जानिए क्या है टपक सिंचाई, कम से कम पानी में कैसे बढ़ाएं अपनी उपज

जानिए क्या है टपक सिंचाई, कम से कम पानी में कैसे बढ़ाएं अपनी उपज

कई बार पौधों को जरूरत से ज्यादा पानी दे दिया जाता है. इससे पौधे के जिस हिस्से पर पानी की आवश्यकता नहीं होती, उस पर भी पानी लग जाता है. इससे पौधे के खराब होने और कीड़े लगने का डर सताने लगता है. फिर इसी पौधे को बचाने के लिए किसान कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में टपक सिंचाई इन सभी समस्याओं का एकमात्र समाधान है.

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जानिए क्या है टपक सिंचाई, कम से कम पानी में कैसे बढ़ाएं अपनी उपजटपक सिंचाई पद्धति से खेती में बड़े पैमाने पर पानी की बचत होती है

गोरखपुर के एक किसान ने कम पानी में अच्छी उपज लेकर बाकी किसानों के लिए उदाहरण पेश किया है. इस किसान ने सिंचाई में टपक सिंचाई से फसलों को पानी दिया है. इससे बड़े पैमाने पर पानी की बचत हुई है और फसलों को सही मात्रा में पानी मिलने से उपज में अच्छी वृद्धि देखी गई है. सिंचाई का पानी बचने से किसान की लागत कम हुई है जिससे आय बढ़ाने में मदद मिल रही है. ये किसान गोरखपुर के बासगांव तहसील के जानीपुर गांव के रहने वाले हैं. इनका नाम है इंद्र प्रकाश सिंह जो आधुनिक खेती पर विश्वास करते हैं. वे खुद को आधुनिक किसान बताते हैं. यही वजह है कि उन्होंने टपक सिंचाई पद्धति का इस्तेमाल किया.

इंद्र प्रकाश सिंह ने यूपी कॉलेज वाराणसी से एग्रीकल्चर में एमएससी किया हुआ है. उनका शुरू से मानना रहा है कि पढ़ाई जब तक अपने काम में चरितार्थ न हो, तब तक वह पढ़ाई सफल नहीं होती. लिहाजा अपनी किसानी को मजबूती देने के लिए इंद्र प्रकाश सिंह ने आधुनिक सोच के साथ खेती शुरू की. उन्हें पता था कि प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं, इसलिए बचत करते हुए ही खेती को भी आगे बढ़ाना होगा. पानी अनावश्यक रूप से बर्बाद न हो, इस पर पूरा फोकस किया गया.

टपक पद्धति से सिंचाई

कई बार पौधों को जरूरत से ज्यादा पानी दे दिया जाता है. इससे पौधे के जिस हिस्से पर पानी की आवश्यकता नहीं होती है, उस पर भी पानी लग जाता है. इससे पौधे के खराब होने और कीड़े लगने का डर सताने लगता है. फिर इसी पौधे को बचाने के लिए किसान कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं. अब सवाल है कि इन सब से कैसे बचा जा सकता है? 

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इसमें सबसे पहले इंद्र प्रकाश ने सिंचाई में बदलाव करने के बारे में सोचा. अब मात्र एक छोटे से प्रयोग से इंद्र प्रकाश अपने एकड़ भर में फैली खेती के फसलों को पानी पहुंचा देते हैं. इससे पानी की एक बूंद का भी नुकसान नहीं होता. ऐसा करने से वे अपने पौधों को खराब होने से भी बचा लेते हैं. अधिक पानी से खराब हुए पौधों को बचाने के लिए इंद्र प्रकाश को कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता. ड्रिप इरिगेशन प्रोसेस या टपक सिंचाई के तहत वे अपने खेतों में लगी फसलों तक पानी पहुंचा देते हैं. इसके लिए उन्हें ट्यूबवेल या बोरवेल से बहुत पानी की जरूरत नहीं पड़ती. 

टपक पद्धति से खेतों में सिंचाई

महंगी बिजली और महंगे डीजल के युग में अगर कम खर्च में सिंचाई का काम हो रहा है, तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है. गोरखपुर आसपास के इलाके में अभी टपक सिंचाई पद्धति अधिक प्रचलन में नहीं है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि किसानों में इसे लेकर जागरुकता की कमी है. 

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किसान अगर पद्धति का फायदा जान जाएं तो कुछ खर्च में टपक सिंचाई का सिस्टम लगाया जा सकता है. इससे सरकार का सपना 'पर ड्रॉप मोर क्रॉप' (प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना) भी साकार होगा. इस सिंचाई पद्धति को अपनाकर 40-50 प्रतिशत पानी की बचत के साथ ही 35-40 प्रतिशत उत्पादन में वृद्धि और उपज की क्वालिटी में सुधार संभव है. टपक विधि का सबसे बड़ा फायदा ये है कि एक घंटे के भीतर एक एकड़ की खेत की सिंचाई की जा सकती है और पानी की बर्बादी भी रुक जाएगी.(रिपोर्ट/रवि गुप्ता)

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