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मछलियों को ठंड से बचाने के लिए सरकार ने जारी की एडवाइजरी, इन 6 पॉइंट्स पर ध्यान दें किसान

मछलियों को ठंड से बचाने के लिए सरकार ने जारी की एडवाइजरी, इन 6 पॉइंट्स पर ध्यान दें किसान

मछलियों के लिए ठंड का मौसम काफी मुश्किल भरा होता है. इस मौसम में कई तरह की बीमारियां भी आ जाती हैं. ऐसे में सरकार ने मछली पालकों के लिए एडवाइजरी जारी की है. इस एडवाइजरी में सरकार ने कई अहम पहलुओं पर ध्यान देने के लिए कहा है.

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सर्दी के सितम को देखते हुए सरकार ने मछली पालन करने वाले किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. लगातार पड़ रही ठंड और शीतलहर से इंसानों के साथ ही तालाब में रहने वाली मछलियों को भी ठंड का सामना करना पड़ रहा है. खासतौर से जब तापमान दिन-पर-दिन गिरते जा रहा है. ऐसे में तालाब के पानी का तापमान भी काफी नीचे चला जा रहा है. ऐसे में मछलियों के बीमार होने का खतरा बढ़ सकता है.

वहीं इस ठंड के मौसम में मछुआरों को अधिक सावधान रहने की जरूरत है. थोड़ी सी लापरवाही से उन्हें लाखों-हजारों रुपये का नुकसान हो सकता है क्योंकि कड़ाके की ठंड मछलियों के लिए बहुत खतरनाक होती है. इस मौसम में तापमान कम होने की वजह से तालाब में ऑक्सीजन लेवल काफी कम हो जाता है. जिस वजह से मछलियां मर सकती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं मछलियों को ठंड से बचाने के 6 खास उपाय.

मछलियों को ठंड से बचाने के 6 उपाय

  • मौजूदा समय में देश के कई हिस्सों में लगातार तापमान में गिरावट जारी है. एसे समय में तालाबों में मछलियों को अल्सरेटिव डिजीज सिंड्रोम बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में मछली पालकों को सलाह दी गई है कि वो अपने तालाबों में 2 से 2.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से बुझे हुए चूने का इस्तेमाल करें.
  • सर्दी को देखते हुए मछली पालक अपने तालाब में सिंचित मछलियों के बीज को पोषण के हिसाब से रासायनिक उर्वरकों का मासिक रूप से 74 किलो प्रति हेक्टेयर यानी सुपरफास्ट-25 किलो, यूरिया-45 किलो और म्यूरेट पोटाश 04 किलो के दर से डालें.
  • ठंड के हालात को देखते हुए किसान अपने तालाबों के जलस्तर को एडवाइजरी के हिसाब से ही रखें. तालाब का जलस्तर 5 से 5.5 फुट तक ही रखें.
  • सर्दी के दिनों में मछलियों में वृद्धि दर बहुत कम होती है. ऐसे में मछलियों के आहार उनके वजन के हिसाब से ही दें.
  • तापमान के कम होने के कारण यदि आपके तालाब में पंगेशियस मछली अभी भी है तो उसे जल्दी ही बेच दें. नहीं तो ये मछलियां ठंड में अधिक मात्रा में मर सकती हैं.
  • वहीं एडवाइजरी में ये भी बताया गया है कि जिन तालाबों में मछलियों को रोग नहीं लगा है उनमें भी 250 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से बुझे हुए चूने का घोल बनाकर छिड़काव करें. चूने के इस्तेमाल से मछलियों में रोग लगने और पानी के तापमान में गिरावट की कमी आती है.