Farming Machines : छोटे किसानों के लिए कमाल की है फसल काटने की ये मशीन

Farming Machines : छोटे किसानों के लिए कमाल की है फसल काटने की ये मशीन

किसानों ने लिए Crop Input Cost को कम करना बड़ी चुनौती है. इसमें बड़ी मशीनों के इस्तेमाल पर लगने वाला ज्यादा पैसा, छोटे किसानों की कृष‍ि लागत को बढ़ा रहा है. इससे small and marginal farmers को राहत देने के लिए बाजार में एक रीपर मशीन पेश की गई है. किसानों के लिए ये रीपर मशीन बहुत काम की साबित हो रही है.

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Farming Machines : छोटे किसानों के लिए कमाल की है फसल काटने की ये मशीनगेहूं की कटाई के लिए करें इस मशीन का इस्तेमाल

रबी सीजन में गेहूं और खरीफ सीजन में धान की कटाई Harvester Machine से कराने की मजबूरी के कारण किसानों के लिए उपज की लागत में खासा इजाफा हो जाता है. बड़ी जोत वाले किसानों के लिए भारी भरकम हार्वेस्टर मशीन से कटाई कराना भले ही मुफीद हो, लेकिन छोटे खेतों पर खेती कर रहे लघु एवं सीमांत किसानों के लिए  हार्वेस्टर मशीन खर्चे को बढ़ाने वाली साबित होती है. छोटे किसानों की इस समस्या को ध्यान में रखते हुए छोटी Reaper Machine अब फसलों की कटाई के लिए उपलब्ध है. हालांकि इसकी बाजार कीमत लघु एवं सीमांत किसानों के लिए ज्यादा होने के कारण तमाम राज्य सरकारें इसकी खरीद पर Subsidy भी दे रही हैं.

एमपी में हो रहा खूब इस्तेमाल

खेती में Labour Crisis लगातार बढ़ती जा रही है. इसे देखते हुए खेती के काम को आसान बनाने के लिए बाजार में नई नई मशीनें भी आ रही हैं. खेती को आधुनिक तरीकों से आसान बनाने वाली मशीनों की एमपी के किसानों में भरपूर मांग रहती है. राज्य का नर्मदापुरम इलाका इस दिशा में अग्रणी रहा है. वहीं, Tribal Dominated बैतूल और छिंदवाड़ा में भी किसान आधुनिक मशीनों का खेती में भरपूर इस्तेमाल करते हैं.

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किसान प्रद्युमन यदुवंशी ने 3 साल पहले ही यह मशीन खरीद ली थी. इससे वह अपने खेतों के अलावा दूसरे किसानों की फसल भी काटने का काम करते हैं. यदुवंशी ने बताया कि उनके गांव में खेतों का रकबा कम होने के कारण किसान हार्वेस्टर मशीन से कटाई नहीं कराते हैं. इसके बजाय छोटी रीपर मशीन से गेहूं और धान की कटाई को लाभप्रद मान कर अपनाया गया है. उन्होंने कहा कि इससे उनकी अतिरिक्त आय भी हो जाती है और किसानों को कम कीमत पर कटाई कराने का लाभ भी मिल जाता है.

ये हैं खास बातें रीपर मशीन

यदुवंशी ने बताया कि देसी तकनीक से बनी रीपर मशीन का आकार ई रिक्शा के लगभग बराबर होने के कारण यह छोटे खेतों में आसानी से चल पाती है. जबकि ट्रक के आकार वाली हार्वेस्टर मशीन को छोटे खेतों में चलाना परेशानी भरा होता है.

उन्होंने बताया कि रीपर मशीन से 1 घंटे में लगभग 1 एकड़ खेत की फसल कट जाती है. अगर खेत, ऊबड़ खाबड़ नहीं है और मौसम की मार के कारण फसल गिरी नहीं है, ताे इस मशीन से 1 घंटे में 1.5 एकड़ खेत की फसल आसानी से कट जाती है. यदुवंशी ने बताया कि यह मशीन डीजल से चलती है. इसमें डीजल की खपत एक घंटे में लगभग 1 लीटर होती है. उन्होंने बताया कि अगर किसान इसे संभाल कर चलाते हैं तो इस मशीन का रखरखाव भी बहुत खर्चीला नहीं है. इसकी बाजार कीमत लगभग 5.25 लाख रुपये है. एमपी सरकार से अनुदान पर यदुवंशी को 3.25 लाख रुपये में यह मशीन मिली है. 

उन्होंने बताया कि यह मशीन उपज काटने के साथ फसल के बंडल भी बना देती है. इसके लिए मशीन में खास किस्म के धागे  का बंडल लगता है. इस बंडल की बाजार में कीमत लगभग 300 रुपये है. एक एकड़ खेत की फसल काटने में लगभग 3 बंडल धागा लग जाता है. उन्होंने बताया कि इन सभी खर्चों को मिलाकर वह किसान से 1000 रुपये प्रति घंटा किराया लेते हैं.

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कैसे है किफायती

यदुवंशी ने हार्वेस्टर मशीन से रीपर मशीन की तुलना करते हुए बताया कि हार्वेस्टर से फसल काटने पर किसानों को भूसा नहीं मिलता है. जो किसान अब पशुपालन नहीं करते हैं, उनके लिए हार्वेस्टर से फसल काटना मुफीद है, लेकिन गांवों में अभी भी लगभग 80 फीसदी किसान दूध की अपनी घरेलू जरूरत काे ही पूरा करने के लिए एक दो गाय जरूर रखते हैं. ऐसे में हार्वेस्टर से फसल काटने वाले किसानों को स्ट्रॉ रीपर मशीन से भूसा बनाना पड़ता है.

इसी प्रकार रीपर मशीन से कटाई कराने पर किसानों को गेहूं निकालने के लिए थ्रेसर की जरूरत पड़ती है. हार्वेस्टर से कटाई कराने और Straw Reaper Machine से भूसा बनवाने में जो खर्च आता है, वह रीपर मशीन से कटाई कराने और थ्रेसर से गेहूं निकालने की तुलना में कम खर्चीला है.

इसका एक और फायदा बताते हुए यदुवंशी ने कहा कि पिछले कुछ सालों से मौसम खराब होने के कारण गेहूं और धान की फसल बड़े पैमाने पर गिर जाती है. ऐसे में हार्वेस्टर मशीन से खेत में गिरी फसल काे काटना बहुत नुकसानदायक साबित होता है. क्योंकि हार्वेस्टर मशीन 1 - 1.5 फुट ऊंची फसल को ही काटती है. ऐसे में फसल गिरने की हालत में बड़ी मात्रा में फसल खेत में ही छूट जाती है. इसका नुकसान किसान को ही उठाना पड़ता है. वहीं रीपर मशीन जमीन की सतह से फसल काे काटती है. इससे मौसम की मार से गिरी फसल भी कट जाती है.

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