IMD Alert: ठंड बढ़ने से पहले मौसम का हाल और खेती पर असर, पढ़ लें हर जरूरी बात

IMD Alert: ठंड बढ़ने से पहले मौसम का हाल और खेती पर असर, पढ़ लें हर जरूरी बात

मौसम विभाग का अलर्ट किसानों के लिए चेतावनी और अवसर दोनों है. ठंड के मौसम में फसलें जितनी तेजी से बढ़ती हैं, उतना ही खतरा भी रहता है पाले और नमी के असंतुलन का. इसलिए किसानों को चाहिए कि वे स्थानीय मौसम पूर्वानुमान पर नजर रखें और अपनी खेती की योजना उसी के अनुसार बनाएं.

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IMD Alert: ठंड बढ़ने से पहले मौसम का हाल और खेती पर असर, पढ़ लें हर जरूरी बातठंड के मौसम में फसलों के सामने होती हैं दोहरी चुनौतियां

देशभर में मौसम के तेवर बदलने लगे हैं. भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अगले कुछ दिनों के लिए कई राज्यों में तापमान में गिरावट और घने कोहरे की चेतावनी जारी की है. उत्तरी भारत के कई हिस्सों में रात का तापमान सामान्य से 2 से 3 डिग्री नीचे पहुंच गया है. इसका सीधा असर रबी सीजन की फसलों और किसानों की तैयारियों पर पड़ने वाला है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि बदलते मौसम का असर खेती पर क्या होगा और किसानों को अभी क्या सावधानियां बरतनी चाहिए.

उत्तर भारत में बढ़ेगी सर्दी 

आईएमडी IMD के अनुसार, नवंबर के दूसरे सप्ताह से ठंडी हवाएं उत्तर भारत में अपनी पकड़ मजबूत करने लगी हैं. जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बर्फबारी का दौर शुरू हो सकता है, जबकि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में न्यूनतम तापमान में तेज गिरावट दर्ज की जाएगी. उत्तर-पश्चिमी हवाओं के कारण इन इलाकों में सुबह के समय कोहरा और दिन में हल्की धूप देखने को मिलेगी. इसके अलावा मध्य भारत के हिस्सों जैसे मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी रात का तापमान धीरे-धीरे नीचे जाएगा.

खेती पर मौसम के बदलाव का असर

रबी सीजन की फसलों जैसे गेहूं, चना, सरसों और मटर के लिए यह समय बेहद अहम होता है. ठंड के शुरुआती दिनों में तापमान का धीरे-धीरे गिरना इन फसलों के लिए फायदेमंद होता है, क्योंकि इससे अंकुरण और बढ़वार दोनों में सुधार आता है. हालांकि, अचानक ठंड बढ़ने या पाला पड़ने से नुकसान भी हो सकता है. अगर रात का तापमान 5 डिग्री से नीचे चला गया तो पौधों की कोशिकाएं जम सकती हैं, जिससे फसल पीली पड़ जाती है या सूखने लगती है. इसलिए किसानों को फसल की सुरक्षा के लिए पहले से तैयारी करनी चाहिए.

गेहूं और सरसों की बुआई पर असर

आईएमडी के अनुमान के मुताबिक, अगले 10 दिनों में तापमान में और गिरावट की संभावना है. ऐसे में गेहूं की बुआई करने वाले किसानों को बीज उपचार पर विशेष ध्यान देना चाहिए. बीज को फफूंदनाशक से उपचारित करने के बाद ही बोएं ताकि शुरुआती ठंड और नमी से बीमारियों का खतरा कम हो. सरसों की फसल के लिए भी अत्यधिक ठंड नुकसानदायक हो सकती है, इसलिए सिंचाई के बीच उचित अंतर रखें और पाले से बचाव के लिए खेत में हल्की सिंचाई करें.

पशुपालन पर भी होगा असर

ठंड बढ़ने से पशुओं के स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है. दूध देने वाले पशुओं की देखभाल में विशेष सावधानी की जरूरत होती है. पशुओं को रात के समय गर्म स्थान पर रखें और उन्हें गुनगुना पानी पिलाएं. तापमान में अचानक गिरावट से जानवरों में सर्दी-जुकाम या निमोनिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए उनके बाड़ों को सूखा और गर्म रखना जरूरी है.

किसानों के लिए जरूरी सुझाव

  • खेतों में नमी बनाए रखें ताकि पाले का असर कम हो.
  • सिंचाई का समय सुबह के बजाय शाम को रखें ताकि रात में तापमान गिरने पर मिट्टी का तापमान संतुलित रहे.
  • अगर मौसम में कोहरा या धुंध बनी रहती है तो फसलों पर रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए फफूंदनाशक का छिड़काव करें.
  • खेतों की मेड़ पर पेड़ या घास लगाकर ठंडी हवाओं से फसलों की रक्षा की जा सकती है.

ठंड में जरूरी है सही तैयारी 

मौसम विभाग का अलर्ट किसानों के लिए चेतावनी और अवसर दोनों है. ठंड के मौसम में फसलें जितनी तेजी से बढ़ती हैं, उतना ही खतरा भी रहता है पाले और नमी के असंतुलन का. इसलिए किसानों को चाहिए कि वे स्थानीय मौसम पूर्वानुमान पर नजर रखें और अपनी खेती की योजना उसी के अनुसार बनाएं. सही तैयारी के साथ ठंड का मौसम रबी की फसलों के लिए वरदान साबित हो सकता है.

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