किसानों ने पंजाब और हरियाणा में चुनाव प्रचार कर रहे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवारों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. किसान विरोध प्रदर्शन के बीच ही लोकसभा चुनाव एक बड़ी चुनौती बन गए हैं.किसान अब बीजेपी की सरकार और पार्टी के उम्मीदवारों से उस बात का बदला ले रहे हैं कि उन्हें प्रदर्शन की शुरुआत में शंभू बॉर्डर पर क्यों रोका गया था. उस समय हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर थे और अब उन्हें भी इस प्रदर्शन की तपिश झेलनी पड़ रही है.
अखबार द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट पर अगर यकीन करें तो पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर और बाकी बीजेपी उम्मीदवारों की सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी के लिए पिछले हफ्ते इंटेलीजेंस ब्यूरो के चार अधिकारियों को दिल्ली से हरियाणा जाना पड़ा था. खट्टर समेत बाकी उम्मीदवारों को हरियाणा में अपनी चुनावी रैलियों के दौरान किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. इस विरोध प्रदर्शन ने न केवल हरियाणा में प्रचार पर असर डाला है बल्कि अब पंजाब तक इसका प्रभाव नजर आने लगा है. यहां तो किसान यूनियनों की वजह से बीजेपी के चुनाव अभियानों पर ही रोक लग गई है.
यह भी पढ़ें-पीएम मोदी की रैली का विरोध करेंगे किसान संगठन, सुरक्षा में पुलिस-प्रशासन मुस्तैद
इस साल की शुरुआत में जब किसानों ने एमएसपी पर कानूनी गारंटी और व्यापक कर्ज माफी की अपनी मांग को लेकर दिल्ली तक मार्च करने की कोशिश की थी, तब केंद्र और हरियाणा सरकार ने कंक्रीट के ब्लॉक और कीलों की बहुस्तरीय बैरिकेडिंग की थी. विशेषज्ञों का कहना है कि खट्टर को उसका खामियाजा अब भुगतना पड़ रहा है.
13 फरवरी से ही करीब 700 से 800 किसान पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डटे हुए हैं. हरियाणा की हाई-प्रोफाइल करनाल सीट से चुनाव लड़ रहे खट्टर और बाकी बीजेपी उम्मीदवारों को गांववालों की आक्रामक नारेबाजी के बीच नियमित रूप से काले झंडे दिखाए जा रहे हैं. कुछ उम्मीदवारों को गांवों में घुसने की भी अनुमति नहीं है. राज्य की आबादी में 22-23 प्रतिशत जाटों का अनुमान है. ये जाट हरियाणा की 10 संसदीय सीटों पर गहरा प्रभाव डालते हैं.
यह भी पढ़ें-किसानों का रेल रोको आंदोलन स्थगित करने का ऐलान, देखें वीडियो
हरियाणा और पंजाब के कई गांवों में पोस्टर और बैनर लगे हैं. इन पोस्टर और बैनर के जरिये ऐलान किया गया है कि बीजेपी और उसकी पूर्व सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के नेताओं को 'प्रवेश' की मंजूरी नहीं है. लोकसभा चुनाव से पहले सीट बंटवारे को लेकर मतभेदों के कारण इस साल मार्च में बीजेपी और जेजेपी अलग हो गए थे. जेजेपी अब अपने दम पर सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. हरियाणा में किसानों ने पिछले दो हफ्तों में बीजेपी के सोनीपत उम्मीदवार मोहन लाल बडोली, नवीन जिंदल (कुरुक्षेत्र), अशोक तंवर (सिरसा), रंजीत चौटाला (हिसार), अरविंद शर्मा (रोहतक) और खट्टर की रैलियों को बाधित करने का प्रयास किया है.
यह भी पढ़ें-शंभू स्टेशन पर किसानों का रेल रोको आंदोलन स्थगित, आगे क्या करेंगे किसान?
गांव के लोग 2021 में अब रद्द किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर के आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ बल प्रयोग पर भी उनसे सवाल उठा रहे हैं. किसानों का कहना है कि पीएम मोदी ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन अपना वादा पूरा नहीं कर पाए. अब उन्होंने किसानों को दिल्ली कूच करने से रोकने के लिए बॉर्डर बना दिया है. उन्होंने पीएम मोदी पर तानाशाह बनने का इल्जाम तक लगा दिया है. जेजेपी के अजय चौटाला और उनके परिवार को भी हरियाणा के विभिन्न जिलों में प्रचार के दौरान विरोध का सामना करना पड़ा है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today