
कड़ाके की ठंड और कोहरे के असर से जहां आम जन प्रभावित हैं, वहीं आलू की फसल के बचाव के लिए करनाल के शामगढ़ स्तिथ आलू प्रौद्योगिकी केंद्र के उप निदेशक डॉ. मोंगिया ने किसानों को जरूरी टिप्स दिए हैं. उन्होंने कहा कि किसानों को खेतों में अगर लेट ब्लाइट (पछेती झुलसा) बीमारी का असर दिखाई दे रहा है तो किसान उस बीमारी का तुरंत उपचार करें. सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि खेतों में फफूंदनाशक दवाई का छिड़काव करें. किसान कोहरे से बचाव के लिए अपने खेतों में माइक्रो स्प्रिंकलर से हल्की सिंचाई करें.
डॉ. मोंगिया ने बताया कि इस समय मौसम में बदलाव के चलते हमने अलग-अलग फील्ड में सर्वे भी करवाया है. इसमें अभी कहीं पर भी लेट ब्लाइट यानी झुलसा रोग नजर नहीं आया है. हरियाणा में इस प्रकार के रोग का असर अभी कहीं पर भी दिखाई नहीं दिया है.आलू संस्थान में कई राज्यों के प्रगतिशील किसान सालाना मीटिंग में पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि आलू से जुड़े जो भी प्रगतिशील किसान होते हैं, उन्हें एक साथ इकट्ठा किया जाता है ताकि हरियाणा में आलू की खेती करने वाले किसानों को किसी भी तरह की कोई दिक्कत न हो.
हरियाणा में प्रमुख आलू प्रौद्योगिकी केंद्र करनाल जिले के शामगढ़ गांव में है. यह केंद्र एरोपोनिक्स और एपिकल रूटेड कटिंग के माध्यम से बीज आलू के उत्पादन में भारत के सर्वश्रेष्ठ केंद्रों में से एक है. इस केंद्र में, वायरस मुक्त क्वालिटी वाले बीज का उत्पादन करने के लिए टिश्यू कल्चर आधारित बीज आलू का उत्पादन किया जाता है. प्रारंभिक पीढ़ी के मिनी कंद बीज (G0) का उत्पादन मिट्टी, मृदा रहित माध्यम और एरोपोनिक्स में कीट मुक्त नेट हाउस में किया जाता है. केंद्र और विभाग के अन्य सरकारी खेतों में मिनी कंद बीजों के गुणन द्वारा 74 एकड़ क्षेत्र में आधार बीज (G1 और G2) और प्रमाणित बीज (G3 और G4) का उत्पादन किया जाता है.
डॉ मोंगिया ने 'आजतक' को बताया कि हर साल की तरह बायर-सेलर की सालाना बैठक में इस बार भी आलू उत्पादकों ने भाग लिया. अलग-अलग प्रदेशों से पहुंचे किसानों को एक छत के नीचे आलू की खेती से संबंधित सारी जानकारियों के साथ संसाधन उपलब्ध करवाए जाते हैं ताकि हरियाणा के किसानों को किसी भी किस्म की समस्या बिक्री में में नहीं आए. साथ ही, किसान संस्थान के माध्यम से आलू की क्वालिटी को बरकरार रखते हुए अन्य किसी भी राज्य से न पिछड़ें. उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल, उतर प्रदेश और मध्य प्रदेश सहित हरियाणा के अग्रणी आलू किसान मीटिंग में पहुंचे. आलू की किस्में मौसम के अनुसार उपज देती हैं. यहां की किस्म उदय 7008, के. मोहन और के. पुखराज की मार्केट में कीमत काफी अच्छी है.
डॉ. मोंगिया ने आलू किसानों को सलाह देते हुए कहा कि इस समय का मौसम लेट ब्लाइट बीमारी का हो सकता है. अपने खेत में बदल-बदल कर फफूंदी नाशक दवाई का इस्तेमाल करें. किसान इस समय अपने खेत में पानी बिल्कुल भी खड़ा ना होने दें. पानी खड़े होने से पौधों को नमी मिल जाती है जिससे लेट ब्लाइट बीमारी आने का खतरा बढ़ जाता है.
आलू प्रौद्योगिकी केंद्र, शामगढ़ में पहुंचे किसान जगतार सिंह ने बताया कि केंद्र द्वारा आलू किसानों की सालाना बैठक का आयोजन किया गया था जिसके तहत वे यहां पहुंचे हैं. किसान जगतार सिंह ने बताया कि केंद्र के विशेषज्ञों ने आलू की कई किस्मों को तैयार किया है जिससे किसानों को फायदा हो रहा है. उन्होंने बताया कि किसान फसल विविधीकरण के तहत कई फसलों की खेती की तरफ अपने कदम बढ़ाए हैं. इसमें अलग-अलग सब्जियां, आलू, अजवाइन आदि को कम समय में लगाकर ज्यादा मुनाफा ले सकते हैं. गेहूं जैसी फसल में कम से कम 7 महीने बाद आप की जेब में पैसा आएगा, जबकि दूसरी फसलों में जल्दी आना शुरू हो जाता है. उन्होंने बताया कि इन्हीं सरकारी केंद्रों की वजह से कृषि जगत में आज हरित क्रांति आई है.
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