फसलों को 90 परसेंट तक खत्म कर देता है कुरमुला कीट, इस खतरे से कैसे बचेगी खेती?

फसलों को 90 परसेंट तक खत्म कर देता है कुरमुला कीट, इस खतरे से कैसे बचेगी खेती?

Kurmula Insect: खेती में किसानों के लिए मौसम के अलावा कीट और रोग भी परेशानी का सबब बनकर आते हैं. एक ऐसा ही कीट है कुरमुला, जिसके फसलों में लगने से 90 फीसदी तक नुकसान होता है. ये कीट खरीफ सीजन वाली फसलों के लिए अधिक खतरनाक होता है.

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फसलों को 90 परसेंट तक खत्म कर देता है कुरमुला कीट, इस खतरे से कैसे बचेगी खेती?Kurmula Insect: कुरमुला कीट

कुरमुला भारत में एक मुख्य हानिकारक कीट के रूप में जाना जाता है. यह कीट विभिन्न राज्यों जैसे-हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में बहुतायत रूप में पाया जाता है. यह कीट मौसम और फसल की उपलब्धता के अनुसार काफी हानि पहुंचाता है. मुख्यतः यह कीट मॉनसून के समय पर अधिक नुकसान पहुंचाता है. भारत में यह कीट पर्वतीय और मैदानी दोनों इलाकों में काफी क्षति पहुंचाता है.

अलग-अलग राज्यों में उगाई जाने वाली फसलों में अधिक नुकसान पहुंचाने के कारण इसे कई राज्यों जैसे-उत्तराखंड में राजकीय/राज्य कीट का दर्जा भी दिया गया है. दरसअल, इसके बारे में ICAR के वैज्ञानिक अंशुमन सेमवाल, निकिता चौहान, ओजस चौहान, राकेश कुमार और विश्व गौरव सिंह चंदेल का मानना है कि यह कीट पर्वतीय क्षेत्रों में बरसात में बोई जाने वाली फसलों में 20 से 75 प्रतिशत तक का नुकसान पहुंचाता है. वहीं, मैदानी क्षेत्रों में यह कीट फसलों को 90 प्रतिशत तक की हानि पहुंचाता है. ऐसे में आइए जानते हैं इस कीट के खतरे से अपनी फसलों को कैसे बचाएं?

ये हैं बचाव के आसान टिप्स

  1. ये कीट जब बरसात के बाद प्रजनन के लिए पौधों की पत्तियों पर होते हैं, उस समय पौधों के नीचे किसी तिरपाल को रखकर उस पौधे को जोर से हिलाकर सभी कीटों को तिरपाल में इकट्ठा करके उन्हें नष्ट कर देना चाहिए.
  2. कुरमुला कीट से फसलों को बचाने के लिए खेतों में सूखे गोबर का छिड़काव करना चाहिए. ध्यान रखें ताजे या गिले गोबर का इस्तेमाल कभी ना करें.
  3. कुरमुला कीट अपने प्रथम, द्वितीय और तृतीय अवस्था में मिट्टी में रहती है.  इनका शरीर अधिक कोमल होने के कारण सूर्य की किरणों की गर्मी को सहन नहीं कर पाता है, इसलिए खेतों की ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करनी चाहिए. इससे ये कीट मिट्टी के ऊपर आ जाते हैं, जो सूर्य के प्रकाश से नष्ट हो जाते हैं. या चिड़ियों का शिकार हो जाते हैं.
  4. ये कीट फसलों पर रात के समय हमला करते हैं. ऐसे में उन्हें नष्ट करने के लिए खेतों में स्टिकी ट्रैप का उपयोग करना चाहिए.
  5. खेतों में मॉनसून के बाद होने वाले काम जैसे-निराई-गुड़ाई करते समय अत्यधिक संख्या में ये कीट मिलते हैं. इन्हें एक पात्र में इकट्ठा करके उन्हें नष्ट कर देना चाहिए.
  6. जिन क्षेत्रों में कुरमुला कीट से अधिक नुकसान होता हो, वहां पर सोयाबीन या रामदाना आदि की बुआई करना किसानों के लिए फायदेमंद और लाभकारी हो सकता है. इन फसलों में कुरमुला कीट की नुकसान का स्तर काफी कम होता है.

इन दवाओं से करें बचाव

कुरमुला कीट से बचाव के किसान मेटाराइजियम एनीसोपली और ब्युवेरिया बेसियाना 1.0×104 प्रति ग्राम वाले फार्मूलेशन का 3.0 ग्राम प्रति वर्गमीटर की दर से प्रयोग करने पर कीट की संख्या में काफी कमी आती है.  वहीं, कीट के नियंत्रण के लिए कीटनाशक दवा को मिट्टी में शाम के समय मिलाना चाहिए. इसके अलावा कई फसलों की बुवाई से पहले खेत में इमिडाक्लोप्रिड 200 एसएल कीटनाशक को 0.048 किग्रा की दर से प्रति हेक्टेयर  प्रयोग करके कुरमुला कीट से फसलों को बचाया जा सकता है. साथ ही सोयाबीन और अन्य खरीफ फसलों में कीट से बचाव के लिए थायामेथोक्साम 25 डब्ल्यू एस नामक कीटनाशक का 1.2 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करना चाहिए. 

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