DAP की बिक्री गिरते ही बाकी खादों की बढ़ी मांग, पोटाश ने मारी सबसे बड़ी छलांग

DAP की बिक्री गिरते ही बाकी खादों की बढ़ी मांग, पोटाश ने मारी सबसे बड़ी छलांग

DAP खाद की बिक्री में कमी आई है और 12.7 परसेंट की गिरावट के साथ 86 लाख टन खाद बिकी है. हालांकि म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) की बिक्री 31 परसेंट बढ़ी है और यह 17 लाख टन के आसपास है. कॉम्प्लेक्स खाद की बिक्री में 27 परसेंट का उछाल है और यह 122 लाख टन दर्ज की गई है. कॉम्प्लेक्स खाद में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और सल्फर आते हैं.

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DAP की बिक्री गिरते ही बाकी खादों की बढ़ी मांग, पोटाश ने मारी सबसे बड़ी छलांगखादों की बिक्री में इजाफा

देश में खादों की बिक्री बढ़ गई है. सभी खादों की बिक्री का रिकॉर्ड देखें तो इस साल 7.3 परसेंट की उछाल दर्ज की गई है. सभी खादों की बिक्री का यह आंकड़ा 526 लाख टन के आसपास है. यूरिया की बिक्री में भी अच्छी वृद्धि देखी गई है. पिछले साल के मुकाबले इसमें 6.4 प्रतिशत की तेजी है. पिछले साल यूरिया जहां 282 लाख टन बिकी थी, वहीं इस वित्त वर्ष में 31 दिसंबर तक 300 लाख टन तक बिक्री हो चुकी है. एक सरकारी आंकड़े में बिक्री की रिपोर्ट दी गई है.

दूसरी ओर DAP खाद की बिक्री में कमी आई है और 12.7 परसेंट की गिरावट के साथ 86 लाख टन खाद बिकी है. हालांकि म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) की बिक्री 31 परसेंट बढ़ी है और यह 17 लाख टन के आसपास है. कॉम्प्लेक्स खाद की बिक्री में 27 परसेंट का उछाल है और यह 122 लाख टन दर्ज की गई है. कॉम्प्लेक्स खाद में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और सल्फर आते हैं. 

यूरिया मामले में आत्मनिर्भर बनेगा भारत

सरकार ने पहले 2025 तक भारत को यूरिया के मामले में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा था और अधिक बिक्री के बावजूद इसके आयात पर अंकुश लगा दिया गया है. मौजूदा वित्त वर्ष में यूरिया का आयात पहले नौ महीनों के दौरान 43.16 लाख टन दर्ज किया गया, जबकि एक साल पहले यह 60.71 लाख टन था. यानी 28.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. पूरे वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान यूरिया का रिकॉर्ड आयात 98.28 लाख टन रहा था.

अप्रैल-दिसंबर के दौरान कुल खादों का आयात भी 18.4 प्रतिशत घटकर 120.54 लाख टन रह गया, जिसमें कॉम्प्लेक्स खादों का आयात 17.71 लाख टन से 16.1 प्रतिशत घटकर 14.85 लाख टन रह गया. डीएपी का आयात 50.47 लाख टन से 19.1 प्रतिशत घटकर 40.82 लाख टन रह गया. लेकिन, एमओपी का आयात 15.3 प्रतिशत बढ़कर 21.71 लाख टन हो गया.

नैनो डीएपी पर अधिक फोकस

सरकार अब नैनो डीएपी के लिए भी वैसा ही प्रयास करने की योजना बना रही है जैसा उसने नैनो यूरिया के मामले में किया था, ताकि फसल की पैदावार को प्रभावित किए बिना फॉस्फेटिक खाद की खपत भी कम हो. सभी खादों का उत्पादन 1.6 प्रतिशत बढ़कर 391.62 लाख टन हो गया, जिसमें यूरिया 232.02 लाख टन, डीएपी 31.5 लाख टन, कॉम्प्लेक्स 81.94 लाख टन, एसएसपी 40.57 लाख टन और अमोनियम सल्फेट 5.59 लाख टन शामिल हैं.

डीएपी सब्सिडी में बढ़ोतरी

इस बीच, यूरिया सब्सिडी 98,258.74 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, जबकि पोटाश और फॉस्फोरस के लिए यह 40,990.67 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, जो कुल मिलाकर बजट में आवंटित 1,64,000 करोड़ रुपये का 84.9 प्रतिशत है. सरकार ने अभी तक संशोधित अनुमान की घोषणा नहीं की है, जिसमें इस वित्त वर्ष में दो बार डीएपी पर सब्सिडी में बढ़ोतरी के कारण बिक्री मूल्य 1,350 रुपये/बैग पर बनाए रखने के लिए बजट में रिवीजन होगा.

 

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