कृषि क्षेत्र में तेजी से तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा है, ठीक इसी तरह से खेती से जुड़ी सेवाओं, सुविधाओं का लाभ लेने के लिए किसान डिजिटल हो रहे हैं. एक स्टडी में कहा गया है कि अगले 5 साल में 70 फीसदी किसान डिजिटल हो जाएंगे और वह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की कृषि सेवाओं-सुविधाओं का लाभ उठाएंगे. इससे कृषि उत्पादन में 15 फीसदी का उछाल देखने को मिल सकता है, जबकि बड़े स्तर पर लागत में कटौती का अनुमान जताया गया है.
अखिल भारतीय किसान संघों के फेडरेशन (FAIFA) की ओर से स्टडी में कहा गया है कि साल 2030 तक 70 फीसदी भारतीय किसान ई-एनएएम और किसान पोर्टल जैसी कृषि सेवाओं के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करेंगे. भारतीय कृषि परिदृश्य 2025 में FAIFA ने खुलासा किया है कि डिजिटल कृषि से 2030 तक उत्पादकता में 15 फीसदी की बढ़ोत्तरी होगी और लागत में 10 फीसदी की कमी आ सकता है. इसके अलावा अगले 5 साल के दौरान देश की सिंचाई कवरेज 50 फीसदी से बढ़कर 60 फीसदी कृषि भूमि तक पहुंचने की उम्मीद है.
अध्ययन में कहा गया है कि जल संचयन और संरक्षण प्रयासों से 2030 तक खर्च में 20 फीसदी की कमी और बेहतर इस्तेमाल की दक्षता में 15 फीसदी का उछाल देखने को मिल सकता है. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2025 से 2030 तक भारतीय कृषि 5.5 फीसदी की CAGR से बढ़ेगी, जो कुल 42 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी. इसमें कहा गया है कि खाद्यान्न उत्पादन 2030 तक मौजूदा 330 मिलियन टन से 25 फीसदी बढ़ जाने का अनुमान है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि उपज के मामले में गेहूं में 20 फीसदी की बढ़त के साथ 2030 तक 5.5 टन प्रति हेक्टेयर की क्षमता है. जबकि, चावल में 25 फीसदी के उछाल के साथ 2030 तक 4.5 टन प्रति हेक्टेयर तक पैदावार की कैपेसिटी है. FAIFA की ओर से बयान में कहा गया कि केंद्र के समूचे नजरिए के चलते पिछले दशक में इस क्षेत्र में देखी गई चौतरफा मजबूत और लगातार वृद्धि के आधार पर ये अनुमान लगाए गए हैं. कहा गया कि सरकार को उत्पादकता बढ़ाने वाली पहलों में निवेश करना जारी रखना चाहिए.
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