इस बार के चुनाव में सबकी नजरें दक्षिण के राज्य तेलंगाना की एक सीट हैदराबाद पर टिकी हुई हैं. यहां के 17 लोकसभा क्षेत्रों में यह वह सीट है जिस पर पिछले करीब चार दशकों से ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम का कब्जा है. एआईएमआईएम के मुखिया इस समय असदुद्दीन ओवेसी हैं और वह यहां से वर्तमान सांसद हैं. ओवेसी को उम्मीद है कि इस बार भी वह यहां से जीतकर 18वीं लोकसभा में पहुंचेंगे. लेकिन विश्लेषकों की मानें तो हो सकता है इस बार यहां पर इतिहास बदल जाए. ओवेसी के सामने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की माधवी लता हैं जो जोरशोर से प्रचार में लगी हुई हैं.
असदुद्दीन ओवेसी को हैदराबाद सीट विरासत में अपने पिता सुल्तान सलाहुद्दीन ओवेसी से मिली थी. वह पिछले चार बार से लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करते आ रहे हैं. इस बार भी उनसे उम्मीदें काफी ज्यादा हैं. सन् 1984 में ओवैसी के पिता सुल्तान सलाहुद्दीन ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर यह सीट जीत थी् इसके बाद सन् 1989 से 1999 तक वह अपनी पार्टी एआईएमआईएम के सिंबल के तहत विजेता बने रहे. इसके बाद साल 2004 से इस सीट पर उनके बेटे असदुद्दीन ओवेसी जीतते आ रहे हैं. अगर इस सीट पर ओवैसी फैमिली को 'अजेय' कहा जाये तो गलत नहीं होगा.
यह भी पढ़ें- अपनी एक गलती से पूनम महाजन ने गंवा दिया मुंबई नॉर्थ सेंट्रल से बीजेपी का लोकसभा टिकट!
पिछले चार चुनावों में से दो में, एआईएमआईएम प्रमुख ओवेसी ने 50 फीसदी से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की है. हैदराबाद के लोगों ने दो दशकों से पार्टी के नेता पर अपना भरोसा काायम रखा है. इस साल भी, ओवेसी उस सीट से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं जो उन्होंने 2004 में अपने पिता से ली थी. 2004 का लोकसभा चुनाव भी असदुद्दीन ओवेसी के लिए जीत का निकटतम अंतर था. उस समय उन्हें कुल वोटों का सिर्फ 37.39 फीसदी ही हासिल हुआ था. तब से ही बतौर मुस्लिम नेता वह बड़े अंतर से जीतते हुए और मजबूत होते गए हैं.
यह भी पढ़ें- तीसरे चरण में 1,352 उम्मीदवार, सिर्फ 9% महिलाएं, 244 के खिलाफ आपराधिक मामले
साल 2019 में, ओवैसी ने 58.95 फीसदी वोट हासिल कर बीजेपी के भगवंत राव को दो लाख के अंतर से हराया. उससे पांच साल पहले, 2014 में, ओवेसी ने समान दो लाख वोटों के अंतर के साथ 52.94 फीसदी वोट हासिल किए थे. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को कहा है कि बीजेपी इस बार असदुद्दीन ओवैसी को हराकर हैदराबाद सीट जीतकर इतिहास रचेगी. इस बार ओवैसी का सामना तेजतर्रार बीजेपी लीडर माधवी लता से है और इसलिए ही इस बार चुनावी लड़ाई काफी कड़ी मानी जा रही है. एक सांस्कृतिक कार्यकर्ता, लता के पास निजाम कॉलेज से लोक प्रशासन में ग्रेजुएट और उस्मानिया यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट हैं.
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today