खरबूजा और वो भी सजावटी. सुनने में थोड़ा अटपटा लग रहा है. लगे भी क्यों नहीं, क्योंकि खरबूजा की लताएं तो बहुत लंबी होती हैं. इन लताओं की खेती अक्सर दियारा क्षेत्र या पानी के डूब वाले क्षेत्रों में की जाती है. लेकिन यहां तो सजावटी खरबूजे की बात हो रही है जिसे घर में या बालकनी में गमले में भी लगा सकते हैं. बहरहाल, आइए इस नए तरह के खरबूजे के बारे में जान लेते हैं कि यह है क्या और इसे गमले में कैसे लगाना है.
खरबूजे से एक बार फलों को तोड़ लिया जाए तो उसकी पत्तियां सूख जाती हैं. फल की तुड़ाई के बाद खरबूजे के पौधे बेकार हो जाते हैं. लेकिन सजावटी खरबूजे में ऐसी बात नहीं है. सजावटी खरबूजे के फल तोड़ने के बाद भी उसकी पत्तियां हरी रहती हैं और सुंदर दिखती हैं. इसके लिए गमले में ग्राफ्टिंग विधि के जरिये इसे लगाते हैं.
गमले में खरबूजे की ग्राफ्टिंग यानी कि कलम लगाई जाती है. इसके लिए तोरई के पौधे का प्रयोग किया जाता है. तोरई और खरबूजे के तने में चीरा लगाकर दोनों को जोड़ा जाता है. दोनों के जुड़े हुए भाग को बहुत टाइट बांधते हैं ताकि उनके बीच हवा के लिए भी खाली जगह न रहे. इससे दोनों पौधे जल्दी जुड़ जाते हैं.
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ध्यान रखना है कि ग्राफ्टिंग पर तेज धूप न लगे या ग्राफ्टिंग वाला हिस्सा पानी में न डूबा रहे. इसके बाद तोरई के पौधे को ऊपर से तोड़ देते हैं और उसकी पत्तियों को भी हटा देते हैं ताकि वह मिट्टी से पोषक तत्व न ले सके और उसका हिस्सा भी सजावटी खरबूजे को मिल सके.
ग्राफ्टिंग में खरबूजे के साथ तोरई इसलिए लगाते हैं क्योंकि दोनों पौधे एक ही परिवार के हैं. दोनों की पत्तियां भी लगभग एक तरह की होती हैं. दोनों की खेती भी लगभग सेम है. दोनों पौधों का कलम लगाने से वे जल्दी ग्रोथ भी करते हैं.
कुछ दिनों बाद दोनों पौधे आपस में पूरी तरह से जुड़ जाते हैं और वे साथ में बढ़ते हैं. बुवाई के 40 दिनों बाद खरबूजे में फल बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. आप इस फल को तोड़ कर खाने में इस्तेमाल कर सकते हैं. फल तोड़ने के बाद भी खरबूजे की पत्तियां नहीं सूखेंगी क्योंकि उसे तोरई की जड़ों से पोषक तत्व मिलते रहेंगे. खरबूजे के पौधे का सजावटी रूप में उपयोग करने के लिए इसकी लंबाई को 1.5 से 2 मीटर तक रखा जाता है जिससे देखने में यह आकर्षित लगे.
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