तना सड़न (स्टेम रोट Stem Rot) रोग से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है, जो आगे चलकर किसानों की खेती बाड़ी को पूरी तरह बदल सकती है. इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (ICRISAT) और उसके साझेदार संस्थानों ने मूंगफली में इस रोग के प्रतिरोध से जुड़े 13 जीनोमिक क्षेत्रों और 145 संभावित जीनों की पहचान की है.
स्टेम रोट रोग, जो मिट्टी में पाए जाने वाले कवक Sclerotium rolfsii के कारण होता है, मूंगफली की खेती के लिए एक बड़ा खतरा है. इस अध्ययन में तीन प्रमुख जीन – AhSR001, AhSR002 और AhSR003 को पहचाना गया है, जो इस रोग के प्रति 60 प्रतिशत प्रतिरोध के लिए जिम्मेदार हैं. इस रिसर्च का रिजल्ट एक चर्चित जर्नल Plant Genome में प्रकाशित किया गया है.
ICRISAT के प्रधान वैज्ञानिक मनीष पांडे ने बताया, "इन मार्कर्स की मदद से हम रोग प्रतिरोधक मूंगफली किस्मों को तेजी से विकसित कर सकते हैं, जो किसानों को आर्थिक रूप से फायदा पहुंचाएंगी और जलवायु संकट के समय उनकी फसलों को सुरक्षित रखेंगी."
ICRISAT के एक अधिकारी ने कहा, "फंगीसाइड्स इस रोग को केवल आंशिक रूप से नियंत्रित कर पाते हैं और ये पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक हैं. लेकिन जीनोमिक्स आधारित ब्रीडिंग एक टिकाऊ और किफायती समाधान मुहैया कराती है."
यह खोज रोग प्रतिरोधी मूंगफली किस्मों के विकास के लिए नए द्वार खोलती है, जिससे किसानों के जोखिम घटेंगे और दुनिया में भोजन और पोषण सुरक्षा को मजबूती मिलेगी. मूंगफली एक तिलहन और प्रोटीन युक्त दलहनी फसल है, जिसे दुनिया भर में 300 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उगाया जाता है और इसकी सालाना वैश्विक पैदावार 500 लाख टन है.
भारत, नाइजीरिया और चीन जैसे देश मूंगफली उत्पादन में आगे हैं और वैश्विक आपूर्ति का बड़ा हिस्सा इन्हीं देशों से आता है. ICRISAT के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने कहा, "यह रिसर्च इस बात का प्रमाण है कि कृषि अनुसंधान कैसे अर्थव्यवस्थाओं को अधिक से अधिक लाभ दिला सकता है और खोज को व्यावहारिक समाधान में बदलता है."
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