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फल, सब्जियां और अनाज उगाने के लिए रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के छिड़काव की मात्रा बढ़ गई है. दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए भैंसों और गायों को खतरनाक इंजेक्शन दिए जा रहे हैं. इन सब पर गौर करें तो ऐसा लगता है कि सभी की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है. इसी सोच से महाराष्ट्र के नासिक जिले में जैविक सब्जियों की खेती बढ़ी है. किसान जहरीली खेती छोड़कर ऑर्गेनिक की ओर रुझान बढ़ा रहे हैं. राज्य सरकार ने डॉ. 'पंजाबराव देशमुख जैविक मिशन' योजना का हाल ही में विस्तार किया है. नासिक जिले में हर साल लगभग 500 हेक्टेयर जैविक खेती का टारगेट था, जिसमें से अब तक 90 फीसदी लक्ष्य पूरा कर लिया गया है. बाकी एरिया भी जल्द ही कवर हो जाएगा.
बाजार में जैविक सब्जियों की अच्छी मांग है. सब्जियों की फसल के लिए किसान गोबर खाद, कम्पोस्ट खाद, वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग कर रहे हैं. जिससे उत्पादन और गुणवत्ता अच्छी मिल रही है. हालांकि कुछ किसान रासायनिक उर्वरकों का भी उपयोग करते हैं, लेकिन कोई भी किसान सब्जियों की फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव नहीं करता. ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश किसान जैविक तरीके से सब्जियों का उत्पादन करते हैं. अब मिशन के तहत इसे और बढ़ाया जा रहा है.
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यहां पर अगर व्यक्तिगत तौर पर कोई किसान सब्जियों की जैविक खेती करे तो इसके लिए उसे कोई सब्सिडी नहीं मिलती. लेकिन एक किसान समूह या एक किसान कंपनी 'पंजाबराव देशमुख जैविक मिशन' योजना के तहत सब्सिडी के लिए आवेदन कर सकता है. इस योजना के तहत तीन साल तक जैविक खेती के लिए 30 लाख तक की सब्सिडी मिलेगी. भारत सरकार जरूर जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत मदद देती है. इसके तहत किसानों को तीन साल के लिए प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये दिए जाते हैं. किसानों को इसमें से जैविक खाद, जैविक कीटनाशकों और वर्मी कंपोस्ट आदि खरीदने के लिए 31,000 रुपये खर्च करने पड़ते हैं.
जैविक सब्जियां स्वास्थ्य के लिए उपयोगी और लाभकारी होती हैं. क्योंकि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अवशेष सब्जियों में मिल जाते हैं. जिले में 500 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में सब्जियां लगाई गई हैं. 275 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में हरी मिर्च लगाई गई है. हजारों से अधिक किसान जैविक सब्जियां पैदा कर रहे हैं. इस पर जिला कृषि अधिकारी विवेक सोनावणे ने कहा कि जैविक सब्जियों और कृषि उपज की बाजार में अच्छी मांग है. जैविक खेती के महत्व को समझते हुए, कई किसान जैविक खेती कर रहे हैं. जिले के कुछ गांवों में शत-प्रतिशत जैविक खेती पर भी जोर दिया गया है.
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