खरीफ सीजन के फसलों की कटाई शुरू हो चुकी है. अब इसके बाद रबी सीजन के फसलों का दौर शुरू शुरु हो गया है. सभी किसान रबी फसलों के लिए फल और सब्जियों की बुवाई में जुट गए हैं. अक्तूबर महीने की शुरूआत से ही रबी फसलों की खेती की शुरुआत हो जाती है. पंजाब में भी किसान रबी फसलों की खेती की तैयारी में जुट गए हैं. लेकिन इस बीच पंजाब के किसानों को डाय-अमोनियम फॉसफेट (डीएपी) की कमी का सामना करना पड़ रहा है. डीएपी की कमी होने के कारण किसानों को खेती करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
दरअसल पंजाब में जितनी डीएपी की खपत है उससे कम आपूर्ति की गई है. इसके कारण किसानों को डीएपी की कमी से जूझना पड़ सकता है. बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को डीएपी की आपूर्ति की जाती है. इसका इम्पोर्ट किया जाता है. डीएपी का उपयोग प्रमुख तौर पर गेहूं, आलू और सरसों की बुवाई के दौरान किया जाता है. बता दें कि पंजाब में गेहूं की बुवाई 15 अक्तूबर से शुरू हो जाती है, जबकि दक्षिण-पश्चिमी जिलों में नवंबर के पहले सप्ताह से गेहूं की बुवाई शुरू की जाती है.
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पंजाब सरकार ने इस बार रबी सीजन के लिए 5.5 लाख मीट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता बताई थी. जबकि केंद्रीय पूल से राज्य को 4.68 लाख मीट्रिक टन डीएपी का आवंटन किया गया. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य की तरफ से जारी किए गए अनुमान के अनुसार सिर्फ गेहूं की खेती के लिए राज्य को 4.8 लाख मीट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता होती है और सब्जी की खेती के लिए 80 हजार मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत होती है. रिपोर्ट के अनुसार शनिवार तक पंजाब को केवल 1.56 लाख मीट्रिक टन डीएपी मिली है. इसमें निजी कंपनियों द्वारा की गई आपूर्ति भी शामिल है.
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उम्मीद की जा रही है कि अक्तूबर महीने में राज्य को 2.5 लाख मीट्रिक टन डीएपी मिलने की उम्मीद है. हालांकि अगर इस आपूर्ति में किसी तरह की भी बाधा होती है तो इसका सीधा असर राज्य की खेती पर पड़ेगा. पंजाब की डीएपी के प्रबंधन के लिए नोडल एजेंसी मार्कफेड पंजाब के अधिकारियों ने बताया कि देश भर में डीएप की भारी कमी है. अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार के सचिव के बार-बार के अनुरोध के बाद पंजाब को अक्तूबर के 2.5 एलएमटी डीएपी आवंटित किया गया है. अगर यह राज्य को मिल जाता है तो काफी हद तक किसानों को राहत मिल सकती है.
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