देश में रबी सीजन की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में कई राज्यों के किसान रबी फसलों की बुवाई में काफी व्यस्त हैं. वहीं, सही तरीके से खेती करने के लिए किसानों को रबी सीजन की खेती से जुड़ी सही जानकारी होना बहुत जरूरी है. अगर उन्हें मौसम और नई तकनीकों की सही जानकारी नहीं होगी तो फसल उत्पादन पर भी असर पड़ सकता है. ऐसे में किसानों को रबी सीजन में इन फसलों की करें खेती करनी चाहिए. वहीं, अधिक उत्पादन पाने के लिए क्या करना चाहिए. आइए जानते हैं.
रबी सीजन में किसानों को कुछ प्रमुख फसलों की खेती करनी चाहिए. इसमें आलू, मसूर, गेहूं, जौ, रेपसीड (लाही), मसूर, चना, मटर और सरसों शामिल हैं. इसके अलावा रबी सीजन में किसान सब्जियों की भी खेती कर सकते हैं. रबी सीजन की प्रमुख सब्जी फसलों की बात करें तो टमाटर, बैंगन, भिंडी, आलू, तोरई, लौकी, करेला, सेम, बंडा, फूलगोभी, पत्तागोभी, पत्तागोभी, मूली, गाजर, शलजम, मटर, चुकंदर, पालक, जैसी सब्जियां उगा कर किसान बेहतर कमाई कर सकते हैं.
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गेहूं: गेहूं रबी सीजन की प्रमुख फसलों में से एक है. गेहूं की फसल से बंपर उत्पादन लेने के लिए इसकी बुआई मध्य अक्टूबर से मध्य नवंबर तक करनी चाहिए. ऐसा करने से बंपर उत्पादन होता है.
जौ: जौ रबी सीजन में बोई जाने वाली प्रमुख फसलों में से एक है. इस फसल की खेती उन क्षेत्रों में करनी चाहिए जहां उपयुक्त सिंचाई की व्यवस्था हो. ऐसी जगहों पर 15 नवंबर तक जौ की बुवाई कर देनी चाहिए. यदि आपके बीज बोने से पहले प्रमाणित नहीं हैं तो उन्हें बोने से पहले थीरम एजोटोबैक्टर से उपचारित करें.
चना: किसानों को चने की बुआई 20 नवंबर तक कर देनी चाहिए. चने की बुआई के 25 से 30 दिन बाद खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई अवश्य करनी चाहिए. ऐसा करने से उत्पादन में बढ़ोतरी होती है.
मटर: मटर की बुआई अक्टूबर से मध्य से नवंबर के मध्य तक करनी चाहिए. खरपतवार नियंत्रण के लिए मटर की बुआई के 20 दिन बाद निराई-गुड़ाई अवश्य करनी चाहिए. पहली सिंचाई मटर की बुआई के 35 से 40 दिन बाद करें. पहली सिंचाई के 6-7 दिन बाद जब फलियां आ जाएं तो आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करें.
मक्का: मक्के की खेती उन क्षेत्रों में करनी चाहिए जहां सिंचाई की उपयुक्त व्यवस्था हो. वहां शीतकालीन मक्के की बुआई नवंबर के मध्य तक अवश्य पूरी कर लेनी चाहिए. मक्के की बुआई के लगभग 25 से 30 दिन बाद पहली सिंचाई अवश्य करनी चाहिए.
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