टमाटर का उपयोग न केवल सब्जियों में होता है, बल्कि यह सलाद, सूप, सॉस, जूस और कई अन्य खाद्य पदार्थों में इसकी खपत पूरे साल होती है. इसकी मांग भी बाजार में हमेशा बनी रहती है. खासकर बड़े शहरों में टमाटर की खपत ज्यादा होती है, जिससे किसानों के लिए यह एक लाभकारी फसल बन चुकी है. चेरी टमाटर सामान्य टमाटर की तुलना में आकार में छोटे होते हैं और ये विभिन्न रंगों में पाए जाते हैं, जैसे लाल, पीला, नारंगी, सफेद और गुलाबी. इनकी खासियत यह है कि एक पौष्टिक विकल्प होते हैं. यही कारण है कि ये सामान्य टमाटर की तुलना में महंगे बिकते हैं. चेरी टमाटर न केवल स्वाद में लाजवाब होते हैं, बल्कि खाने में नया आकर्षण भी लाते हैं. चेरी टमाटर की खेती अगर आप मेट्रो या बड़े शहरों के आसपास पॉलीहाउस में करते हैं, तो आप इसकी मार्केटिंग कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. यदि आपके पास खेत नहीं है, तो आप गमले में भी टमाटर उगा सकते हैं.
चेरी टमाटर की खेती अत्यधिक गर्मी या ठंड को सहन नहीं कर सकती, इसलिए इसे आमतौर पर पॉलीहाउस या शेडनेट में उगाया जाता है. 60-70 दिनों के भीतर इससे फल मिलने लगते हैं, और लगभग 7-9 महीने तक पैदावार बनी रहती है. पॉलीहाउस में इन पौधों को रस्सियों से सहारा दिया जाता है, जिसे "स्टैकिंग" कहा जाता है. इसमें पौधों को सुतली से बांधने के बाद सुतली को बांस से बांध दिया जाता है, जिससे पौधों में फल पकने की क्षमता बढ़ जाती है. फल जमीन से नहीं छूते, जिससे ये सड़न और अन्य रोगों से बचते हैं. हालांकि, वानस्पतिक वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए समय-समय पर कटाई-छंटाई करना जरूरी है.
बांदा कृषि विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. अजीत कुमार सिंह के अनुसार, चेरी टमाटर के पौधे की ग्रोथ 15-20 फीट तक हो सकती है, और इसके लिए सहारे की जरूरत होती है. स्टैकिंग से फसल की गुणवत्ता और उपज दोनों में वृद्धि होती है, इसलिए छंटाई और कटाई का ध्यान रखना जरूरी है.
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डॉ. अजीत कुमार सिंह का कहना है कि चेरी टमाटर की खेती में देखभाल की ज़रूरत कम होती है. चूंकि यह पॉलीहाउस में उगता है, इसे ड्रिप सिंचाई के माध्यम से हफ्ते में 2-3 बार पानी दिया जाता है, और उसी से इसे फर्टिलाइज़र और दवाइयां भी दी जाती हैं। ड्रिप सिंचाई से पानी की खपत कम होती है और खरपतवार की समस्या भी कम होती है. हालांकि, कभी-कभी निराई-गुड़ाई की आवश्यकता होती है. पॉलीहाउस के कारण कीट और रोगों का प्रकोप बहुत कम होता है. फिर भी, यदि हल्का प्रकोप हो, तो रासायनिक उपचार जैसे मेलाथियान का उपयोग किया जा सकता है.
चेरी टमाटर की एक और खासियत यह है कि इसे संरक्षित रखना आसान होता है. इसकी डिमांड दिल्ली-एनसीआर जैसे बड़े शहरों में काफी अधिक है, साथ ही होटलों और रेस्टोरेंट्स में भी इनकी मांग रहती है. पॉलीहाउस में एक एकड़ में लगभग 12,000 पौधे लगाए जा सकते हैं, और हर पौधा 5-6 किलो तक टमाटर दे सकता है. इस तरह, एक एकड़ में 400-450 क्विंटल तक चेरी टमाटर पैदा किया जा सकता है. अगर खर्च की बात करें तो यह सामान्य टमाटर के मुकाबले अधिक उपज देने वाला है, लेकिन लागत बहुत अधिक नहीं होती. मगर चेरी टमाटर का मूल्य 50 से लेकर 150 रुपये प्रति किलो तक है. इस फसल को उगाकर लाखों रुपये की आमदनी कर सकते हैं.
अगर आपके पास खेत नहीं है, तो आप गमले में भी टमाटर उगा सकते हैं. चेरी टमाटर को बलुई दोमद मिट्टी (Loamy soil) में उगाना सबसे अच्छा होता है, क्योंकि इस प्रकार की मिट्टी अच्छी जल निकासी सुनिश्चित करती है और पौधों की जड़ें आसानी से विकसित हो सकती हैं. गमले में उगाने के लिए हल्की और भुरभुरी मिट्टी का इस्तेमाल करें.
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टमाटर को प्रतिदिन कम से कम 6-8 घंटे सूर्य की रोशनी की जरूरत होती है, इसलिए गमले को ऐसी जगह रखें जहां पर्याप्त रोशनी मिल सके. गमले में टमाटर उगाते वक्त ध्यान रखें कि पानी की निकासी सही से हो. अत्यधिक पानी से जड़ें सड़ सकती हैं, इसलिए मिट्टी को नम रखें, लेकिन अधिक पानी से बचें.
टमाटर को अच्छे विकास के लिए नियमित रूप से संतुलित उर्वरक की जरूरत होती है. आप जैविक खाद जैसे गोबर की खाद या कंपोस्ट का भी उपयोग कर सकते हैं, जो टमाटर की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद करता है. हर एक चेरी टमाटर के पौधे से औसतन 9 से 10 टमाटर के गुच्छे प्राप्त होते हैं. इन गुच्छों में हर एक टमाटर का वजन करीब 7 से 8 ग्राम होता है. एक स्वस्थ चेरी टमाटर का पौधा लगभग 3.5 से 5 किलोग्राम तक टमाटर पैदा कर सकता है.
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