कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों का मानना है कि अनाज वाली फसलों के मुकाबले बागवानी फसलों की खेती किसानों के लिए ज्यादा लाभदायक है. लेकिन, बागवानी फसलों में फायदे के साथ ही टेक्नोलॉजी की भूमिका कहीं ज्यादा बढ़ जाती है. खासतौर पर सब्जी वाली फसलों में. अगर आपको सब्जियों की खेती करनी है तो उसकी पौध तैयार करने के लिए आपको 'प्रो ट्रे नर्सरी तकनीक' का इस्तेमाल करना चाहिए. जिसमें कीट और रोग लगने की आशंका लगभग खत्म हो जाती है. जो सब्जी फसलों की सबसे बड़ी समस्या है. किसान इस समस्या से जूझते रहते हैं और उसके समाधान के लिए दवाओं का इस्तेमाल करते हैं. इसलिए यह तकनीक किसानों की आय बढ़ा सकती है. बागवानी वैज्ञानिक रीना कुमारी, रमेश कुमार, आंचल चौहान, राजीव कुमार और गीता वर्मा ने इस तकनीक के बारे में पूरी जानकारी दी है.
दरअसल, बंपर उत्पादन के लिए सब्जियों की स्वस्थ पौध तैयार करना बहुत महत्वपूर्ण है. अब यह महसूस किया गया है कि अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए संकर किस्मों और बेहतर उत्पादन तकनीक को अपनाकर उत्पादकता बढ़ानी होगी. परंपरागत तरीके से नर्सरी तैयार करते हैं तो समय पर स्वस्थ पौध नहीं मिल पाती है. यही नहीं पौध में कीट एवं रोग के लगने की आशंका भी अधिक रहती है. इसके विपरीत प्रो-ट्रे तकनीक से सब्जी पौध उत्पादन लाभदायक सिद्ध हो सकता है. प्रो-ट्रे में पौधों की जड़ व तने की वृद्धि तेज व एकसमान होती है. इस तकनीक से पौध उत्पादन में कीट व रोग लगने की आशंका पूरी तरह मिट जाती है. इस प्रकार सब्जियों की पौध स्वस्थ व समय पर उपलब्ध हो जाती है.
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यह प्लास्टिक की खानेदार ट्रे में नर्सरी तैयार करने की वह विधि है जिसमें मिट्टी की जरूरत नहीं होती है. इस विधि द्वारा टमाटर, शिमला मिर्च व खीरे की पौध प्लग ट्रे में बहुत आसानी से बिना मिट्टी के तैयार की जा सकती है. ज्यादातर पॉलीहाउस और रिसर्च स्टेशनों में इसी विधि का इस्तेमाल किया जा रहा है.
सबसे पहले ग्रोइंग मीडिया कोकोपीट, वर्मीकुलाइट एवं परलाइट को 3:1:1 (भार अनुसार) के अनुपात में मिलाकर प्रो-ट्रे के प्रत्येक खाने में इस मिश्रण को भर लेंगे. इसके बाद बुवाई के लिए प्रो-ट्रे के प्रत्येक खाने के केंद्र में उंगलियों के साथ एक छोटा सा 0.5 सेमी गहरा छेद बनाकर प्रत्येक गड्ढे में एक-एक बीज की बुवाई करेंगे.
बीजों को बोने से पहले फफूंदनाशक जैसे थीरम 2-3 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित करें. शिमला मिर्च, टमाटर जैसी छोटी बीज वाली फसलें 1 इंच आकार की छोटी ट्रे में बोई जाती हैं जबकि कदूवर्गीय फसलें जैसे खीरा की बुवाई के लिए 1.5 इंच के बड़े आकार के प्लग ट्रे का उपयोग किया जाता है.
वर्मीकुलाइट की एक परत डालने के बाद हल्के फव्वारे की मदद से सिंचाई करें. सब्जियों के बीजों के अंकुरण के लिए 20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उपयुक्त होता है. अगर तापमान अंकुरण के अनुकूल है तो ट्रे को बाहर ही रखा जा सकता है अन्यथा यदि तापमान कम है तो बीज बुवाई के बाद ट्रे को अंकुरण के लिए मिस्ट चैम्बर या पॉलीहाऊस या फिर नेट हाउस में शिफ्ट कर दें.
मौसम की स्थिति के आधार पर ट्रे को रोजाना या वैकल्पिक दिनों में फव्वारे द्वारा हल्की फुहार से सिंचाई करें. छोटे आकार के कैविटी प्लग ट्रे का उपयोग टमाटर, शिमला मिर्च के साथ-साथ गोभीवर्गीय फसलों की बुवाई के लिए किया जाता है. जब पौध ट्रांसप्लांट के लिए तैयार हो जाती है तो उन्हें जड़ों व ग्रोइंग मीडिया के साथ ट्रे से बाहर निकालकर मुख्य खेत में रोपाई की जाती है.
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