
कांग्रेस ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पीडीएस में फोर्टिफाइड राइस वितरण को लेकर सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. पार्टी के मीडिया एवं प्रचार विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने प्रेस को जारी एक बयान में कहा कि विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों द्वारा कई चेतावनियों के बावजूद फोर्टिफाइड चावल का वितरण किया गया है. क्या देश के 80 करोड़ लोग इसकी कीमत चुकाएंगे? खेड़ा ने दावा किया कि पोषण पर नीति आयोग के राष्ट्रीय तकनीकी बोर्ड की सदस्य, प्रोफेसर डॉ. अनुरा कुरपड ने उन बच्चों में सीरम फेरिटिन के स्तर में वृद्धि देखी, जिन्हें आयरन-फोर्टिफाइड चावल दिया गया था. सीरम फेरिटिन मधुमेह के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है. डॉ कुरपड सार्वजनिक रूप से आयरन-फोर्टिफाइड चावल के जोखिमों के बारे में चेतावनी देते रहे हैं.
खेड़ा ने कहा कि सरकार खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राष्ट्रव्यापी पीडीएस में जिस फोर्टिफाइड चावल को दे रही है उसमें 20 एमजी आयरन है. भारत में पहले से ही दुनिया में मधुमेह रोगियों की कुल संख्या का 17 फीसदी हिस्सा है और इसे दुनिया की 'मधुमेह राजधानी' के रूप में जाना जाता है. उन्होंने दावा किया कि कुछ चिकित्सा विशेषज्ञों ने बच्चों के स्वास्थ्य पर आयरन-फोर्टिफाइड चावल के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है.
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इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च के डीजी द्वारा भी इसका उल्लेख किया गया था. इसलिए, इसे आगे बढ़ाने से पहले मानव स्वास्थ्य पर चावल के फोर्टिफिकेशन के प्रभाव पर विशेषज्ञों के विस्तृत परामर्श की आवश्यकता है. फोर्टिफाइड चावल आयरन से लैस है, उसका सेवन उन लोगों को नहीं करवाना चाहिए जिन्हें थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया और टीबी जैसी बीमारियां हैं. इन बीमारियों से पीड़ित लोगों को मेडिकल रूप से आयरन नहीं दिया जाता है. ये रोग गरीबों में व्याप्त हैं, जिन्हें फोर्टिफाइड चावल का लाभार्थी बनाया जा रहा है.
खेड़ा ने कहा कि नीति आयोग की अध्ययन रिपोर्ट से पता चलता है कि कैसे आयोग के अधिकारियों ने भारत के खाद्य सुरक्षा नियामक (FSSAI) द्वारा फोर्टिफाइड चावल के दानों-सूक्ष्म पोषक तत्वों से युक्त चावल के दानों को 'उच्च जोखिम' श्रेणी में सूचीबद्ध करने के बावजूद मंज़ूरी दी. उच्च जोखिम के रूप में वर्गीकृत खाद्य पदार्थों का सावधानीपूर्वक निरीक्षण किया जाना चाहिए क्योंकि जब वे अच्छी तरह से उत्पादित नहीं होते हैं तो वे सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होते हैं.
कांग्रेस ने कहा कि भारत की आधी आबादी पर फोर्टिफाइड चावल थोपने के पीछे एक बहुराष्ट्रीय कंपनी का भी एंगल है. एक डच कंपनी जो सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ चावल की गिरी को कवर करने में माहिर है और फोर्टिफाइड चावल के लिए प्रीमिक्स की वैश्विक आपूर्तिकर्ता है, उसने भारत में इससे जुड़े 1800 करोड़ रुपये के वार्षिक कारोबार को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत की है. आरोप है कि खाद्य सुरक्षा मानक नियामक FSSAI ने निजी कंपनी को बढ़ावा दिया.
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