नरेंद्रपुर सहकारी समिति से कुल 9 गांव जुड़े हुए हैं. समिति के प्रभारी शैलेश ने किसान तक को बताया कि पिछले 15 दिनों से यूरिया (Shortage of Urea) गोदाम में नहीं है जिसके चलते किसान लौट रहे हैं. किसानों की 1000 हेक्टेयर से ज्यादा की खेती यूरिया की कमी की वजह से प्रभावित हो रही है. इसी क्षेत्र के किसान विपिन कुमार ने बताया किस समिति पर खाद नहीं है जिसके चलते उन्हें दूसरी समितियों पर भटकना पड़ रहा है. धान की फसल को अगर समय से यूरिया का छिड़काव नहीं हुआ तो इससे उत्पादन भी प्रभावित होगा. इसीलिए मजबूर होकर उन्हें बाजार से महंगे दामों पर यूरिया खरीदनी पड़ रही है. दूसरे किसान प्रमोद ने बताया कि खरीफ सीजन की फसल के लिए यूरिया का छिड़काव अब जरूरी है नहीं तो फसल पीली पड़ने लगेगी. ऐसे में समिति से यूरिया का ना मिलना उनके लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है.
जौनपुर जनपद में सहकारी समितियों के माध्यम से सरकार के यूरिया मिलने की तैयारी पर प्रश्नचिन्ह लगने लगा है. जिले के सहकारी समिति गद्दोपुर ,महाराजगंज ,फतेहपुर भटौली, भटपुरा पर इन दिनों यूरिया नहीं है. ऐसे में किसान बाजार से महंगे दामों पर यूरिया खरीदने को मजबूर है. सरकारी यूरिया की बिक्री दर 266 रुपए प्रति बोरी है जबकि बाजार के निजी दुकानदार ₹330 प्रति बोरी कीमत वसूल रहे हैं.
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यूरिया खाद की किल्लत से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. धान की निराई करने के बाद फसल में यूरिया खाद नहीं डालने से फसल को नुकसान हो सकता है. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर आर.के सिंह के अनुसार धान की नीति के बाद तीन से चार दिन में फसल को नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है नहीं तो फसल पीली होने लगती है. ऐसे में यूरिया का छिड़काव करना जरूरी होता है.
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