पिछले कई वर्षों से खेती में हानिकारक कीटनाशकों का लगातार उपयोग किया जा रहा है. इससे कृषि में लागत बढ़ रही है और मृदा के प्राकृतिक स्वरूप में भी नुकसानदायक बदलाव हो रहे हैं. रासायनिक खेती से प्रकृति और मनुष्य के स्वास्थ्य में काफी गिरावट आई है. रासायनिक खाद और कीटनाशकों के उपयोग से खाद्य पदार्थ अपनी गुणवत्ता खो देते हैं. इसके सेवन से हमारे शरीर पर बुरा असर पड़ता है. इनके उपयोग से मृदा की उर्वरा शक्ति प्रभावित हो रही है. इससे मृदा के पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ गया है. मिट्टी की इस घटती उर्वरा क्षमता को देखते हुए जैविक खाद का उपयोग जरूरी हो गया है. ऐसे में किसान खुद घर में जीवावृत तैयार कर सकते हैं.
कृषि वैज्ञानिक निदा पटेल, माधुरी चौरे और पंकज सूर्यवंशी बताते हैं कि एक एकड़ भूमि के लिए जीवावृत बनाना है तो सबसे से पहले पानी में और 10 किलोग्राम गाय का ताजा गोबर, 10 लीटर गाय का मूत्र, 1 किलोग्राम बेसन (किसी भी दाल का आटा), 1 किलोग्राम पुराना गुड़ और 1 किलोग्राम मिट्टी को मिला लें. यह सब चीजें मिलाने के बाद इस मिश्रण को 48 घंटों के लिए छाया में रख दें. दो से चार दिन बाद यह मिश्रण इस्तेमाल के लिए तैयार हो जाएगा.
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घोलने के बाद जीवामृत को जूट की बोरी या सूती कपड़े से ढक देते है. इसे बारिश के पानी तथा सूर्य के प्रकाश से बचाएं. तीन से चार दिन के अन्दर जीवामृत तैयार हो जाता है. जिसे एक सप्ताह तक प्रयोग कर लेने से लाभकारी होता है. देशी गाय के गोबर का इस्तेमाल करे, गोबर जितना ताजा होगा उतना ही सर्वोत्तम है. सामग्रियों को अच्छी तरह टंकी में घोल लें. घोल को घड़ी की सुई की दिशा में 2-3 मिनट तक घोलें. टंकी को बोरी से ढककर 72 घंटों तक छांव में रख दें. सुबह शाम दो-दो मिनट घोलें. इस घोल का उपयोग 7 दिनों के अंदर करें.
प्राकृतिक खेती द्वारा जमीन में स्थानीय पारिस्थितिकी का निर्माण होता है. इससे खेतों में ऑर्गेनिक कार्बन बढ़ाने में मदद मिलती है. ऐसा इस तरह की खेती के समर्थक दावा करते हैं. ऐसी खेती के लिए भारतीय नस्ल की किसी भी गाय का गोबर एवं मूत्र उन्नत माना गया है. इसमें लाभदायक सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या दूसरे पशुओं के गोबर की तुलना में काफी अधिक होती है. प्राकृतिक और ऑर्गेनिक खेती से केंचुए खेत में पनपने लगेंगे. जबकि रासायनिक खेती में वो मर गए हैं. प्राकृतिक खेती में इनपुट कॉस्ट कम लगती है, इससे किसानों को फायदा होने का दावा किया जाता है.
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