केंद्र सरकार किसानों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए जटिल प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए उनका डिजिटलीकरण कर रही है. इसी क्रम में केंद्र सरकार बीज उत्पादन श्रृंखला को भी डिजिटल बना रही है. इसे पूरा करने के लिए सरकार ने SATHI पोर्टल (Seed Authentication, Traceability and Holistic in Inventory) बनाया है, जिससे अब तक 24 राज्य जुड़ चुके हैं. बीज उत्पादन श्रृंखला की कड़ी में प्रजनक यानी ब्रीडर से लेकर फाउंडेशन और राज्य बीज प्रमाणन एजेंसियां (SSCA) शामिल हैं. ऐसे में डिस्ट्रीब्यूशन वैल्यू चेन को डिजिटल बनाने का काम शुरू हो चुका है. इस वैल्यू चेन के माध्यम से किसानों को बीज के पैकेट पर लगे क्यूआर कोड को मोबाइल के जरिए स्कैन करने पर इसकी सारी जानकारी मिल जाएगी. संभावना है कि यह काम खरीफ 2026 सीजन के पहले-पहले पूरा हो जाएगा.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, अजीत कुमार साहू, संयुक्त सचिव, केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने कहा कि कार्यक्रम का एक हिस्सा लगभग पूरा हो चुका है और अब डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क पर फोकस किया जा रहा है. यह काम पूरा होने से किसान खरीदे गए बीज या खरीद के दौरान पैकेट पर क्यूआर कोड को स्कैन करके उसकी जानकारी हासिल कर सकेंगे. इस डिजिटलीकरण प्रक्रिया में महराष्ट्र सबसे आगे रहा, जिसने खरीफ 2024 सीजन में बीज खुदरा श्रृंखला से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी ऑनलाइन कैप्चर करके पूरी प्रक्रिया को डिजिटल बना दिया.
वहीं, छत्तीसगढ़, असम, पंजाब, कर्नाटक, राजस्थान, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर और जैसे राज्य/केंद्र शासित प्रदेश पिछले रबी सीजन में डिजिटलीकरण की प्रक्रिया के लिए जुड़े. अब अन्य राज्य भी इसमें शामिल होने जा रहे है. संभावना जताई जा रही है कि सिक्किम, बिहार, झारखंड, हरियाणा, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश भी आगामी खरीफ सीजन में डिजिटलीकरण की प्रक्रिया से जुड़ सकते हैं. केंद्र का अनुमान है कि खरीफ सीजन-2026 से पहले सभी राज्य प्रक्रिया में शामिल हो जाएंगे.
रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब, महाराष्ट्र, असम, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, जम्मू और कश्मीर और उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, ओडिशा जैसे राज्यों की राज्य बीज प्रमाणन एजेंसियां खरीफ 2024 से पहले SATHI पोर्टल में शामिल हो गई थी. अधिकारियों का कहना है कि राज्य बीज प्रमाणन एजेंसियों से प्रमाणित होने पर किसी भी बीज पैकेट पर उसकी पूरी उत्पादन प्रणाली का विवरण मिलेगा यानी यह जानकारी भी मिलेगी कि बीज को कहा उगाया गया और किस किसान ने इसे उगाया. लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करने में समय लगेगा.
दरअसल, सरकार के अनुमोदित बाद बीज की किस्म किसानों तक पहुंचने में 3 साल का समय लगता है. लेकिन एक बार प्रक्रिया शुरू होने पर यह सतत चलेगी और बाजार में बिकने वाले सभी बीज, चाहे वे किस्में कब जारी की गई हों, पोर्टल पर होंगे. संयुक्त सचिव ने कहा कि अभी सूचना साझा करने की व्यवस्था वैकल्पिक रखी गई है लेकिन आने वाले समय में इसे अनिवार्य करने की कोशिश की जा रही है.
इसके लिए सरकार बीज अधिनियम में संशोधन करेगी और सभी हितधारकों के लिए SATHI पोर्टल पर डेटा भरना अनिवार्य कर दिया जाएगा. इस पर परामर्श प्रक्रिया चल रही है. मालूम हो कि पिछले हफ्ते ही खरीफ 2025 सम्मेलन आयोजित हुआ था, जिसमें केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया है कि सरकार नकली बीजों की बिक्री को रोकने और किसानों की भलाई के लिए बीज अधिनियम, 1966 में संशोधन करेगी.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today