खेती-किसानी में बड़ा बदलाव, इन नई किस्मों से किसानों की आमदनी बढ़ाने की तैयारी

खेती-किसानी में बड़ा बदलाव, इन नई किस्मों से किसानों की आमदनी बढ़ाने की तैयारी

नई फसल किस्में और तकनीकी सिफारिशें उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए कारगर. अधिक उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता से किसानों को मिलेगा सीधा लाभ. सस्ते और टिकाऊ जैविक और रासायनिक उपायों से फसल सुरक्षा संभव. एनपीके और सूक्ष्म तत्वों के सटीक छिड़काव से फसल की गुणवत्ता में सुधार.

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खेती-किसानी में बड़ा बदलाव, इन नई किस्मों से किसानों की आमदनी बढ़ाने की तैयारीगेहूं की नई किस्म से उत्पादन में वृद्धि

कृषि विज्ञान में लगातार हो रहे अनुसंधान और नवाचारों के चलते अब किसानों को अधिक उत्पादन, रोग प्रतिरोधक किस्मों और पर्यावरण-संवेदनशील तकनीकों का लाभ मिल रहा है. ताजा कृषि सिफारिशों में जहां कई नई किस्मों की अनुशंसा की गई है, वहीं पुरानी और अप्रभावी किस्मों को हटाया गया है. साथ ही फसलों की कीट और रोग प्रबंधन, पोषक तत्वों की खुराक, और पराली प्रबंधन को लेकर भी महत्वपूर्ण दिशानिर्देश जारी किए गए हैं.

कृषि की नई उन्नत किस्में और सिफारिशें:

धान: पूसा बासमती 1718

प्रकार: अर्ध-बौनी बासमती किस्म

लंबाई: 120 सेमी

पकने की अवधि: 140 दिन

उपज: 18-20 क्विंटल/एकड़

विशेषता: सुगंधित और पारंपरिक बासमती जैसा स्वाद

उड़द: कोटा उड़द-6

पकाव अवधि: 76 दिन

रोग प्रतिरोधकता: क्रिंकल विषाणु, श्यामवर्ण रोग के प्रति प्रतिरोधी

कीट प्रभाव: एफिड, फलिघुन और फली मक्खी का कम प्रकोप

मक्का (पॉपकार्न): HPC-4

पकने की अवधि: 115-120 दिन

उपज: 18 क्विंटल/एकड़

अनुशंसा: सिंचित और उपजाऊ क्षेत्रों के लिए उपयुक्त

चारा जई: HFO 917 और HFO 1014

HFO 917: 76.7 क्विंटल हरा चारा + 9.5 क्विंटल बीज/एकड़

HFO 1014: 74.1 क्विंटल हरा चारा + 9.7 क्विंटल बीज/एकड़

उपयोग: दोहरे उद्देश्य (चारा और बीज)

फसल प्रबंधन पर वैज्ञानिक सुझाव:

जिंक और आयरन की कमी पर समाधान (ज्वार चारा फसल):

छिड़काव: 0.5% जिंक सल्फेट + 0.5% फेरस सल्फेट + 2% यूरिया

समय: 15 दिन के अंतराल पर दो बार

ग्वार की उपज बढ़ाने के लिए, उर्वरक छिड़काव:

एनपीके 19-19-19 (1%) या

पोटाशियम नाइट्रेट (0.5%)

समय: फूल और फली बनने की अवस्था में

लोबिया फसल के लिए:

उपयोग: एनपीके 19-19-19 (2%) फूल और फली बनने की अवस्था में

कीट और रोग प्रबंधन:

धान: पत्ता लपेट सुंडी

उपाय: ट्राइकोग्रामा कीलोनिस के 40,000-50,000 अंडे/एकड़, 10 दिन के अंतराल पर 4 बार

धान: पीला तना छेदक सुंडी

दवा: आईसोसाईकलोसीरम (इन्सिपिओ) 120 मिली /200 लीटर पानी

समय: रोपाई के 20 और 35 दिन बाद

कपास: हरा तेला

दवा: सिमोडिस 9.2% डीसी (80 मिली/एकड़)

नरमा: थ्रिप्स या चूरड़ा

दवा: सिमोडिस 9.2% डीसी (240 मिली/एकड़)

लक्षित कीट: थ्रिप्स + हरा तेला

बरसीम में अमेरिकन सुंडी नियंत्रण:

ट्राईकोग्रामा कीलोनिस से परजीवीकृत 50,000 अंडे/एकड़, फूल अवस्था से 7 दिन के अंतराल पर 3 बार

गेहूं के लिए सिफारिशें:

खरपतवार नियंत्रण:

दवा: अक्लोनिफेन 36.89% + डाइफ्लूफेनीकन + पाइरोक्ससल्फोन

मात्रा: 800 मिली/200 लीटर पानी/एकड़, बुवाई के तुरंत बाद

देर से बोई गई फसल:

पोषण: पोटेशियम नाइट्रेट 1% घोल, बालियां निकलते समय और दाना भरने पर

गर्मी तनाव से बचाव:

छिड़काव: सैलिसिलिक एसिड 800 पीपीएम, वनस्पति और फूल खिलने के चरणों पर

पराली प्रबंधन:

HAU बायो-डीकम्पोजर द्वारा पराली को खेत में गलाने की सिफारिश

पुरानी किस्मों को हटाया गया:

धान: एचकेआर 120, एचकेआर 126, एचकेआर 46

मूंग: सत्या, बसंती

निष्कर्ष:

सरकार और कृषि अनुसंधान संस्थानों की ये सिफारिशें देश के किसानों को अधिक उपज, बेहतर क्वालिटी और पर्यावरण-अनुकूल कृषि पद्धतियों की ओर ले जाने का प्रयास हैं. नई किस्मों और रोग-कीट नियंत्रण तकनीकों से कृषि लागत घटेगी और आमदनी बढ़ेगी, जो भारत के दूसरे हरित क्रांति की राह बना सकती है.

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