
पत्ता गोभी की खेतीबाजार में अब साधारण सब्जियों की तुलना में उनके नए अवतार यानी रंगीन किस्में काफी पसंद किए जा रहे हैं. चाहे वो चेरी टमाटर हो या रंग बिरंगी शिमला मिर्च, अब लोग साधारण हरी सब्जियों से ऊबकर रंग-बिरंगी सब्जियों का सेवन करके अपने शौक पूरे कर रहे हैं. ये सब्जियां बेशक अलग-अलग रंग की होती हैं, लेकिन इनके गुण साधारण सब्जियों के मुकाबले कहीं अधिक होते हैं. ऐसी ही एक सब्जी है लाल पत्ता गोभी, जिसकी बाजार में डिमांड बढ़ती जा रही है. ऐसे में अगर आप भी पत्ता गोभी की खेती करना चाहते हैं तो राष्ट्रीय बीज निगम इसकी बेस्ट किस्म का बीज बेच रहा है. आइए जानते हैं कैसे खरीदें.

एक संकर किस्म है, जिसे ICAR (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) द्वारा विकसित किया गया है. यह एंथोसायनिन से भरपूर और अत्यधिक पौष्टिक है. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर, यह किस्म कई स्वास्थ्य लाभ देता है. इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये अपनी लॉन्ग शेल्फ लाइफ के लिए किसानों के बीच लोकप्रिय है. इस किस्म की एक और खासियत है कि ये ब्लैक रॉट, डाउनी मिल्ड्यू आदि रोगों से लड़ने में सक्षम है. साथ ही पत्ता गोभी की अन्य किस्मों के मुकाबले ये किस्म 20 से 30 फीसदी ज्यादा उत्पादन देती है. वहीं, ये किस्म बुवाई के करीब 70 से 80 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
अगर आप भी पत्ता गोभी की खेती करना चाहते हैं तो पूसा लाल पत्ता गोभी हाइब्रिड-1 किस्म के एक ग्राम के पैकेट का बीज 50 फीसदी छूट के साथ 50 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएगा. इसे खरीद कर आप आसानी से पत्ता की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.
लाल पत्ता गोभी की खेती करने के लिए सबसे पहले मिट्टी की जांच और विशेषज्ञ से सलाह-मशवरा करना बेहद जरूरी है. इसकी खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी चिकनी मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है. लाल पत्ता गोभी की खेती के लिए नवंबर और जनवरी से लेकर फरवरी तक रोपाई कर सकते हैं. वैसे तो लाल पत्ता गोभी एक उन्नत किस्म है, लेकिन जैविक विधि से इसकी खेती करने पर किसानों को बेहतर उत्पादन लेने में खास मदद मिलती है. इसके पौधों की रोपाई से पहले खेतों में 3 से 4 गहरी जुताई लगाकर पाटा चलाया जाता है, जिससे मिट्टी भुरभुरा और रोग से मुक्त हो जाए. 15 से 20 टन साड़ी गोबर की खाद डालकर खेत तैयार कर लें. खेत की तैयारी के बाद खेत में ऊंची क्यारियां या मेड़ बनाएं. फिर लाइनों के बीच 50 सेमी. और पौधे के बीच 30 से 35 की दूरी रखकर रोपाई करें.
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