भारत में फिलहाल 3,000 हेक्टेयर क्षेत्र में ड्रैगन फ्रूट की खेती की जा रही है. सरकार ने इसका रकबा बढ़ाकर 50,000 हेक्टेयर करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस फल की खेती यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, ओडिशा और अन्य कई राज्यों में की जा रही है और किसानों को खूब मुनाफा हो रहा है.
ड्रैगन फ्रूट कलम से पौधे तैयार कर और सीधे बीज से भी उगाया जा सकता है. बीज से पौधा उगाने पर किसानों को फल के लिए काफी इंतजार करना पड़ सकता है. इसलिए कलम से पौधे तैयार कर इसकी व्यवसायिक खेती करनी चाहिए, जिससे जल्दी फल लगेंगे और किसानों की आय होती रहेगी.
ड्रैगन फ्रूट की कलम से पौधे तैयार करने के लिए कलम की लंबाई 20 सेंटीमीटर तक रखें और इसे पहले गमलों में लगाएं. गमलों में इसे सूखी गाय का गोबर, रेतीली मिट्टी और रेत भरकर छाया वाली जगह पर रख दें. सूखा गोबर, रेतीली मिट्टी और रेत का अनुपात क्रमश: 1:1:2 रखें. ड्रैगन फ्रूट गर्म जलवायु में लगने वाली फसल है, जिसके लिए कम से कम 50 सेमी बारिश वाला क्षेत्र जरूरी है. ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए 20 डिग्री सेल्सियस से 36 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सबसे उपयुक्त माना जाता है.
पौधों के सही विकास और अच्छी पैदावार के लिए रोशनीदार और धूप वाले इलाकों में लगाना चाहिए. हालांकि, ज्यादा धूप और गर्मी इस पौधे के लिए सही नहीं है. भारत में सामान्यत: तीन वैरायटी के ड्रैगन फ्रूट उगाए जा रहे हैं. ये वैरायटियां फलों और इनके बीजों के रंग और आकार के हिसाब से बांटी गई हैं. 1. सफेद वैरायटी, 2. लाल गुलाबी वैरायटी, 3. पीली वैरायटी
1. सफेद वैरायटी के ड्रैगन फ्रूट के पौधे का फल का अंदर से सफेद होता है, जिसमें छोटे-छोटे काले रंग के बीज होते हैं. बाजार में इस किस्म का ड्रैगन फ्रूट कम भाव पर बिकता है. 2. लाल गुलाबी वैरायटी के ड्रैगन फ्रूट का फल अंंदर से गुलाबी होता है.पकने पर फल का ऊपर से भी गुलाबी रंग का हो जाता है. यह स्वाद में काफी बेहतर होता है और सफेट वैरायटी से महंगा बिकता है. 3. ड्रैगन फ्रूट की पीली वैरायटी में पौधों में जब फल आते हैं तो उनका रंग बाहर से पीला होता है. वहीं, अंदर का गूदा सफेद होता है. यह स्वाद में दोनों किस्मों से ज्यादा बेहतर होता है और दोनों से अधिक कीमत पर बिकता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today