scorecardresearch
क्या DAP होने वाली है महंगी, ग्लोबल मार्केट में 150 डॉलर बढ़ गई कीमत, कंपनियों लगाई सरकार से गुहार

क्या DAP होने वाली है महंगी, ग्लोबल मार्केट में 150 डॉलर बढ़ गई कीमत, कंपनियों लगाई सरकार से गुहार

इफको के संयुक्त प्रबंध निदेशक और मुख्य वित्तीय अधिकारी राकेश कपूर के अनुसार, 2023-24 में नैनो-यूरिया की 4.5 करोड़ बोतलें (प्रत्येक 500 मिलीलीटर की) बेचने का लक्ष्य है, जो 20.25 लाख टन दानेदार यूरिया के बराबर है. सरकार दावा करती रही है कि एक बोतल 45 किलोग्राम बैग के बराबर है, हालांकि कुछ विशेषज्ञ इससे सहमत नहीं हैं.

advertisement
क्या डीएपी की कीमत में हो सकती है बढ़ोतरी. (सांकेतिक फोटो) क्या डीएपी की कीमत में हो सकती है बढ़ोतरी. (सांकेतिक फोटो)

डी-अमोनियम फॉस्फेट यानी डीएपी खाद की वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसका रेट जुलाई में 440 डॉलर प्रति टन से बढ़कर अब 590 डॉलर प्रति टन हो गया है. ऐसे में उर्वरक कंपनियों का मानना है कि वर्तमान खुदरा मूल्य को बनाए रखने के लिए फॉस्फोरस (पी) में सब्सिडी स्तर को बढ़ाने की जरूरत है. अभी डीएपी के 50 किलो का बैग 1350 रुपये में आ रहा है. जबकि, सरकार ने फॉस्फोरस (पी) पर सब्सिडी को घटा दिया है. सरकार ने पिछले रबी सीजन में मिलने वाली सब्सिडी राशि को 66.93 रुपये किलो से घटाकर इस बार 20.82 रुपये किलो कर दिया है. जबकि, खरीफ 2023 में सब्सिडी राशि को घटाकर 41.03 किलोग्राम कर दी थी.

फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएआई) के अध्यक्ष एन सुरेश कृष्णन ने कहा कि गैर-यूरिया उर्वरकों में, वैश्विक स्तर पर डीएपी की कीमत सबसे अधिक है. जबकि भारत में यह एमओपी और कॉम्प्लेक्स से कम है. उन्होंने सुझाव दिया कि इसमें नीतिगत बदलाव करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मूल्य में अस्थिरता और रबी सीजन 2023-24 के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) दरों में गिरावट पी और पोटाश (के) क्षेत्र की व्यवहार्यता को प्रभावित कर रही है. 

अपनी उपलब्धि बता रही है

कृष्णन ने कहा कि एनपीके उपयोग अनुपात, जिसे 2009-10 में 4.3:2:1 (आदर्श के करीब) तक सुधारा गया था, फिर से विकृत हो गया है और खरीफ 2022 के लिए 12.8:5:1 और खरीफ 2023 में 9:4.9:1 तक पहुंच गया है. विशेषज्ञों और निर्माताओं ने कहा कि उर्वरक के असंतुलित उपयोग में मुख्य रूप से यूरिया की अत्यधिक सब्सिडी वाली दर 267/45 रुपये किलोग्राम का बैग है. सरकार भारत के पड़ोसी देशों समेत अन्य देशों में यूरिया की ऊंची दरों की तुलना करते हुए इसे अपनी उपलब्धि बता रही है.

ये भी पढ़ें- Michaung Cyclone: क्या दिल्ली और उत्तर भारत में मिचौंग तूफान का असर होगा? मौसम विज्ञानी ने स्थिति स्पष्ट की 

4.5 करोड़ बोतलें बेचने का लक्ष्य है

इफको के संयुक्त प्रबंध निदेशक और मुख्य वित्तीय अधिकारी राकेश कपूर के अनुसार, 2023-24 में नैनो-यूरिया की 4.5 करोड़ बोतलें (प्रत्येक 500 मिलीलीटर की) बेचने का लक्ष्य है, जो 20.25 लाख टन दानेदार यूरिया के बराबर है. सरकार दावा करती रही है कि एक बोतल 45 किलोग्राम बैग के बराबर है, हालांकि कुछ विशेषज्ञ इससे सहमत नहीं हैं. चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-अक्टूबर के दौरान यूरिया की बिक्री 8 प्रतिशत बढ़कर 207.63 लाख टन (एलटी) हो गई, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 192.61 लाख टन थी. वहीं, डीएपी में मुख्य घटक फॉस्फोरिक एसिड की कीमतें अप्रैल 2022 में 1,530 डॉलर प्रति टन से घटकर जुलाई 2023 में 970 डॉलर और अक्टूबर 2023 में फिर से 985 डॉलर हो गईं.

ये भी पढ़ें- मेघालय की लाकाडोंग हल्दी में ऐसा क्या है जो GI टैग मिला, अब तेजी से बढ़ेगी किसानों की कमाई