हम जब भी बाजार से ब्रेड, दूध, दही या कोई भी खाद्य पदार्थ खरीदते हैं तो उसकी एक्सपायरी डेट जरूर देखते हैं. इससे हमें यह जानने में मदद मिलती है कि जो सामान हम खरीद रहे हैं वह कब बना है और हम उसका उपयोग कितने समय तक कर सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या खेतों में इस्तेमाल होने वाला उर्वरक भी खराब हो सकता है या नहीं.
खाद की एक्सपायरी डेट की बात करें तो खाद विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक खनिजों और तत्वों से बने होते हैं, जो समय के साथ नष्ट नहीं होते हैं. इससे साल दर साल उर्वरकों का भण्डारण किया जा सकेगा. इसलिए, रासायनिक उर्वरकों की कोई समाप्ति तिथि नहीं होती है. चूंकि यह लंबे समय तक खराब नहीं होता इसलिए किसान इसे लंबे समय तक रख सकते हैं.
उर्वरक की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती है, लेकिन इसे लंबे समय तक सुरक्षित रखना किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है, ऐसे में किसानों को कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है. इस पर सबसे ज्यादा ध्यान बरसात के मौसम में देना पड़ता है क्योंकि बरसात के दिनों में बोरी के भीगने का खतरा रहता है.
इसके अलावा अन्य दिनों में हवा का खतरा बना रहता है. हवा के संपर्क में आने पर खाद पत्थर जैसी हो जाती है. इससे इसकी गुणवत्ता पर फर्क पड़ता है.
सरकार का मुख्य उद्देश्य किसानों को उचित एवं सस्ती कीमत पर उर्वरक उपलब्ध कराना है. ऐसे में किसानों को सीधे सब्सिडी बांटना संभव नहीं है. इसलिए सरकार किसानों को सीधे सब्सिडी नहीं देती है. हालाँकि, सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी किसानों के खाते में नहीं आती है और इसका भुगतान सीधे कंपनियों को किया जाता है.
इसके चलते कंपनी से यूरिया की 45 किलो की बोरी 2236.37 रुपये की आती है. सरकार द्वारा इस पर सब्सिडी देने के बाद किसानों को एक बैग यूरिया सिर्फ 266.50 रुपये में दिया जाता है.
खाद मिट्टी द्वारा धीरे-धीरे अवशोषित होती है, इसलिए इसके उपयोग से पौधों के आगे विकास में मदद मिलती है. फसल से अधिक उपज प्राप्त करने के लिए किसान बुआई से पहले उर्वरक का उपयोग करते हैं. ताकि फसल की अच्छी पैदावार हो सके. मिट्टी में उर्वरक डालने से उसकी उर्वरता बढ़ती है. इसके प्रयोग से मिट्टी के भौतिक गुणों में सुधार होता है.
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