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क्यों समय लगता है मतदान का डाटा प्रकाशित होने में! जानिए पूरी प्रक्रिया इस रिपोर्ट में

क्यों समय लगता है मतदान का डाटा प्रकाशित होने में! जानिए पूरी प्रक्रिया इस रिपोर्ट में

आयोग में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक मतदान का डाटा हासिल करने की प्रक्रिया तय है. इसके पांच चरण होते हैं. बूथ, सेक्टर, जिला निर्वाचन अधिकारी यानी रिटर्निंग अफसर, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी यानी सीईओ और फिर केंद्रीय इकाई भारत का निर्वाचन आयोग.

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जानिए मतदान के बाद डाटा प्रकाशित होने की प्रक्रिया जानिए मतदान के बाद डाटा प्रकाशित होने की प्रक्रिया

मतदान प्रतिशत और डाटा शेयर करने में हुई देरी पर उठे बवाल के बाद चुनाव आयोग ने तय किया है कि अगले चरणों के लिए अपनी टीम को और ज्यादा सतर्क कर दिया जाए. हालांकि अभी यह तय नहीं हुआ है कि अगले चरणों में मतदान की समय सीमा खत्म होने के बाद आयोग प्रेस कांफ्रेंस कर मीडिया के माध्यम से देश को मतदान के आंकड़ों की अंतरिम यानी प्रोविजनल जानकारी देगा या नहीं. वर्ष 2014 तक ये परिपाटी जारी थी. लेकिन 2019 और 2024 में हुए दो चरणों में तो इस पर अमल नहीं हुआ. आयोग ने बुधवार को हुई बैठक में ये भी तय किया कि आगामी चरणों में वोटिंग डाटा वेरिफिकेशन और रिलीज करने की रफ्तार बढ़ा दी जाए. 

आयोग में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक मतदान का डाटा हासिल करने की प्रक्रिया तय है. इसके पांच चरण होते हैं. बूथ, सेक्टर, जिला निर्वाचन अधिकारी यानी रिटर्निंग अफसर, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी यानी सीईओ और फिर केंद्रीय इकाई भारत का निर्वाचन आयोग. मतदान के आंकड़े एक तय फॉर्मेट में भेजे जाते हैं जिसे फॉर्म 17c कहा जाता है. इसी के तय कॉलम में भरकर उस समय तक की जानकारी निश्चित समय अंतराल पर भेजी जाती है.

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कैसे होती है प्रक्रिया

मतदान के दिन बूथ वाले प्रिजाइडिंग अफसर यानी बूथ इंचार्ज दोपहर बाद एक बजे, फिर मतदान खत्म होने के बाद अमूमन शाम सात बजे तक अपने यहां मतदाता सूची में कुल मतदाता संख्या, डाले गए कुल वोट, पुरुष महिला और तीसरे दर्जे के मतदाताओं का डाटा फार्म 17 c में भर कर अपने अपने सेक्टर के इनचार्ज को देते हैं. इस फॉर्म में मतदान के दौरान हुई हर एक छोटी बड़ी घटना की तफसील दर्ज होती है. मशीन में कभी गड़बड़ हुई, किसी मतदाता ने शिकायत दर्ज कराई, कोई कहा सुनी हुई, मतदान किसी भी वजह से रुका तो वो सब कुछ दर्ज होता है.
अलग अलग सेक्टर में वेरिफाई होकर ये डाटा जिला निर्वाचन अधिकारी यानी रिटर्निंग अफसर से होते हुए राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी यानी सीईओ के दफ्तर तक पहुंचता है.

आयोग मुख्यालय में रिपोर्ट कैसे पहुंचती है 

सीईओ के दफ्तर में भी विशेषज्ञों की टीम सभी डिटेल्स को वेरिफाई करती है. ताकि किसी तरह की गड़बड़ या मानवीय चूक की कोई गुंजाइश न रहे. फिर फाइनल डाटा निर्वाचन आयोग को भेजा जाता है. ये प्रक्रिया बूथ स्तर पर दोपहर एक बजे, फिर मतदान खत्म होने के बाद भेजा जाता है. अगर कहीं देर शाम तक मतदान चलता है या फिर दुर्गम जगह बूथ है तो कई बार अगले दिन सुबह सात आठ बजे तक भी आंकड़े आने का दौर जारी रहता है. ऐसे में आयोग मुख्यालय तक आंकड़े पहुंचने में मतदान खत्म होने के बाद भी 36 घंटे तक लग जाते हैं.

हालांकि अब उठे विवाद के बाद आयोग ने एहतियाती उपाय करते हुए इस प्रक्रिया पर प्रभावी, शीघ्र और सटीक ढंग से काम करने के लिए चुनावी तंत्र को सतर्क रहने को कहा है. आने वाले पांच चरणों के मतदान में उम्मीद है कि आंकड़े समय से ही मिलते रहेंगे ताकि किसी को चुनावी प्रक्रिया और उसकी पारदर्शिता पर उंगली उठाने का मौका ना मिले.

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