तमिलनाडु एक कृषि प्रधान राज्य है. यहां पर किसान पारंपरिक फसलों की खेती करने के साथ- साथ बागवानी भी करते हैं. यहां के इरोड जिले में किसान बड़े स्तर पर हल्दी की खेती करते हैं. ऐसे में जिले को राज्य में हल्दी का मुख्य केंद्र माना जाता है. लेकिन, हल्दी की खेती करना धान की फार्मिंग से कम कठिन नहीं है. इसमें भी बहुत अधिक श्रम शक्ति की जरूरत पड़ती है. इससे किसानों के ऊपर लागत बढ़ जाती है.
खास कर हल्दी की कई बार निराई, गुड़ाई की जाती है. साथ ही खेतों में उर्वकों का छिड़काव भी किया जाता है. अंत में हल्दी के गांठों की खुदाई करना और इसकी सफाई करना भी बहुत भारी काम होता है. इसके ऊपर भी बहुत अधिक खर्च करने पड़ते हैं. लेकिन अब किसानों को हल्दी की खेती में होने वाले खर्च को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है. जिले के पी रामाराजू नाम के एक किसान ने एक साल की कड़ी मशक्कत के बाद एक मशीन बनाई है, जिससे हल्दी के गांठों की खुदाई करना बहुत ही आसन हो गया है.
ऐसे पी रामाराजू एक सीमांत किसान हैं और हल्दी की खेती करते हैं. इनका कहना है कि हल्दी की खेती में श्रम शक्ति पर बहुत अधिक खर्च करना पड़ता है, जो सीमांत किसानों के लिए समस्या खड़ी कर देता है. इनका कहना है कि कई बार समय पर मजदूर नहीं मिलने पर फसल को नुकसान भी पहुंचता है. ऐसे में मैंने सोंचा कि क्यों न एक ऐसी मशीन बनाई जाए, जो हल्दी की गांठों को जमीन से खोदकर बाहर निकाल दे, जिससे मजदूरों की कम से कम जरूरत पडे. ऐसे में पी रामाराजू ने बिजली से चलने वाला एक पावर टीलर बनाया.
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खास बात यह है कि इसे चलाने के लिए 13 एचपी उर्जा की जरूरत होती है. इस मशीन में हल्दी के गांठों की खुदाई करने के लिए डीगर लगाए गए हैं. साथ ही समान रखने के लिए एक बॉक्स भी बनाया गाय है. मशीन चलाने पर डीगर्स जमीन के अंदर धस जाते हैं और हल्दी की गांठों को मिट्टी से बाहर निकाल देते हैं. इसके बाद मशीन शैकर की मदद से हल्दी की साफाई करती है.
किसान का कहना है कि यह मशीन हल्दी हार्वेस्टर है. पी रामाराजू की माने तो 7 घंटे में आप इस मशीन एक एकड़ में लगी हल्दी को निकाल सकते हैं. हालांकि, इस मशीन को खेत में चलाने से पहले हल्दी की एक निश्चित दूरी पर रोपाई करनी चाहिए. हल्दी की दो कतारों के बीच की दूरी कम से कम डेढ़ से दो फीट होनी चाहिए. वहीं, ड्रिर सिंचाई प्रणाली वाले खेतों में इस मशीन को आसानी से चलाया जा सकता है. खास बात यह है कि यह मशीन एक घंटे में एक लीटर डीजल पीती है, जिसका वहन एक आम किसान भी कर सकता है. अगर आप इस तकनीक को समझना चाहते हैं, तो किसान रामाराजू से संपर्क कर सकते हैं.
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