किसान आम और लीची के बाग से साल भर की मेहनत और उपज की जो आस लगाए रहते हैं, उनकी आशा पर पानी फिरने के लिए आम और लीची के दुश्मन कीट घात लगाकर बैठे रहते हैं. ये कीट मंजर और फूलने की अवस्था पर अटैक करके मंजर और फूल को क्षति पहुंचा देते हैं. इसकी वजह से आम उत्पादकों की सारी मेहनत पर फिर जाता है. डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, बिहार के पादप सुरक्षा विभाग के हेड डॉ एस. के. सिंह ने बताया कि अगेती मध्यम पछेती आम लीची के किस्मों में तापक्रम के अनुसार बौर यानी मंजर अब आना शूरू हो जाएगा.
इस साल बिहार आम के लिए ऑन ईयर है. इसका मतलब है इस साल आम में अच्छी फलन होगी. कृषि वैज्ञानिक ने इनके दुश्मन कीट की पहचान कर उनका रोकथाम करने की सलाह दी है. वही उपज बढ़ाने वाले मित्र कीट मधुमक्खी को संरक्षण करने की सलाह है जिससे आम और लीची से बेहतर उपज लेकर अधिक लाभ कमाया जा सके.
डॉ एस.के. सिंह के अनुसार, आम के बेहतर उत्पादन के लिए अहम है कि आम के पेड़ पर गुजिया कीट जैसे घातक कीट से निपटा जाए. बिहार सहित कई राज्यों में आम के पेड़ों पर गुजिया कीट बौर अवस्था से लेकर फलन अवस्था तक बड़ा नुकसान पहुंचाते हैं. अगर आम उत्पादकों को लगता है कि उनके आम के पेड़ पर गुजिया कीट का प्रकोप है, तो वे डाएमेथोएट 30 ई.सी. या क्विनाल्फॉस 25 ई.सी.को 1.5 मीली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते हैं.
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अगर आम के बागों का प्रबंधन सही से नहीं होता है, तो वहां पर हापर या भुनगा कीट बहुत संख्या में हो जाते हैं, जो आम के बौर और फूल को काफी नुकसान पहुंचाते हैं. यहां तक कि जिस बाग में सूर्य का प्रकाश जमीन तक पहुंचता है, वहां भी इन कीटों की संख्या ज्यादा होती है. जब पेड़ पर मंजर आते हैं, तो ये मंजर इन कीटों के लिए बहुत ही अच्छे भोजन होते हैं, जिससे इन कीटों की संख्या में वृद्धि होती है.
इन कीटों की पहचान का दूसरा तरीका यह है कि जब कोई व्यक्ति बाग के पास जाता है, तो झुंड के झुंड कीड़े पास आते हैं. अगर इन कीटों को नहीं रोका जाए, तो ये मंजर से रस चूस लेते हैं, जिससे मंजर झड़ जाते हैं. इसलिए प्रति बौर 10-12 भुनगा कीट दिखाई दे तो इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. @ 1 मीली दवा प्रति 2 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए.
अगर मंजर आ चुका है और फूल खिल गए हैं, तो किसी भी रसायनिक दवा का छिड़काव नहीं करना चाहिए क्योंकि इस समय बाग में मधुमक्खियां ज्यादा रहती हैं. इससे ज्यादा परागण होता है, जिससे बौर में ज्यादा आम के फल लगते हैं. यह छिड़काव फूल खिलने से पहले करना चाहिए या फल लगने की प्रक्रिया (फ्रूट सेटिंग) समाप्त होने के बाद करना चाहिए. अन्यथा बाग में आने वाली मधुमक्खियां प्रभावित हो सकती हैं, जिससे परागण कम होता है और उपज प्रभावित होती है.
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आम और लीची के टिकोलों (छोटे फल) को गिरने से रोकने के लिए प्लेनोफिक्स @ 1 मिलीलीटर दवा प्रति 3 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना जरूरी है. जब आम के फल मटर के दाने के बराबर हो जाएं, तो सिंचाई प्रारंभ कर देनी चाहिए. इससे पहले बाग में सिंचाई नहीं करनी चाहिए, अन्यथा फूल झड़ सकते हैं. फल के मटर के दाने के बराबर होने के बाद बाग की मिट्टी को हमेशा नम रखना जरूरी है, अन्यथा फल के झड़ने की संभावना बनी रहती है.
डॉ एस. के. सिंह केअनुसार, लीची के बाग में प्रति हेक्टेयर 20 से 25 मधुमक्खी के बॉक्स रखने से बेहद लाभ होता है. यह बॉक्स रखने से लीची के बाग में अच्छा परागण होता है और उच्च कोटि का शहद भी प्राप्त होता है. इससे किसान को अतिरिक्त आमदनी मिलती है. बॉक्स रखने से लीची के पेड़ पर अधिक फल लगते हैं और उत्पादन में भारी वृद्धि होती है. लेकिन ध्यान देना चाहिए कि लीची के बाग में फूल खिलने की अवस्था पर रासायनिक दवाओं का छिड़काव नहीं करना चाहिए. अगर किसी दवा का छिड़काव किया जाता है, तो इससे मधुमक्खियों को नुकसान पहुंचेगा और वे बाग से बाहर चली जाएंगी.
इसके साथ ही लीची के फूल के कोमल हिस्सों को भी नुकसान पहुंचने की संभावना होती है. अगर लीची के फूल काले पड़ रहे हैं, तो हेक्साकोनाजोल नामक फफुंदनाशक @ 1 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव किया जा सकता है. इन तरीकों को अपनाकर आम और लीची के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है और अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है.
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