हरियाणा के करनाल में किसानों के नाम एक बड़ा फरमान जारी हुआ है. इस फरमान में कहा गया है कि हर हार्वेस्टर मालिक को अपने कंबाइन के पीछे पराली निपटान मशीन (सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम यानी Super SMS) लगाना अनिवार्य है. यह महंगी मशीन होती है जिसका काम खेतों में धान की पराली को निपटाना होता है. हार्वेस्टर मालिकों के नाम यह फरमान हरियाणा के कृषि विभाग ने जारी किया है. कृषि विभाग का कहना है कि पराली जलाने से रोकने के लिए यह कड़ा कदम उठाया गया है. कृषि विभाग का यह आदेश पूरे प्रदेश में अमल में आएगा.
सरकार के इस आदेश पर हार्वेस्टर मालिकों और किसानों में नाराजगी है. उनका कहना है कि कृषि विभाग को पहले इस पर विचार करना चाहिए कि हार्वेस्टर मालिक अपने कंबाइन में अनिवार्य तौर पर सुपर एमएमएस मशीन कैसे लगाएंगे. मशीन कोई सस्ती नहीं है. इतनी महंगी मशीन आखिर इतने कम समय की डेडलाइन में कैसे फिट की जाएगी. इन बातों को लेकर किसानों में भी चिंता है. किसान इस बात से भी नाराज हैं कि किसी भी कंबाइन हार्वेस्टर को सुपर एसएमएस लगाए बिना खेत में कटाई करने की इजाजत नहीं दी जाएगी. अगर कोई किसान इस नियम की अवहेलना करता है तो उसके हार्वेस्टर को जब्त करने का भी आदेश है.
हरियाणा कृषि विभाग के निदेशक ने इस आदेश को हर हाल में पालन कराने के लिए प्रदेश के सभी डिप्टी कमिश्नर, कृषि विभाग के सभी एग्रीकल्चर डिप्टी डायरेक्टर (DDA) और असिस्टेंट एग्रीकल्चर इंजीनियर्स को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि कंबाइन हार्वेस्टर के मालिकों को खेत में इसे उतारने से पहले सुपर एसएमएस जरूर फिट करना होगा. यह काम धान की कटाई शुरू होने से पहले हर हाल में करा लेना है. किसानों को भी सख्त निर्देश दिया गया है कि वे सुनिश्चित करें कि उसी कंबाइन हार्वेस्टर से धान की कटाई कराएं जिसमें यह मशीन लगी हो. करनाल के डीडीए ने कहा, खेत में कोई भी हार्वेस्टर इस मशीन के बिना चलते हुए पाया गया तो उसे सीज किया जाएगा.
करनाल के डीडीए ने बताया कि मौजूदा समय में करनाल में 1458 कंबाइन हार्वेस्टर रजिस्टर्ड हैं. इन हार्वेस्टर के मालिकों को कहा गया है खेत में इसे उतारने से पहले सुपर एमएमएस मशीन फिट होने का सर्टिफिकेट लेना होगा. इस काम में मदद के लिए हरियाणा के कृषि विभाग ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी रायशुमारी की है. सुपर एसएमएस को कंबाइन में फिट करने पर इसलिए जोर दिया जा रहा है क्योंकि धान की कटाई के साथ ही यह पराली को निपटा देती है. इस मशीन का फायदा ये है कि यह धान के डंठल को छोटे-छोटे टुकड़े में काट देती है और खेत में चारों ओर फैला देती है. जिसके बाद गेहूं की आसानी से बुवाई कर दी जाती है. गेहूं के लिए यह खाद का काम करती है.
धान की पराली के छोटे टुकड़े से दो बड़ी मदद मिलती है. एक, इससे पराली को जलाने की नौबत नहीं आती. दो, इससे गेहूं को खाद का फायदा मिल जाता है. साथ ही यह मल्च का भी काम करता है जिससे खेत में नमी बरकरार रहती है. इस साल करनाल में 1.7 लाख रकबे में धान की खेती हुई है. उस हिसाब से देखें तो सुपर एसएमएस मशीन प्रदूषण रोकने में बड़ी मदद करेगी.
हरियाणा में पराली जलाने से रोकने के लिए गांव, ब्लॉक, तहसील और जिला स्तर पर कमेटी बनाई जा रही है. इस बार नियम है कि अगर किसान 2 एकड़ तक पराली जलाते हुए पकड़ा गया तो उस पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगेगा, पांच एकड़ तक 10,000 रुपये और 5 एकड़ से अधिक खेत में पराली जलाने वाले किसानों पर 30,000 रुपये जुर्माना लगेगा. इसके अलावा 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' पोर्टल पर किसान के रेवेन्यू रिकॉर्ड में रेड एंट्री दर्ज की जाएगी.
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