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T7 Tractor: गाय के गोबर से चलता है ये ट्रैक्टर, जानें सभी फीचर्स और पूरी डिटेल

T7 Tractor: गाय के गोबर से चलता है ये ट्रैक्टर, जानें सभी फीचर्स और पूरी डिटेल

गाय के गोबर से चलने वाले इस शानदार ट्रैक्टर को बेनामन कंपनी ने न्यू हॉलैंड टी7 नाम दिया है. खेती-बाड़ी में काम के लिए यह ट्रैक्टर एक बेहतर विकल्प बनकर उभरा है. इसे चलाने के लिए पेट्रोल या डीजल की जरूरत नहीं होती है. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है इस ट्रैक्टर की अन्य विशेषताएं.

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गाय के गोबर से चलने वाला दुनिया का पहला ट्रैक्टर गाय के गोबर से चलने वाला दुनिया का पहला ट्रैक्टर

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती महंगाई और जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए अब विश्व की बड़ी-बड़ी कंपनीयां जैविक चीजों का सहारा ले रही हैं. ऐसे में कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले कृषि मशीनरी ट्रैक्टर को अब गोबर की ऊर्जा से चलाया जा रहा है, ताकि महंगाई और बढ़ते प्रदूषण को रोका जा सके. जी हां, ब्रिटिश कंपनी बेनामन ने गाय के गोबर से चलने वाला दुनिया का पहला ट्रैक्टर विकसित किया है. लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि भारत भी इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि भारत में भी गाय के गोबर की ऊर्जा से चलने वाला ट्रैक्टर सड़कों और खेतों में दौड़ता नजर आएगा. इसके लिए भारत सरकार समेत कई ऑटो कंपनियों ने तैयारी कर ली है. ऐसे में आइए जानते हैं कि गाय के गोबर से चलने वाले इस ट्रैक्टर की क्या खासियत है.

गाय के गोबर से चलने वाले इस शानदार ट्रैक्टर को बेनामन कंपनी ने न्यू हॉलैंड टी7 नाम दिया गया है. खेती-बाड़ी में काम के लिए यह ट्रैक्टर एक बेहतर विकल्प बनकर उभरा है. इसे चलाने के लिए पेट्रोल या डीजल की जरूरत नहीं होती है. यह गाय के गोबर से निकलने वाली ऊर्जा से चलता है. यह ट्रैक्टर 270 हॉर्स पावर का है जो खेतों में काम करने के लिए शानदार है.

गाय के गोबर से कैसे चलेगा ट्रैक्टर?

न्यू हॉलैंड टी7 ट्रैक्टर को चलाने के लिए गाय के गोबर का इस्तेमाल किया जा रहा है. लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या डायरेक्ट गाय के गोबर से इस ट्रैक्टर को चलाया जा सकता है? जवाब है नहीं. दरअसल इस ट्रैक्टर को चलाने के लिए गाय के गोबर का ही इस्तेमाल इसलिए किया जा रहा है क्योंकि गाय के गोबर में फ्युजिटिव मीथेन गैस पाई जाती है, जिसे बाद में बायो मीथेन ईंधन में बदल दिया जाता है. इससे किसानों को काफी राहत मिल सकती है.

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इतना ही नहीं इससे बढ़ते प्रदूषण को भी रोका जा सकता है. कृषि क्षेत्र में काम कर रहे जानकारों का कहना है कि गाय के गोबर से तैयार की गई बायो मीथेन गैस से 270 बीएचपी का ट्रैक्टर भी आसानी से चलाया जा सकता है. ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने ट्रैक्टर चलाने के लिए गाय के गोबर में पाई जाने वाली मीथेन गैस का इस्तेमाल किया है. यह ऐसा ही है जैसे हम सीएनजी पर गाड़ी चला रहे हैं.

भारत में CBG को लेकर चल रही तैयारी

असल में गाय के गोबर समेत एग्री वेस्ट से कॉम्प्रेस्ड बायोगैस (CBG) बनाने को लेकर भारत सरकार ने सतत प्रोजेक्ट को शुरू किया है. इसी सीबीजी से ट्रैक्टर समेत अन्य गाड़ियों को भी चलाया जाएगा. इस विषय में और अधिक जानकारी देते हुए सोनालिका कंपनी के प्रेसिडेंट और सीटीओ कृष्ण तिवारी ने बताया कि  भारत इस सीबीजी मॉडल पर लंबे समय से काम कर रहा है. उन्होंने बताया कि भारत सरकार सतत प्रोजेक्ट के माध्यम से सीबीजी और बाजार में सीबीजी की उपलब्धता को बढ़ावा देने का काम कर रही है.

इस दिशा में सोनालिका कंपनी भी कर रही काम

कृष्णा तिवारी ने किसान तक से बातचीत के दौरान बताया कि सोनालिका कंपनी भी सीबीजी से चलने वाली ट्रैक्टर को विकसित करने का काम कर रही है, जिसे किसी भी कॉम्प्रेस्ड बायोगैस (जो भारत सरकार द्वारा प्रमाणित होगी) की मदद से चलाया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि सीबीजी का निर्माण गाय के गोबर या किसी भी एग्रीकल्चर वेस्ट से किया जा सकता है. यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकल होता है और लागत भी कम लगती है.