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सरसों की फसल में लग सकता है चेंपा रोग, पूसा के कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने जारी की एडवाइजरी

सरसों की फसल में लग सकता है चेंपा रोग, पूसा के कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने जारी की एडवाइजरी

कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने 17 जनवरी तक के ल‍िए एडवाजरी जारी करके बताया है क‍ि इस मौसम में तैयार खेतों में प्याज की रोपाई करें. रोपाई वाले पौधे छह सप्ताह से ज्यादा के नहीं होने चाहिए. पौधों को छोटी क्यारियों में रोपाई करें. यह मौसम गाजर का बीज बनाने के लिए भी उपयुक्त है. 

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Advisory for farmers Advisory for farmers

गेहूं, सरसों और सब्जी फसलों को लेकर भारतीय कृष‍ि अनुसंधान संस्थान, पूसा के वैज्ञान‍िकों ने एक एडवाइजरी जारी की है. यह एडवाइजरी 17 जनवरी तक के ल‍िए वैल‍िड है. ज‍िसे कृषि भौतिकी संभाग के कृषि वैज्ञानिकों ने मौसम को ध्यान में रखकर तैयार क‍िया है. इसमें रबी सीजन की प्रमुख फसलों गेहूं और सरसों पर व‍िशेष तौर पर ध्यान रखने की क‍िसानों से अपील की गई है. वैज्ञान‍िकों ने कहा है क‍ि मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि सरसों की फसल में चेंपा कीट की निरंतर निगरानी करते रहें. प्रारम्भिक अवस्था में प्रभावित भाग को काट कर नष्ट कर दें. 

चेंपा फसलों का रस चूसने वाली कैटेगरी का कीट है. यह कीट बिना पंखों वाला होता है, जो पौधे की पत्तियों, डंठल और फलियों को चूसकर उसे नष्ट कर देता है. सरसों की फसल को यह कीट बहुत जल्दी खराब कर देता है. इस कीट के फरवरी के अंतिम सप्ताह में तापमान में बढ़ोतरी होने पर हल्के पंख आ जाते हैं. तब यह उड़कर दूसरे पेड़-पौधों को भी अपनी गिरफ्त में ले लेता है. इसल‍िए इसकी पौधों में न‍िगरानी बहुत जरूरी है.

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गेहूं-चने की खेती का रखें ध्यान 

वैज्ञान‍िकों ने अपनी इस एडवाइजरी में गेहूं की फसल में दीमक लगने का ध्यान रखने को कहा है. यद‍ि दीमक का प्रकोप दिखाई दे तो बचाव के ल‍िए किसान क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी @ 2.0 ली. प्रति एकड़ 20 कि.ग्रा. बालू में मिलाकर खेत में शाम को छिड़क दें. जबक‍ि चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी हेतु फीरोमोन ट्रैप का इस्तेमाल कर सकते हैं. एक एकड़ में तीन से चार ट्रैप इसके कंट्रोल के ल‍िए पर्याप्त होंगे. यह ट्रैप उन्हीं खेतों में लगाने चाह‍िए ज‍िनमें चने के पौधों में 15% तक फूल खिल गये हों.   

प्याज की रोपाई के ल‍िए इन बातों का दें ध्यान 

इस मौसम में तैयार खेतों में प्याज की रोपाई करें. रोपाई वाले पौधे छह सप्ताह से ज्यादा के नहीं होने चाहिए. पौधों को छोटी क्यारियों में रोपाई करें. रोपाई से 10-15 दिन पूर्व खेत में 20-25 टन सड़ी गोबर की खाद डालें. 20 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 60-70 कि.ग्रा. फ़ॉस्फोरस तथा 80-100 कि.ग्रा. पोटाश आखिरी जुताई में ड़ालें. पौधों की रोपाई अधिक गहराई में ना करें तथा कतार से कतार की दूरी 15 से.मी. पौधे से पौधे की दूरी 10 से.मी. रखें.  

फूलगोभी की रोपाई मेड़ों पर करें 

कद्दूवर्गीय सब्जियों के अगेती फसल की पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पालीथीन के थेलों में भर कर पाली घरों में रखें. इस मौसम में तैयार बन्दगोभी, फूलगोभी, गांठगोभी आदि की रोपाई मेड़ों पर कर सकते हैं. पालक, धनिया, मेथी की बुवाई कर सकते हैं. पत्तों के बढ़वार के लिए 20 कि.ग्रा. यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं. गोभीवर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक तथा टमाटर में फल छेदक की निगरानी हेतु फीरोमोन ट्रैप लगाएं. एक एकड़ में चार ट्रैप काफी होंगे.  

गाजर का बीज तैयार करने का तरीका 

यह मौसम गाजर का बीज बनाने के लिए उपयुक्त है, इसल‍िए ज‍िन किसानों ने फसल के लिए उन्नत किस्मों की उच्च गुणवत्ता वाले बीज का प्रयोग किया है तथा फसल 90-105 दिन की होने वाली है, वे जनवरी माह के प्रथम पखवाडें में खुदाई करते समय अच्छी, लम्बी गाजर का चुनाव करें, जिनमे पत्ते कम हो. इन गाजरों के पत्तो को 4 इंच का छोड़ कर उपर से काट दें.  गाजरों का भी उपरी 4 इंच हिस्सा रखकर बाकी को काट दें. अब इन बीज वाली गाजरों को 45 से.मी. की दूरी पर कतारों में 6 इंच के अंतराल पर लगाकर पानी लगाएं.

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