भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां पर किसान बड़े पैमाने पर धान की खेती करते हैं. खास कर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और जम्मू- कश्मीर सहित कई राज्यों में किसान सबसे अधिक बासमती धान की खेती करते हैं. लेकिन किसानों के लिए बकानी रोग बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है. यह एक ऐसा रोग है, जिससे फसलों की पैदावार प्रभावित होती है. ऐसे में किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन अब किसानों को बकानी रोग को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है. वैज्ञानिकों ने बकानी रोग से बासमती धान की फसल को बचाने के लिए उपाय खोज लिया है. अगर किसान नीचे बताए गए तरीकों को अपनाते हैं, तो फसल को नुकसान होने से बचा सकते हैं.
बकानी रोग को झंडा रोग या पैर गलन रोग भी कहा जाता है. यह रोग बासमती धान की फसल में आम तौर पर लगता है. खास बात यह है कि बकानी रोग फसल में जिब्रेला फुजिकोराई कवक के कारण होता है. ऐसे जानकारों का कहना है कि बासमती धान की फसल में यह रोग मिट्टी या रोगग्रसित बीज के चलते फैलता है. धीरे- धीरे यह रोग धान की पूरी फसल को अपनी चपेट में ले लेता है.
बकानी रोग का लक्षण नर्सरी से ही बासमती धान की फसलों में दिखने लगता है. बकानी रोग के प्रभाव के चलते पौधें शुरू से ही पतले और लंबे हो जाते हैं. इससे पौधों की ग्रोथ रूक जाती है. वहीं, पत्तियां पीली रंग के हो जाती हैं. फिर धीरे- धीरे पौधे सूखने लगते हैं. वहीं, धान की बुवाई करने के बाद बकानी रोग फसलों में तेजी के साथ फैलता है. रोग लगने पर अन्य पौधों की तुलना में रोगग्रस्त पौधे ज्यादा पतले और लंबे हो जाते हैं. खास बात यह है कि रोगग्रस्त पौधों पर सफेद और गुलाब फफूंद भी देखी जा सकती है. फिर रोग ग्रसित पौधे धीरे- धीरे सड़ने लगते हैं, जिससे फसल बर्बाद हो जाती है.
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अगर आप झंडा रोग से बासमती धान की फसल को बचाना चाहते हैं, तो सबसे पहले रोगरहति और स्वस्थ बीज का चुनाव करें. अगर आप स्वस्थ बीज का उपयोग करेंगे, तो उत्पादन भी अच्छा होगा. इसके अलावा खेत में नाइट्रोजन उर्वरक का उस्तेमाल नहीं करें. इससे भी झंडा रोग से काफी हद तक राहत मिलेगी. इसके अलावा आप बुवाई करने से पहले 12 घंटे के लिए बीज को पानी में भिगो दें. इसके बाद 15 ग्राम नीमोडर्मा- एच प्रति लीटर पानी के घोल में 6 घंटे के लिए भिगो दें. इसके बाद नर्सरी के लिए बीज की बुवाई करें. साथ ही रोगग्रस्त पौधों को खेत से निकाल कर भेंक दें. इससे फसल में रोग नहीं लगेगा और उत्पादन भी बेहतर होगा.
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