कहते हैं चाहत आविष्कार की जननी है. इसका उदाहरण महाराष्ट्र के वाशिम जिले में देखने को मिला. जहां किसानों ने अपने खेतों में जाने के लिए जुगाड़ से नाव बनाई हैं, वह भी महज 10 हजार रुपये की लागत से. जिले के रिसोड़ तहसील के महागांव के 60 किसानों ने पैनगंगा नदी पार करने के लिए एक अनोखी नाव बनाई है, जिसकी चर्चा पूरे जिले में हो रही है. महगांव के 60 किसानों की करीब 400 एकड़ कृषि भूमि पड़ोसी गांव में है. पड़ोस के गांव के लिए सड़क तो है, लेकिन थोड़ी खराब है. किसानों का कहना है कि अगर वे सड़क मार्ग से खेतों में जाते हैं तो उन्हें एक से डेढ़ घंटे का समय लग जाता है.
यदि मजदूरों को खेतों तक ले जाने के लिए सड़क का उपयोग करना पड़ता है तो बहुत समय और पैसा खर्च होता. इस खर्च से बचने के लिए किसानों ने बीच का रास्ता निकालने की सोची. महागांव और गोहगांव के बीच पैनगंगा नदी बहती है. नदी के एक तरफ महागांव और दूसरी तरफ गोहगांव है जहां किसानों के खेत हैं.
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महगांव के किसानों ने गोहगांव जाने के लिए नदी पार करने के लिए एक छोटी नाव बनाने का फैसला किया, बस फिर क्या था. किसानों ने 4 नए प्लास्टिक ड्रम खरीदे, उस पर बैठने के लिए लोहे की छड़ और लकड़ी की बड़ी पट्टियों से चाकोन बनाया. जुगाड़ी नाव बनाने के बाद नाव के दोनों तरफ रस्सी बांध दी और रस्सी के दोनों हिस्सों को नदी के दोनों छोर पर लगे पेड़ों से बांध दिया. जुगाड़ सफल रहा और आज महगांव के किसान वर्षों से इसी जुगाड़ नाव से अपने खेतों में आ-जा रहे हैं और वह भी सिर्फ 15 मिनट में.
किसानों को अगर मजदूरों को भी ले जाना होता है तो वे नावों में ले जाते हैं. नाव में 4 से 5 व्यक्ति जा सकते हैं. किसानों के जानवर भी नदी में तैरकर खेतों से आते-जाते हैं. जुगाड़ नाव से किसानों को खेती में तो काफी मदद मिल रही है, लेकिन खेतों तक फसल लाने के लिए उन्हें खराब सड़कों का इस्तेमाल करना पड़ता है.
गांव के किसानों और सरपंच पति की मांग है कि सरकार इस नदी पर पुल बनाए ताकि किसानों का ये जानलेवा सफर आसान हो सके. महागांव के सरपंच पति ने कहा है कि बीजेपी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले ने अपने लेटर हेड पर देवेन्द्र फडनवीस से पुल बनाने की मांग की है.
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